शहडोल। मध्य प्रदेश का शहडोल जिला इन दिनों दगना की घटनाओं को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है. इन घटनाओं से प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पैर फूले हुए हैं. ऐसे हालात में लापरवाह अधिकारियों पर सख्ती तो की ही जा रही है, पुलिस भी एक्शन मोड में आ गई है. इस सिलसिले में पुलिस ने सामतपुर और कठौतिया की घटनाओं में बच्चों को दागने वाली दोनों महिलाओं के खिलाफ मामला कायम कर लिया है.
निमोनिया ठीक कराने गए थे, बेटी गंवा बैठे : शहडोल पुलिस ने सामतपुर की घटना में रमबतिया चर्मकार नाम की महिला को आरोपी बनाया है. तमाम प्रयासों के बावजूद फिलहाल रमबतिया की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. पुलिस ने बताया कि तीन महीने की बच्ची रुचिका कोल पैदा होने के 15 दिन बाद ही निमोनियाग्रस्त हो गई थी. खैरहा गांव में इलाज कराने के बावजूद वह स्वस्थ नहीं हो पाई तो माता-पिता उसे स्थानीय निवासी रमबतिया चर्मकार के पास ले गए. रमबतिया ने बच्ची के शरीर की आग से सिकाई की. इलाज की बात कहते हुए रमबतिया ने काली चूड़ी गर्म कर बच्ची के पेट में कई जगह दागा. इसके बाद उसका स्वास्थ्य और खराब हो गया. मेडिकल कॉलेज शहडोल में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई.
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कठौतिया निवासी 3 माह की शुभी भी हुई थी दगना की शिकार : इसी तरह कठौतिया गांव में रहने वाले सूरज और सोनू कोल की 3 माह की बेटी शुभी उर्फ शुभू भी दगना की बलि चढ़ गई थी. शुभी के बीमार होने पर सामतपुर की ही अज्ञात दाई को इलाज के लिए बुलाया गया. उसने भी इलाज करने के लिए शुभी के पेट में कई जगह दाग दिया. स्वस्थ होने की बजाय बच्ची और भी ज्यादा बीमार हो गई और मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया.
कुप्रथा पर नहीं लग रही लगाम : शहडोल जैसे आदिवासी और पिछड़े जिले में दगना जैसी कुरीतियां काफी लंबे अरसे से अस्तित्व में हैं. इनके फेर में कुछ लोगों की जान चली गई तो कुछ उम्र भर के लिए बीमार हो गए. यहां कई लोगों के शरीर पर दगना के दाग हैं. हालांकि, अब सरकार की फटकार के बाद प्रशासन और पुलिस विभाग के अधिकारी सख्ती बरतने के मोड में हैं.