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रियलिटी चेक: जानिए शहरी स्वास्थ्य केंद्र की क्या है हालात?, लैब तो लेकिन टेक्नीशियन नहीं

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Published : Dec 19, 2020, 7:23 PM IST

शहडोल के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का ईटीवी भारत ने रियलटी चेक किया. जहां ईटीवी भारत ने अस्पताल में दवा वितरण से लेकर मरीजों को मिलने वाले सुविधाओं का निरीक्षण किया. इस दौरान ईटीवी भारत ने अस्पताल के फार्मासिस्ट और एएनएम से भी बात की और व्यवस्थाओं का हाल जाना.

Urban Primary Health Center Reality Check
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का रियलिटी चेक

शहडोल। शहरी गरीबों का एक बड़ा हिस्सा चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्भर करता है. शहडोल जिले में स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र का क्या हालात हैं, क्या वहां सभी जरूरी चीजें उपलब्ध है. जिससे मरीजों को समुचित इलाज समय पर मिल सके. कोविड-19 महामारी ने चिकित्सा प्रणाली को सबसे बड़ी चुनौती दी है. इस दौरान क्या इन केंद्रों में सुविधाओं में कोई सुधार हुआ है. इसके जानने के लिए ईटीवी भारत शहडोल जिला मुख्यालय स्थित यूएचसी केंद्र का रियलिटी चेक करने पहुंचा. जिससे यह पता चल सके कि यहां स्टाफ, दवा वितरण और उपकरणों की क्या स्थिति है. लैब की स्थितियों में कुछ सुधार आया है या नहीं.

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का रियलिटी चेक

शहरी स्वास्थ्य केन्द्र की स्थित
शहडोल जिला स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इन दिनों सुर्ख़ियों में है. अस्पताल और वहां के इलाज को लेकर जिस तरह से जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौत हो रही है. उसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है. शहडोल जिला चिकित्सालय संभागीय मुख्यालय का जिला चिकित्सालय है जहां शहडोल ही नहीं बल्कि शहडोल संभाग समेत मंडला, डिंडोरी जनकपुर छत्तीसगढ़ से भी लोग मरीज लेकर यहां पहुंचते हैं. ऐसे में अक्सर शहडोल जिला चिकित्सालय में मरीजों का काफी दबाव देखने को मिलता है. इन हालातों में शहडोल जिला मुख्यालय में स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र भी काफी अहम हो जाते हैं. क्योंकि इस बढ़ती भीड़ के बीच प्राइमरी इलाज के लिए शहरी स्वास्थ्य केंद्र यूएचसी का भी एक बड़ा रोल हो जाता है.

क्या हैं यहां के हालात?
शहरी स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति जानने के लिए फार्मासिस्ट रमेश कुमार शुक्ला से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां बच्चों का टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण और महिलाओं की जांच की जाती है. साथ ही सर्दी,खांसी बुखार के मरीज का समुचित इलाज किया जाता है और उन्हें दवाइयां दी जाती है. उनका कहना है कि इस शहरी स्वास्थ्य केंद्र में करीब हर दिन 60 से 70 मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. डॉक्टर की स्थिति को लेकर बताया कि एक शेफाली बारिया महिला डॉक्टर पदस्थ हैं और एक मेडिकल कॉलेज से महिला डॉक्टर लक्ष्मी यादव यहां ड्यूटी देती हैं.


लैब टेक्नीशियन हटाने से दिक्कत
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ एएनएम सुधा प्रधान का कहना है कि यहां पर डिलीवरी वाली महिलाएं ज्यादा आती हैं. उनका यहां टीकाकरण किया जाता है और उनके जांच किए जाते हैं. इसके अलावा बच्चों के भी टीकाकरण किए जाते हैं. साथ ही यहां पर बीपी शुगर वाले बहुत सारे पेशेंट आते हैं. उनका भी चेकअप होता है. हर तरह के जनरल परसेंट आते हैं. जिनकी जांच बराबर की जाती है. बाकी सभी सुविधाएं तो यहां बेहतर है, लेकिन लैब टेक्नीशियन नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है. क्योकि उनकी ड्यूटी फील्ड में लगा दी जाती, कभी कोविड वार्ड में कभी सिंहपुर सीएचसी में भेज दिया जाता है. मतलब जिले में कहीं भी उनकी ड्यूटी बदलती रहती है. जिसके चलते थोड़ी दिक्कत होती है. उनका कहना है कि कुछ जांच तो हम लोग कर लेते हैं, लेकिन कुछ नहीं कर पाते हैं, उसके लिए लैब टेक्नीशियन की जरूरत पड़ती है. ऐसे में टेक्नीशियन नहीं होने से परेशानियां होती है.

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उपकरण की कमी

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में जो बात सामने आई उसमें यह पता चला की शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपकरण की थोड़ी बहुत कमी है. भले ही वहां के कर्मचारी इस बात से मुकरते नजर आए, लेकिन उपकरणों को लेकर सही स्थितियां नजर नहीं आ रही है. देखा जाए तो जिस तरह से हर दिन 70 से 80 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं ऐसे में अगर इन सेंटर में और अच्छी व्यवस्था दी जाए. सभी चीजें सही समय पर उपलब्ध कराई जाए तो निश्चित तौर पर यह शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूरतमंद मरीजों के लिए बड़े काम के हो सकते हैं.

शहडोल। शहरी गरीबों का एक बड़ा हिस्सा चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्भर करता है. शहडोल जिले में स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र का क्या हालात हैं, क्या वहां सभी जरूरी चीजें उपलब्ध है. जिससे मरीजों को समुचित इलाज समय पर मिल सके. कोविड-19 महामारी ने चिकित्सा प्रणाली को सबसे बड़ी चुनौती दी है. इस दौरान क्या इन केंद्रों में सुविधाओं में कोई सुधार हुआ है. इसके जानने के लिए ईटीवी भारत शहडोल जिला मुख्यालय स्थित यूएचसी केंद्र का रियलिटी चेक करने पहुंचा. जिससे यह पता चल सके कि यहां स्टाफ, दवा वितरण और उपकरणों की क्या स्थिति है. लैब की स्थितियों में कुछ सुधार आया है या नहीं.

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का रियलिटी चेक

शहरी स्वास्थ्य केन्द्र की स्थित
शहडोल जिला स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इन दिनों सुर्ख़ियों में है. अस्पताल और वहां के इलाज को लेकर जिस तरह से जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौत हो रही है. उसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है. शहडोल जिला चिकित्सालय संभागीय मुख्यालय का जिला चिकित्सालय है जहां शहडोल ही नहीं बल्कि शहडोल संभाग समेत मंडला, डिंडोरी जनकपुर छत्तीसगढ़ से भी लोग मरीज लेकर यहां पहुंचते हैं. ऐसे में अक्सर शहडोल जिला चिकित्सालय में मरीजों का काफी दबाव देखने को मिलता है. इन हालातों में शहडोल जिला मुख्यालय में स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र भी काफी अहम हो जाते हैं. क्योंकि इस बढ़ती भीड़ के बीच प्राइमरी इलाज के लिए शहरी स्वास्थ्य केंद्र यूएचसी का भी एक बड़ा रोल हो जाता है.

क्या हैं यहां के हालात?
शहरी स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति जानने के लिए फार्मासिस्ट रमेश कुमार शुक्ला से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां बच्चों का टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण और महिलाओं की जांच की जाती है. साथ ही सर्दी,खांसी बुखार के मरीज का समुचित इलाज किया जाता है और उन्हें दवाइयां दी जाती है. उनका कहना है कि इस शहरी स्वास्थ्य केंद्र में करीब हर दिन 60 से 70 मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. डॉक्टर की स्थिति को लेकर बताया कि एक शेफाली बारिया महिला डॉक्टर पदस्थ हैं और एक मेडिकल कॉलेज से महिला डॉक्टर लक्ष्मी यादव यहां ड्यूटी देती हैं.


लैब टेक्नीशियन हटाने से दिक्कत
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ एएनएम सुधा प्रधान का कहना है कि यहां पर डिलीवरी वाली महिलाएं ज्यादा आती हैं. उनका यहां टीकाकरण किया जाता है और उनके जांच किए जाते हैं. इसके अलावा बच्चों के भी टीकाकरण किए जाते हैं. साथ ही यहां पर बीपी शुगर वाले बहुत सारे पेशेंट आते हैं. उनका भी चेकअप होता है. हर तरह के जनरल परसेंट आते हैं. जिनकी जांच बराबर की जाती है. बाकी सभी सुविधाएं तो यहां बेहतर है, लेकिन लैब टेक्नीशियन नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है. क्योकि उनकी ड्यूटी फील्ड में लगा दी जाती, कभी कोविड वार्ड में कभी सिंहपुर सीएचसी में भेज दिया जाता है. मतलब जिले में कहीं भी उनकी ड्यूटी बदलती रहती है. जिसके चलते थोड़ी दिक्कत होती है. उनका कहना है कि कुछ जांच तो हम लोग कर लेते हैं, लेकिन कुछ नहीं कर पाते हैं, उसके लिए लैब टेक्नीशियन की जरूरत पड़ती है. ऐसे में टेक्नीशियन नहीं होने से परेशानियां होती है.

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उपकरण की कमी

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में जो बात सामने आई उसमें यह पता चला की शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपकरण की थोड़ी बहुत कमी है. भले ही वहां के कर्मचारी इस बात से मुकरते नजर आए, लेकिन उपकरणों को लेकर सही स्थितियां नजर नहीं आ रही है. देखा जाए तो जिस तरह से हर दिन 70 से 80 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं ऐसे में अगर इन सेंटर में और अच्छी व्यवस्था दी जाए. सभी चीजें सही समय पर उपलब्ध कराई जाए तो निश्चित तौर पर यह शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूरतमंद मरीजों के लिए बड़े काम के हो सकते हैं.

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