शहडोल। अगर खाने में दाल न हो तो खाना अधूरा माना जाता है, क्योंकि दाल, चावल, सब्जी और रोटी को ही पूरी थाली मानी जाती है. दाल में प्रोटीन की मात्रा भरपूर होती है इसलिए लोग दाल जरूर खाते हैं. लेकिन जिस तरह से दाल के दामों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिल रही है, उसके बाद से लोग भी महंगाई से परेशान हैं. लोगों की थाली से अब दाल गायब होती जा रही है, लोगों का कहना है कि जिस तरह से दाल के दाम बढ़ रहे हैं उसने कमर तोड़ कर रख दी है. आखिर दालों पर किस तरह से महंगाई की मार पड़ रही है और दूसरी ओर मानव सेहत के लिए दाल खाना क्यों है जरूरी, दाल को किस तरह से खाने में इस्तेमाल करना चाहिए ये सारी जानकारियां यहां पढ़िए.
दाल पर महंगाई की मार: इन दिनों किसी भी दाल की बात करें तो उस पर महंगाई की मार देखने को मिल रही है. दाल के रेट लगातार बढ़ रहे हैं. आलम यह है कि राहर दाल तो पिछले 15 दिन में ही 15 से 20 रुपए महंगा हो गया है. अब 1 किलो राहर दाल खरीदने के लिए 130 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं. दाल व्यापारी रजनीश गुप्ता बताते हैं कि "पिछले कुछ दिनों से हर तरह के दाल की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल रही है.
राहर दाल | 130 रुपए किलो |
मूंग दाल | 110 रुपए प्रति किलो |
उड़द दाल | 100 रुपए किलो |
मसूर दाल | 80 से 90 रुपए किलो |
कुलथी दाल | 120 रुपए प्रति किलो |
सेहत के लिए दाल खाना जरूरी: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि "दाल चावल, दाल रोटी यह सभी भारतीय लोगों की प्राइमरी डाइट है क्योंकि दाल में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता और अपने शरीर को प्रोटीन की प्रतिदिन आवश्यकता होती है. इसी वजह से प्रतिदिन हमारे यहां खाने में दाल खाने का रिवाज है." हमारे बीच में 5 से 6 तरह के दाल खाने का प्रचलन है. हर दाल के अपने गुणधर्म होते हैं इसलिए चिकित्सक यह भी सलाह देते हैं कि दाल खाने के लिए रोटेशन बनाकर उपयोग करें. कोशिश ये करें की सप्ताह में अलग-अलग दाल जैसे अरहर, मूंग, मसूर, चना समेत कई दाल का इस्तेमाल करें. खाने में दालों के रोटेशन से बॉडी में हर तरह के अमीनो एसिड और प्रोटीन का निरंतर सप्लाई बना रहता है. सामान्य तौर पर एक नियम यह भी है की कार्बोहाइड्रेट का एक तिहाई प्रोटीन शरीर में जाना ही चाहिए, इसी वजह से हमारे परंपरागत भोजन की थाली में चावल का एक तिहाई दाल परोसना जरूरी माना जाता है.
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दाल को लेकर रखें इन बातों का ख्याल: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि "दाल खाने से एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है इसलिए इसे हींग, जीरा और घी से तड़का लगाकर खाना चाहिए. दाल का सेवन रात में वर्जित है क्योंकि यह पेट में एसिडिटी फॉर्म कर देता है.
अलग-अलग दाल के फायदे:
- राहर दाल की बात करें तो आज के समय में सबसे प्रचलित दाल ये है. पोषण से भरपूर होती है. कफ, गैस समन करती है और शरीर को बिल्डअप करने में काफी मददगार होती है.
- मूंग दाल की बात करें तो ये पचने में हल्की होती है. मल को बांधने का काम करती है इसीलिए दस्त के कंडीशन में मूंग दाल और चावल की खिचड़ी बना कर दिया जाता है.
- जिन लोगों को क्रॉनिक या पुराने दस्त की दिक्कत है, उनके लिए मसूर दाल सबसे अच्छी मानी गई है. मसूर दाल मल को ज्यादा बांधती है. मूंग दाल की अपेक्षा, जिनको आईबीएस इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या है उनके लिए मसूर दाल सबसे अच्छी होती है.
- उड़द दाल पचने में भारी होती है. इसकी वजह से जिन लोगों का डाइजेशन अच्छा है उन्हीं को उड़द दाल या इससे बने व्यंजन दे सकते हैं.
- इसी तरह से कुल्थी की दाल मूत्र विकारों में और महिलाओं के रजह विकारों बहुत उपयोगी होती है.