शहडोल। रक्षाबंधन के दूसरे ही दिन कजलियां का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. खासकर गांव में इस त्यौहार को लेकर काफी ज्यादा उत्साह रहता है. हालांकि इस साल कोरोना काल का असर इस पर्व पर भी देखने को मिला, क्योंकि जितनी भीड़ पहले रहा करती थी, वह भीड़ नजर नहीं आई.
कजलियां का पर्व हर साल रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता है, जिसमें शाम होते ही बच्चे, माताएं, बहने पूजा पाठ करके शाम को कजलियां लेकर निकलती हैं, और उसे जल स्रोत में विसर्जित करती हैं, जिसके बाद कजलियां को सबसे पहले देवस्थल चढ़ाया जाता है, उसके बाद सभी ग्रामीण कजलियां लेकर एक दूसरे के घर जाते हैं, और एक दूसरे से मिलकर प्यार और आशीर्वाद लेते हैं. खास बात ये है कि कजलियां देने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.