शहडोल। कोरोना महामारी के कारण देश में काफी समय तक लॉकडाउन लगा रहा. छोटे से लेकर बड़े व्यापारियों का इस महामारी में काफी नुकसान हुआ. उम्मीद थी कि, लॉकडाउन हटने के बाद एक बार फिर जिंदगी पटरी पर लौट आएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कई व्यापारियों का उल्टा और नुकसान हो गया. ट्रांसपोर्टर्स का भी इस दौरान काफी नुकसान हुआ है. पहले लॉकडाउन के कारण उनकी गाड़ी नहीं चल पाती थी, तो अब कोरोना के खौफ के कारण बसों के टायर थमे हुए हैं. शहडोल में ट्रांसपोर्ट संचालकों का खासा नुकसान हो रहा है. कोरोना के डर से लोग बसों में बैठने तक से कतरा रहे हैं.
बस में नहीं चढ़ रहे यात्री
शहडोल बस स्टैंड पर कई बार दिन भर बस खड़ी रहती हैं. लेकिन कोई यात्री सवार नहीं होता. कारण बस एक ही है, कोरोना का खौफ. पिछले साल सरकार ने ही बसों पर लॉक लगा दिया था, लेकिन मौजूदा साल में कोरोना की नई लहर जब शुरू हुई, तो बसों के संचालन को नहीं रोका गया. लेकिन इस बार यात्रियों ने ही बसों पर लॉकडाउन लगा दिया है. पहले शहडोल बस स्टैंड से हर रोज हजारों की संख्या में आवागमन होता था, सैकड़ों बसें चलती थीं. लेकिन अब बसे दिनभर यात्रियों की राह ताकती रहती हैं. बस संचालक बताते हैं कि, बस स्टैंड तो दूर की बात है अब रास्ते में भी बस में सफर करने वाले नहीं मिलते.
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10 से 15 प्रतिशत ही बसें चल रहीं
बस ऑनर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष भागवत प्रसाद गौतम ने बताया कि, शहडोल में लगभग 400 बसें चलती हैं, लेकिन अब ये घटकर महज 10 से 15 प्रतिशत ही रह गई हैं. सरकार की तरफ से कोई मनाही नहीं होने के बावजूद बसों के पहिए पर ब्रेक लगा है, भागवत प्रसाद ने बताया कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र से भी आवागमन पूरी तरह बंद है, उत्तर प्रदेश से शहडोल तक के लिए इक्का-दुक्का बस ही चल रहीं हैं. जबकि बनारस, इलाहाबाद और लखनऊ के लिए महज एक-एक बस ही चल रही है. शहडोल और रीवा के बीच भी पहले हर दिन 20 से 22 गाड़ियां चलती थी, जो कि अब घटकर 4 से 6 रह गई हैं.