Nirjala Ekadashi 2023। निर्जला एकादशी एक ऐसा व्रत है, जिसे करने के बाद बहुत ही पुण्य लाभ मिलता है. जेष्ठ शुक्ल पक्ष की गर्मी में इस एकादशी के व्रत को निर्जल होकर करना होता है. जो भी इस व्रत को निर्जला होकर करता है. उसे बहुत पुण्य लाभ मिलता है. ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा उन पर बरसती रहती है. शास्त्रों की मानें तो साल की 24 एकादशी में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण और शुभ फलदायी और कठिन माना जाता है. एक ओर पूरे साल में सारे एकादशी का व्रत और दूसरी ओर सालभर में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत कर लें तो उतना ही पुण्य लाभ मिलता है.
जानिए कब है निर्जला एकादशी का व्रत ?: ज्योतिषाचार्य विमलेश कुमार उपाध्याय के मुताबिक इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को किया जाएगा, क्योंकि जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 30 मई के दिन एकादशी तिथि की शुरुआत दोपहर 1 बज कर 7 मिनट से शुरू हो रही है, और इसका समापन अगले दिन 31 मई बुधवार के दिन दोपहर 1 बज कर 45 मिनट पर होगी. शास्त्रों के मुताबिक कोई भी व्रत करें हर शुभ कार्य के लिए उदया तिथि का दिन मान्य होता है. इसलिए निर्जला एकादशी का व्रत इस बार 31 मई 2023 को रखा जाएगा और निर्जला एकादशी व्रत के पारण का मुहूर्त गुरुवार को 1 जून को सुबह 5:24 से 8:10 तक रहेगा.
निर्जला एकादशी व्रत कथा: ज्योतिष आचार्य पंडित विमलेश कुमार उपाध्याय निर्जला एकादशी व्रत कथा के बारे में बताते हैं कि शास्त्रों में इसका वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल की बात है, एक बार भीम ने वेद व्यास जी से कहा कि उनकी माता और सभी भाई एकादशी व्रत रखने का सुझाव देते हैं, लेकिन उनके लिए कहां संभव है कि वह पूजा-पाठ कर सकें. व्रत में भूखा भी नहीं रह सकते. इस पर वेदव्यास जी ने कहा कि भीम, अगर तुम नरक और स्वर्ग लोक के बारे में जानते हो, तो हर माह को आने वाली एकादश के दिन अन्न मत ग्रहण करो. तब भीम ने कहा कि पूरे वर्ष में कोई एक व्रत नहीं रहा जा सकता है क्या? हर माह व्रत करना संभव नहीं है, क्योंकि उन्हें भूख बहुत लगती है. भीम ने वेदव्यास जी से निवेदन किया कोई ऐसा व्रत हो, जो पूरे एक साल में एक ही दिन रहना हो और उससे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए. तब व्यास जी ने भीम को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के बारे में बताया.
निर्जला एकादशी में ये जरूरी होता है: निर्जला एकादशी व्रत में अन्न व जल ग्रहण करने की मनाही होती है. द्वादशी को सूर्योदय के बाद स्नान करके ब्राह्मणों को दान देना चाहिए और फिर भोजन कराना चाहिए. फिर उसके बाद स्वयं व्रत पारण करना चाहिए. इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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ऐसा भूलकर भी न करें: ज्योतिषाचार्य पंडित विमलेश कुमार उपाध्याय बताते हैं की जो भी व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहता है. उसे इन बातों का जरूर ख्याल रखना चाहिए. जैसे एकादशी का उपवास रखने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. पुरुषों को शेविंग से बचना चाहिए और महिलाओं को अपने बाल नहीं धोने चाहिए.
निर्जला एकादशी व्रत में ऐसे करें पूजा: जो भी व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं. उन्हें दशमी की रात को सात्विक भोजन तो करना ही चाहिए. साथ ही अगले दिन एकादशी की जब शुरुआत होती है. उदया तिथि पर तो सूर्योदय से पहले स्नान कर लें निर्जल व्रत करने का संकल्प लें और घर में या मंदिर में विष्णु जी का केसर और गंगाजल मिश्रित कर अभिषेक करें, क्योंकि इस दिन विष्णु जी की पूजा होती है. पीले वस्त्र, पीले फूल, मिठाई चढ़ाएं विष्णु जी के नाम का जप करें शाम को पुनः भगवान विष्णु की पूजा करें और रात में भजन कीर्तन करते हुए जमीन पर विश्राम करने की कोशिश करें. रात्रि में जागरण कर विष्णु जी का स्मरण भी कर सकते हैं. अगले दिन द्वादशी पर शुभ मुहूर्त में पूजा और दान पुण्य के बाद ब्राह्मणों को भोज कराने के बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें तो इसका पूरा पुण्य लाभ फल मिलता है.