शहडोल। पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है. देश में भी कोरोना वायरस अपने पैर पसार रहा है. वहीं शासन-प्रशासन संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए युद्धस्तर पर तैयारियों में जुटा हुआ है. संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग के सामने कई चुनौतियां हैं. उनमें से एक मुख्य चुनौती है सस्ते वेंटिलेटर्स की उपलब्धता. इसी समस्या को दूर करने के लिए सामने आए हैं जिले के युवा इंजीनियर निखिल कुरेले. जिन्होंने अपनी टीम से मिलकर बहुत की कम कीमत में वेंटिलेटर बनाया है. माना जा रहा है कि ये वेंटिलेटर सबसे सस्ता हो सकता है.
शहडोल के रहने वाले निखिल कुरेले ने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. फिर साल 2017 में पुणे में अपने एक दोस्त हर्षित राठौर के साथ कंपनी शुरु की थी. इनकी कंपनी सोलर पैनल को साफ करने के लिए रोबोट तैयार करती है. जो इनका मुख्य बिजनेस है.
निखिल से ईटीवी भारत की टीम ने इस वेंटिलेटर से संबंधित फोन पर बातचीत की और कुछ सवाल पूछे. जिनके उन्होंने जवाब भी दिए....
आपके दिमाग में कैसे आया कि वेंटिलेटर ही बनाना है ?
निखिल कुरेले कहते हैं कि जिस तरह के हालात चल रहे हैं, उसे देखते हुए अभी देश में वेंटिलेटर की बहुत जरुरत है, हर कोई परेशान है.हमें लगा कि हम वेंटिलेटर बना सकते हैं, तो हमने इस पर काम शुरू किया, और फिर जब पहला डिजाइन तैयार किया. डॉक्टर्स से बात की तो वो काम नहीं किया, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी, और लगे रहे, उसके बाद डॉक्टर्स ने फिर से बताया कि क्या-क्या चीजें होनी चाहिए और फिर उन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए फिर से प्रयास किया तो उसे बनाने में सफल हो गए. हमारा मकसद बिजनेस नहीं, बल्कि देश की जरूरत पूरी करना है.
क्या ये सबसे सस्ता वेंटिलेटर होगा ?
इस सवाल के जवाब में निखिल कुरेले कहते हैं इसे लेकर मुझे आइडिया नहीं है. मैं जानता हूं काफी लोग जो मेहनत कर रहे हैं, वो भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हमारा ऑब्जेक्टिव ये नहीं है कि मैं सबसे पहले बना लूं. हमारा ऑब्जेक्टिव ये है कि मुझे कोई चीज पता चलती है, तो मैं सामने वाले को बता दूं, उनको पता चलती है तो वो लोग हमें बताते हैं. हमारा ऑब्जेक्टिव ये है कि देश में जो परेशानियां हैं वो शॉर्टआउट हो जाएं. हमारा मकसद कम लागत में वेंटिलेटर मार्केट में लाना, मार्केट में ये वेंटिलेटर 50 हजार के आसपास अवलेबल हो जाएगा. हमारा प्लान मार्केट में इसे मई तक लाने का है.
अब ये वेंटिलेटर मार्केट में कैसे आएगा और इसमें अभी और आगे क्या क्या प्रोसेस होने हैं ?
इस सवाल के जवाब में निखिल बताते हैं कि दो प्रोसेस हैं, एक तो टेस्टिंग करानी है और जो भी सर्टिफिकेशन आदि की रिक्वायरमेंट है वो भी पूरा करना है. उसके बाद ये वेंटिलेकर मार्केट में आ सकता है.
टीम में कितने लोग हैं ?
निखिल कुरेले कहते हैं कि शुरु में इसके लिए 4 लोगों ने काम चालू किया था. फिर धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया. फिलहाल अभी टीम में 8 लोग काम कर रहे हैं.
इसे बनाने में प्रशासन का कैसा सहयोग रहा ?
उन्होंने का कि काफी सपोर्ट है, सभी ने सहयोग किया है. सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री से लेकर स्टेट मिनिस्ट्री तक सभी ने सपोर्ट किया है.
ये वेंटिलेटर काफी यूनीक है. क्योंकि इसे खास कोरोना संक्रमितों को ध्यान में रखकर बना गया है. इसमें उन्हीं फीचर्स को रखा गया है, जो कोरोना के इलाज में जरूरी होते हैं. इसकी खासबात है कि डॉक्टर्स मोबाइल से मरीज की मॉनीटरिंग कर सकेंगे.
बता दें निखिल कुरेले शहडोल के रहने वाले हैं, उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई कॉन्वेंट स्कूल से की, और फिर कोटा में जाकर आईआईटी की तैयारी की, और फिर उसके बाद दूसरे अटेम्प्ट में आईआईटी में सेलेक्ट हो गए. आईआईटी कानपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.