शहडोल। शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 15 से 20 किलोमीटर दूर अंतरा गांव में स्थित है, कंकाली माता मंदिर जो जिले में ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों में अपने चमत्कार के लिए काफी प्रसिद्ध है. कंकाली माता के दर्शन के लिए संभाग के बाहर ही नहीं बल्कि प्रदेश के बाहर के लोग भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं, यह मंदिर अद्भुत मंदिर है. इस मंदिर में विराजी कंकाली माता अद्भुत हैं, इनके चमत्कार की कई कहानियां हैं जो आज भी आसपास के क्षेत्र में व्याप्त हैं. कंकाली माता पर लोगों का बहुत अटूट भरोसा है. Navaratri 2022
यहां एक नारियल से लगती है अर्जी: कंकाली माता मंदिर के पुजारी राम जी शास्त्री बताते हैं शिव मंदिर 10 वीं 11 वीं सदी ईसवी का मंदिर है, जो अति प्राचीन मंदिर है और यहां जो भी मन्नत मांगता है वह पूरी होती है. पुजारी के मुताबिक, इस नवरात्रि से जो भी मन्नत मांगेगा, वह अगले नवरात्रि आते-आते पूरी हो जाती है, इसीलिए यहां भक्तों का अटूट भरोसा है. कंकाली माता मंदिर के परिसर में काफी संख्या में लाल कपड़े में नारियल यूं ही नहीं बांधे गए हैं, बल्कि लाल कपड़े में एक श्रीफल बांधकर भक्तों ने माता के सामने अपनी मन्नत मांगी है. यहां एक श्रीफल लेकर भक्त यहां के पंडा पुजारी से अर्जी लगवा कर, मंदिर परिसर में बांध देते हैं और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो यहीं पर हवन कुंड में माता के नाम से हवन करते हैं. कंकाली माता मंदिर में इस तरह से अर्जी लगाने पर मन्नत पूरी हो जाती है. पुजारी के मुताबिक 6 महीने के अंदर पूरी हो जाती है, माता जी के नाम से नारियल बांधने का कारण यह है इसी से माता रानी प्रसन्न होती हैं. बाकी यहां कोई चीज नहीं चढ़ता और ना ही किसी चीज की मन्नत होती है. बस एक श्रीफल बांधने की ही मन्नत कंकाली मंदिर में प्रसिद्ध है. maa kankali mandir shahdol
तांत्रिक शक्तिपीठ रहा है ये: पुरातत्वविद और इतिहासकार रामनाथ सिंह परमार बताते हैं कि, "कंकाली माता मंदिर तांत्रिक शक्तिपीठ के रूप में 10 वीं सदी से ही प्रसिद्ध था. यह कलचुरी कालीन तंत्र साधना का स्थल रहा है, यहां 10 वीं सदी से 11 वीं सदी के बीच में यहां कलचुरी राजाओं के द्वारा इस प्रतिमा का प्रतिस्थापन शक्ति स्वरूपा मां कंकाली के रूप में किया गया था. यहां पर जितने क्षेत्रीय और तंत्र साधना वाले लोग थे सब के पूजा के लिए यह स्थल सर्व सुलभ था और जो भी लोग आते थे, दर्शन-पूजा करते थे और मनवांछित फल अपनी शक्ति साधना से पाते थे. वर्तमान में ये मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है, यहां पर 9 दिन के जवारे लगते हैं, यहां की कंकाली माता काफी फेमस हैं, अपने प्रदेश ही नहीं जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश के बाहर से भी लोग यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं."
कंकाल स्वरूप में हैं माता: पुरातत्वविद बताते हैं कि, "यहां विराजीं कंकाली माता शक्ति स्वरूपा मां चंडी के स्वरूप में है, जो कंकाली माता के तौर पर प्रसिद्ध हैं और यहां विराजी कंकाली माता की विशेषता यही है कि ये 18 भुजा वाली हैं. शक्ति स्वरूपा मां चंडी के रूप में कंकाली माता स्वरूप में है, कंकाल स्वरूप में है जो यह सब को मनोवांछित फल प्रदान करने वाली मातृशक्ति हैं. shahdol unique idol of maa kali
नेताओं का भी अटूट भरोसा: कंकाली माता मंदिर में नेताओं का भी अटूट भरोसा है, यहां के लोकल नेता तो अपने हर छोटे-बड़े कार्य में माता के दर्शन के लिए पहुंचते ही हैं. साथ ही जब कभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहडोल आते हैं और समय रहा तो वह कंकाली माता मंदिर के दर्शन के लिए जरूर जाते हैं, इतना ही नहीं यहां प्रदेश के कई बड़े दिग्गज नेता कंकाली माता मंदिर में अर्जी लगा चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कंकाली मां के दर्शन किए थे, इसके अलावा दिग्विजय सिंह, बाबूलाल गौर, उमा भारती जैसे नेता भी कंकाली माता के दर्शन कर चुके हैं. आज भी जब कोई बड़ा नेता जिले में आता है, तो वह कंकाली मां के दर्शन जरूर करता है. real story of maa kankali mandir shahdol