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Balika Diwas Special: शहडोल की उसैन बोल्ट बनीं सिमरन, अंडर-18 स्टेट लेवल में लगाएगी दौड़ - शहडोल की सिमरन बनी तेज धाविका

24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर शहडोल की एक नाबालिग की आपको स्टोरी बताएंगे जिसे जान आप हैरान रह जाएंगे. शहडोल की सिमरन ने दौड़ प्रतियोगिता में 18 साल की लड़कियों को पीछे छोड़ अंडर 18 में पहला स्थान हासिल किया है.

shahdol simran become faster runner
शहडोल की सिमरन बनी तेज धाविका
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Published : Jan 23, 2023, 11:04 PM IST

शहडोल की सिमरन बनी तेज धाविका

शहडोल। बेटियां देश का भविष्य हैं, एक बेटी कई भूमिकाएं निभाती है. 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर हम एक ऐसी नन्हीं बालिका की बात करेंगे, जो महज 12 साल की उम्र में बड़े कमाल कर रही है. नन्हीं बालिका को संभाग भर में स्पीड स्टार का दर्जा दिया गया है. इतना ही नहीं अब ये छोटी सी लड़की स्टेट लेवल की तैयारी कर रही है, जिसमें उसके साथ दौड़ में बड़ी उम्र की लड़कियां भी शामिल होंगी और वहां भी अपने खेल का जादू बिखेरने को ये बालिका बेकरार है.

संभाग की स्पीड स्टार: शहडोल के गोरतरा गांव में सिमरन सिंह रहती है. इसकी उम्र अभी महज 12 साल के बीच में है. सिमरन सिंह इन दिनों संभाग भर में सुर्खियों में है. सिमरन सिंह मुख्यमंत्री कप में अभी हाल ही में स्टेट लेवल के लिए सिलेक्ट हुई है, जिसमें उसने संभाग भर में एथलेटिक्स के रनिंग प्रतियोगिता में अव्वल दर्जा हासिल किया है. इसके बाद उसे अब संभाग का स्पीड स्टार कहा जाने लगा है. उसकी स्पीड देखकर हर कोई हैरान है.

अंडर-18 मुकाबले में पहला स्थान: मुख्यमंत्री कप में संभागीय स्तरीय मुकाबले हुए थे, जिसमें एथलेटिक्स के रनिंग प्रतियोगिता में सिमरन सिंह ने पहला स्थान हासिल किया. इस मुकाबले की खास बात ये थी कि, एथलेटिक्स के रनिंग प्रतियोगिता में अंडर-18 तक की लड़कियों को शामिल होना था. इसमें 12 साल की बच्ची सिमरन सिंह ने भी हिस्सा लिया था. सिमरन सिंह ने पहले ब्लॉक स्तर, जिला स्तर और फिर संभाग स्तर में अपने स्पीड से सबको चौका दिया. सिमरन ने 1 हजार मीटर की दौड़ को करीब 4 मिनट 20 सेकेंड में पूरा किया. अपने से 4 से 5 साल बड़ी उम्र की लड़कियों को भी बच्ची ने पीछे कर दिया.

स्टेट लेवल के लिए सिलेक्ट: एथलेटिक्स के एनआईएस कोच धीरेंद्र सिंह बताते हैं कि, मुख्यमंत्री कप में यह लड़की स्टेट लेवल के लिए सिलेक्ट हो गई है. यहां भी अंडर 18 तक की लड़कियां शामिल होंगी. जिसमें सिमरन भी शामिल होगी. बताया जा रहा है कि, जिस तरह कि इसकी स्पीड है, जितना यह मेहनत कर रही है, उसे देखकर सभी यही उम्मीद लगा रहे हैं कि लड़की स्टेट लेवल में भी कमाल कर सकती है.

सही डायरेक्शन मिलने पर करेगी कमाल: एथलेटिक्स के एनआईएस कोच धीरेंद्र सिंह का मानना है कि, अगर यह लड़की इसी तरह से खेलती रही, इस लड़की को सही डाइट मिलता रहा, सही डायरेक्शन मिलता रहा तो यह लड़की आगे चल के बड़े मेडल जीत सकती है. लड़की क्षेत्र का नाम रोशन कर सकती है, क्योंकि इतनी कम उम्र में इस लड़की में एक अलग ही स्पीड है जो रनिंग के एथलेटिक्स खिलाड़ियों में बहुत कम देखने को मिलता है.

रनर के साथ पुलिस बनने का सपना: सिमरन कक्षा सातवीं में पढ़ती है. जब हमने सिमरन सिंह से बात की और उससे पूछा की आगे क्या बनना चाहती हैं आप, तो उसने बड़ी बेबाकी से जवाब देते हुए बताया, "मुझे दौड़ना पसंद है तो मैं दौड़ूंगी ही, साथ ही मुझे भविष्य में पुलिस बनना है." इसी सपने के साथ वो मैदान में आकर लगातार दौड़ लगाते रहती है.

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गरीब घर से है सिमरन: सिमरन के पिता का नाम रामेश्वर सिंह है. वो कहते हैं कि वो अपने बच्चे को लगातार खेलने के लिए भेजते हैं, और उन्हें भी बड़ी खुशी होती है जब उनकी बच्ची कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करती है. सिमरन गरीब घर से है. उसके पिता की इतनी कमाई नहीं है. वे खेती और मजदूरी करते हैं. वह बताते हैं कि घर का खर्च तो नहीं चल पाता, लेकिन एडजेस्ट कर लेते हैं पर बेटी को दौड़ने के लिए जरूर भेजते हैं.

सही डाइट और दिशा की जरुरत: शहडोल जिले में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन यहां के खिलाड़ियों में एक बड़ी समस्या यह है कि यह खिलाड़ी गरीब घरों से आते हैं. इसकी वजह से इनके पास डाइट के लिए इतने संसाधन नहीं रहते हैं, न ही खेल को बारीकी से सीखने के लिए इतने कोच इन्हें मिल पाते हैं. इसकी वजह से ये खिलाड़ी कुछ समय के बाद खेल को ही छोड़ देते हैं, या फिर दूसरे खिलाड़ियों से पीछे हो जाते हैं. सिमरन सिंह ऐसी ही लड़की है, जिसमें टैलेंट तो बहुत ज्यादा है, लेकिन गरीब होने की वजह से सही डाइट और मार्ग मिलना बेहद जरूरी है.

शहडोल की सिमरन बनी तेज धाविका

शहडोल। बेटियां देश का भविष्य हैं, एक बेटी कई भूमिकाएं निभाती है. 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर हम एक ऐसी नन्हीं बालिका की बात करेंगे, जो महज 12 साल की उम्र में बड़े कमाल कर रही है. नन्हीं बालिका को संभाग भर में स्पीड स्टार का दर्जा दिया गया है. इतना ही नहीं अब ये छोटी सी लड़की स्टेट लेवल की तैयारी कर रही है, जिसमें उसके साथ दौड़ में बड़ी उम्र की लड़कियां भी शामिल होंगी और वहां भी अपने खेल का जादू बिखेरने को ये बालिका बेकरार है.

संभाग की स्पीड स्टार: शहडोल के गोरतरा गांव में सिमरन सिंह रहती है. इसकी उम्र अभी महज 12 साल के बीच में है. सिमरन सिंह इन दिनों संभाग भर में सुर्खियों में है. सिमरन सिंह मुख्यमंत्री कप में अभी हाल ही में स्टेट लेवल के लिए सिलेक्ट हुई है, जिसमें उसने संभाग भर में एथलेटिक्स के रनिंग प्रतियोगिता में अव्वल दर्जा हासिल किया है. इसके बाद उसे अब संभाग का स्पीड स्टार कहा जाने लगा है. उसकी स्पीड देखकर हर कोई हैरान है.

अंडर-18 मुकाबले में पहला स्थान: मुख्यमंत्री कप में संभागीय स्तरीय मुकाबले हुए थे, जिसमें एथलेटिक्स के रनिंग प्रतियोगिता में सिमरन सिंह ने पहला स्थान हासिल किया. इस मुकाबले की खास बात ये थी कि, एथलेटिक्स के रनिंग प्रतियोगिता में अंडर-18 तक की लड़कियों को शामिल होना था. इसमें 12 साल की बच्ची सिमरन सिंह ने भी हिस्सा लिया था. सिमरन सिंह ने पहले ब्लॉक स्तर, जिला स्तर और फिर संभाग स्तर में अपने स्पीड से सबको चौका दिया. सिमरन ने 1 हजार मीटर की दौड़ को करीब 4 मिनट 20 सेकेंड में पूरा किया. अपने से 4 से 5 साल बड़ी उम्र की लड़कियों को भी बच्ची ने पीछे कर दिया.

स्टेट लेवल के लिए सिलेक्ट: एथलेटिक्स के एनआईएस कोच धीरेंद्र सिंह बताते हैं कि, मुख्यमंत्री कप में यह लड़की स्टेट लेवल के लिए सिलेक्ट हो गई है. यहां भी अंडर 18 तक की लड़कियां शामिल होंगी. जिसमें सिमरन भी शामिल होगी. बताया जा रहा है कि, जिस तरह कि इसकी स्पीड है, जितना यह मेहनत कर रही है, उसे देखकर सभी यही उम्मीद लगा रहे हैं कि लड़की स्टेट लेवल में भी कमाल कर सकती है.

सही डायरेक्शन मिलने पर करेगी कमाल: एथलेटिक्स के एनआईएस कोच धीरेंद्र सिंह का मानना है कि, अगर यह लड़की इसी तरह से खेलती रही, इस लड़की को सही डाइट मिलता रहा, सही डायरेक्शन मिलता रहा तो यह लड़की आगे चल के बड़े मेडल जीत सकती है. लड़की क्षेत्र का नाम रोशन कर सकती है, क्योंकि इतनी कम उम्र में इस लड़की में एक अलग ही स्पीड है जो रनिंग के एथलेटिक्स खिलाड़ियों में बहुत कम देखने को मिलता है.

रनर के साथ पुलिस बनने का सपना: सिमरन कक्षा सातवीं में पढ़ती है. जब हमने सिमरन सिंह से बात की और उससे पूछा की आगे क्या बनना चाहती हैं आप, तो उसने बड़ी बेबाकी से जवाब देते हुए बताया, "मुझे दौड़ना पसंद है तो मैं दौड़ूंगी ही, साथ ही मुझे भविष्य में पुलिस बनना है." इसी सपने के साथ वो मैदान में आकर लगातार दौड़ लगाते रहती है.

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गरीब घर से है सिमरन: सिमरन के पिता का नाम रामेश्वर सिंह है. वो कहते हैं कि वो अपने बच्चे को लगातार खेलने के लिए भेजते हैं, और उन्हें भी बड़ी खुशी होती है जब उनकी बच्ची कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करती है. सिमरन गरीब घर से है. उसके पिता की इतनी कमाई नहीं है. वे खेती और मजदूरी करते हैं. वह बताते हैं कि घर का खर्च तो नहीं चल पाता, लेकिन एडजेस्ट कर लेते हैं पर बेटी को दौड़ने के लिए जरूर भेजते हैं.

सही डाइट और दिशा की जरुरत: शहडोल जिले में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन यहां के खिलाड़ियों में एक बड़ी समस्या यह है कि यह खिलाड़ी गरीब घरों से आते हैं. इसकी वजह से इनके पास डाइट के लिए इतने संसाधन नहीं रहते हैं, न ही खेल को बारीकी से सीखने के लिए इतने कोच इन्हें मिल पाते हैं. इसकी वजह से ये खिलाड़ी कुछ समय के बाद खेल को ही छोड़ देते हैं, या फिर दूसरे खिलाड़ियों से पीछे हो जाते हैं. सिमरन सिंह ऐसी ही लड़की है, जिसमें टैलेंट तो बहुत ज्यादा है, लेकिन गरीब होने की वजह से सही डाइट और मार्ग मिलना बेहद जरूरी है.

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