शहडोल। शहडोल जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौत हो रही है. शहडोल जिले में अब तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी हैं. इन्हीं में दो बच्चियां उमरिया जिले की रहने वाली थी. जिनमें से एक शहडोल जिला मुख्यालय से महज लगभग चार से पांच किलोमीटर दूर चंदनिया गांव की रहने वाली थी. जहां ईटीवी भारत अपनी ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंचा. ईटीवी भारत ने उस मृतक बच्ची की मां से जानने की कोशिश की कि आखिर बच्ची के साथ क्या कुछ हुआ था और उस वक्त परिवार वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा सुनिए इस मां की दास्तां...
चार माह की बच्ची की मौत
शहडोल जिला चिकित्सालय में अभी हाल ही में जिन दो बच्चियों की मौत हुई उनमें से एक उमरिया जिले के चंदनिया गांव की रहने वाली चार माह की बच्ची शामिल है. जिसकी मौत हुई, उस चार माह की बच्ची का नाम रीतू है. परिजनों के मुताबिक आठ दिसंबर को बच्ची को इलाज के लिए जिला चिकितसालय में भर्ती कराया गया था.
बच्ची की मां ने ईटीवी भारत को सुनाई आपबीती
मृतक बच्ची की मां भारती बैगा ने ईटीवी भारत को बताया कि उसकी चार माह की बच्ची को अचानक से दस्त लग गए. जिसके बाद उसे उन्होंने जिला चिकित्सालय में आठ दिसंबर को भर्ती कराया था. जहां इलाज शुरू हुआ. उसे बोतल चढ़ाई गई. फिर बोला गया कि AC कमरे में ले जाऊं जब तक बच्ची ठंडी हो चुकी थी. उसके बाद बच्चा वाले वार्ड में लाकर फिर बोतल चढ़ाई गई लेकिन बोतल का पानी बहुत तेज चढ़ रहा था जब हमने वहां मौजूद नर्स को बोला तो हम पर झल्ला कर पड़ी. नर्स के व्यवहार को लेकर मृतक बच्ची की मां का दर्द झलक गया. यहां तक की वहां किसी से कुछ पूछों तो कोई ठीक से कुछ बताता ही नहीं था.
दोबारा देखने नहीं आते थे डॉक्टर
मृतक बच्ची की मां भारती बैगा ने बताया कि 12 तारीख को रात में अचानक से बच्ची की तबीयत बिगड़ी. मेरे सास-ससुर देखने गए. शनिवार रात को भाप दिलाने के बाद बच्ची सो गई. उठी तो मैं सोची भाप दिला दूं एक डेढ़ बजे भाप दिलाने गई. भाप कब दिलाना इसकी जानकारी भी कोई नहीं देता था. हम लोग खुद से भाप दिलाते थे. डॉक्टर सुबह आते थे और उसके बाद फिर पूरे दिन नहीं आते थे और जो दवाई सुबह लिख जाते थे वहीं दिनभर नर्स देती रहती थी.
अस्पताल में क्या छुट्टी के लिए बोले थे ?
बच्चे की मौत के बाद सिविल सर्जन का कहना था कि डॉक्टर बच्ची की सुबह छुट्टी करने वाले थे. जब हमने परिजनों से पूछा कि क्या छुट्टी के लिए कोई बोला था तो उनकी मां ने बताया कि कोई कुछ नहीं बोला था. हम लोगों से कुछ भी किसी ने नहीं बोला. बहुत से लोग डिस्चार्ज करवा कर जबरदस्ती ले भी जाते थे. तो वहां के लोग बोलते थे तुम लोग अपने से ले जाते हो, कुछ बच्चे को आगे होगा तो हम लोगों को मत बोलना. बच्चे की मौत किस वजह से हुई इसे लेकर कहती हैं बच्ची की मौत के बाद उन्हें कुछ भी याद नहीं है.
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जिला चिकित्सालय में बरती गई लापरवाही
बच्ची की मां बोलती है मेरे को वहां दिक्कत बस यही हुई कि मेरी बच्ची को बोतल चढ़ने के बाद उसको ऐसी रूम में भर्ती कर दिए. मेरी बच्ची पूरी ठंडी हो चुकी थी. उसको ऐसी में भर्ती किए. ऐसी में भर्ती होने के बाद वहां से आई तो बोतल चढ़ा तो मेरी बच्ची की सांस पूरी तरह से तेज हो गई. जब डॉक्टर राउंड पर आते थे तो मैं बोली सर इसकी दस्त तो खत्म हो चुकी है, लेकिन सांस तेज चल रही है, एक्सरे भी करवाई तो इतना कहते ही डॉक्टर बोलते थे कि तुमको बहुत है, तुमको जबलपुर बिलासपुर रेफर कर दूं. उसके बाद फिर डॉक्टर को बताया कि बच्ची के दस्त तो खत्म हो गई. बस उसकी सांस थम नहीं रही थी. सांस बहुत तेजी से चलने लगी मैं यही बोली इसका एक्सरे भी कराई, उसको भाप दिलाना होगा. मैं बोली दो दिन हो गया है लेकिन इसकी सांस फिर भी तेज चल रही है. तो डॉक्टर ने मुझे बोला कि तुम बाहर ले जाओ, जहां दिखाना हो तो दिखा दो. इस बात पर मैं कुछ नहीं बोली, मैं सोची अभी तो जितना नॉर्मल है बाहर जाते ले जाते समय कुछ और ना हो जाए.
इससे पहले बच्ची क्या बीमार थी ?
जब हमने बच्चे की मां से पूछा कि इससे पहले भी क्या बच्ची बीमार थी, तो उन्होंने बताया कि बीमारी हुई थी. बच्ची को दो दिन पहले ही दिखाया था. प्राइवेट क्लीनिक में सुनील हथगेल डॉक्टर को दिखाया था. एक दिन दवाई चली थी फिर जिला अस्पताल में एडमिट कर दिया था.
सांस की नली में दूध फंसने से नहीं हुई थी मेरी बच्ची की मौत...
बच्ची की मौत की वजह सिविल सर्जन ने बताया कि बच्ची की मां सो गई थी और बच्ची भी दूध पीते-पीते सो गई थी जिसकी वजह से बच्ची के सांस नली में दूध फंस गया और बच्ची की मौत हो गई. इस बारे में जब हमने बच्चे की मां से पूछा तो बच्चे की मां ने इसे सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि मैं सोई नहीं रही. मुझे नर्स ने भी बताया था कि सोते-सोते बच्चे को दूध मत पिलाना, श्वास नली में चली जाती है तो मैं उसको लेकर सोई नहीं, मेरी बच्ची उठ गई थी. तो पापा बोले लाओ घुमा दूं. तुम आराम कर लो. मेरी जब बच्ची तकलीफ में थी. मैं कैसे सो जाती. घुमाने के बाद बच्ची को भाप दी गई थी. लेकिन रात में अचानक से बच्ची की मौत हो गई.