शहडोल। जिले में पिछले कुछ दिन से एक बार फिर से बारिश का दौर थम गया था. तेज धूप हो रही है, गर्मी भी जमकर हो रही है. जिसकी वजह से किसान अब चिंतित हैं. खासकर वो किसान जो धान की खेती कर रहे हैं, क्योंकि अभी भी धान की फसल में पानी की जरूरत है. ऐसे किसानों के लिए मौसम विभाग की ओर से अच्छी खबर है. मौसम विभाग ने एक बार फिर से बारिश का अनुमान लगाया है.
फिर बरसेंगे बदरा: मौसम वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह गांधी के मुताबिक भारत मौसम विभाग से जो मध्यम अवधि के पूर्वानुमान मिले हैं. उसके तहत अगले कुछ दिनों के दौरान 5 अक्टूबर तक शहडोल जिले में बादल छाए रहने एवं हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है. अधिकतम तापमान 31 से 33 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है, तो वहीं न्यूनतम तापमान 23.5 से 24.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा सकता है.
धान की फसल को पानी की जरूरत: बता दें की शहडोल जिले में सबसे ज्यादा बड़े रकबे में धान की फसल की खेती की जाती है. धान की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत भी होती है. शहडोल जिले में धान की खेती ज्यादातर किसान देरी से शुरू करते हैं. जिसकी वजह से अभी ज्यादातर किसानों के फसलों पर बालियां आना शुरू हुई हैं. ऐसे में पिछले कुछ दिनों से बारिश नहीं हो रही है, तेज धूप हो रही है, गर्मी भी जमकर हो रही है. जिसकी वजह से अब खेतों में किसानों को पानी की जरूरत थी. किसान भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. इस तरह से मौसम विभाग ने एक बार फिर से इस हफ्ते बारिश का अनुमान लगाया है. जिससे एक बार फिर से किसानों के चेहरे खुशी से खिल गए हैं, क्योंकि उनके फसलों को इस समय पानी की बड़ी दरकार थी.
उड़द तिल की फसल पककर तैयार: हालांकि जो किसान उड़द और तिल दलहनी फसलों की खेती कर रहे हैं, उनकी चिंता जरूर बढ़ गई है, क्योंकि उड़द और तिल की फसल इन दिनों पककर तैयार है. किसान फसल को काटने की तैयारी में है, लेकिन एक बार फिर से मौसम विभाग ने जब बारिश का अनुमान लगाया है उसके बाद से उड़द और तिल की फसल की खेती करने वाले किसान थोड़ी चिंतित जरूर है, क्योंकि अगर बारिश होगी तो उनके फसलों का नुकसान हो सकता है. साथ ही वह समय पर अपनी फसलों की कटाई भी नहीं कर पाएंगे.
रबी फसलों की करें बुवाई: कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि अगर उनके खेतों में इन दिनों पर्याप्त नमी है,और खेत खाली है. तो किसानों को रवि के फसलों की बुवाई भी अब शुरू कर देनी चाहिए. रवि के फसलों में जैसे सरसों, अलसी, मटर और मसूर जैसे बीज को उपचारित करके बुवाई का काम शुरू कर देना चाहिए. जिससे समय पर उनके खेतों की बुवाई हो सके.