MP Tribal Community Custom: शहडोल जिला आदिवासी बहुल इलाका है और यहां पर आज भी दगना जैसी कुप्रथाएं हावी हैं. झाड़ फूंक, अंधविश्वास, दगना जैसी कुप्रथाएं बहुत ज्यादा हावी हैं, जिसके शिकार आज भी मासूम हो रहे हैं. एक बार फिर से शहडोल जिले में दगना कुप्रथा का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक 5 माह के मासूम को 21 बार गर्म सलाखों से दागा गया है.
जानिए पूरा मामला: पूरा मामला शहडोल जिला मुख्यालय से लगे हुए सोहागपुर थाना क्षेत्र के मैकी गांव का है, जहां निमोनिया और सांस लेने की तकलीफ होने पर एक मासूम बच्चे को पहले गर्म सलाखों से दागा गया. हैरानी की बात तो यह है कि उनके परिजनों ने ही मासूम को इसलिए गर्म सलाखों से दगवाया कि बच्चा ठीक हो जाएगा, लेकिन जब वह ठीक नहीं हुआ उसकी हालत और बिगड़ गई तो फिर उसे आनन फानन में शहडोल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां एसएनसीयू में उसका इलाज चल रहा है.
आदिवासी कुप्रथाओं पर करते हैं विश्वास: इस पूरे मामले को लेकर शहडोल जिला पंचायत सीईओ राजेश जैन का कहना है कि "शहडोल ही नहीं बल्कि आदिवासी अंचल के सभी जगह पर दगना कुप्रथा है, जिसमें उन्हें विश्वास है कि दगना से ही बच्चे स्वस्थ होते हैं. इस संबंध में हेल्थ डिपार्टमेंट और महिला बाल विकास और एवं मीडिया भी यहां पर काफी जन जागरूकता अभियान चला रहा है और इसमें सतत कार्रवाई जारी है."
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कहां रह रही कमी: गौरतलब है कि शहडोल जिले में आए दिन दगना कुप्रथा को लेकर खबरें आती ही रहती हैं और इसके शिकार मासूम अक्सर होते हैं. जब मासूमों की हालत बिगड़ जाती है, तब उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया जाता है और फिर पूरी बातें सामने आती है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर कमी कहां है. क्या स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन मैदान पर अपने काम को सही तरीके से अंजाम नहीं दे पा रहा है, क्या लोगों में अवेयरनेस की कमी है, क्या स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लोगों तक आसानी से नहीं पहुंच पा रही हैं, जिसकी वजह से वो ठीक होने के लिए दगना जैसे दंस को भी झेलने के लिए तैयार रहते हैं. सवाल कई हैं और सवाल सिस्टम पर भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि अक्सर ही दगना कुप्रथा को लेकर जब प्रशासन से सवाल किए जाते हैं या कहें कि स्वास्थ्य विभाग से सवाल किए जाते हैं तो ऐसे मामलों को वहां भी दबाने की कोशिश की जाती है, जो कई सवाल खड़े करता है.