शहडोल। शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है, इस जिले में आए दिन मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटनाएं सामने आती हैं. एक बार फिर एक ऐसा ही दृश्य सामने आया, जिससे स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं की हकीकत सामने आ गई. एक बेबस पिता अपनी बेटी की मौत के बाद उसके शव को बाइक पर ले जाने को मजबूर हुआ. हालांकि कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद मजबूर पिता को वाहन उपलब्ध कराया गया.
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#VIDEO : बेहद शर्मनाक! रात के अंधेरे में बेटी का शव बाइक से घर ले जाने को मजबूर बेबस पिता. शहडोल का यह शर्मसार करने वाला वीडियो है. #MadhyaPradesh @ChouhanShivraj pic.twitter.com/OCr9yDALQJ
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ये है पूरा मामला: शहडोल जिले के बुढार ब्लॉक के कोटा गांव में रहते हैं लक्ष्मण सिंह. लक्ष्मण सिंह की बेटी 13 साल की माधुरी, सिकलसेल एनीमिया (Sickle cell Anemia) बीमारी से ग्रसित थी. उसका इलाज शहडोल जिला अस्पताल में चल रहा था, जहां उसे भर्ती कराया गया था. सोमवार को इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. परिजनों ने शव को अपने गांव तक ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस की मांग की, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कहा कि 15 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा. आपको खुद वाहन की व्यवस्था करनी पड़ेगी.
कलेक्टर पहुंची मौके पर: गरीब व लाचार पिता अपनी बच्ची का शव निजी वाहन से ले जाने की स्थिति में नहीं था, क्योंकि उसके पास इतने पैसे नहीं थे. उसने अस्पताल प्रशासन से लगातार गुहार लगाई, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. इसके बाद मजबूर होकर पिता अपनी बेटी के शव को बाइक पर रखकर निकल पड़ा. वह अपने परिजन की मदद से बाइक पर बेटी के शव को रखकर रात के अंधेरे में निकला. इसी बीच मामले की जानकारी कलेक्टर को लगी, इसके बाद कलेक्टर मौके पर पहुंची और उस बेबस पिता को वाहन उपलब्ध कराया गया.
ये हालात कब सुधरेंगे : इस मामले को लेकर शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य का कहना है कि "जानकारी के अभाव में एंबुलेंस नहीं मिल पाई थी, जिसे फिर डायल 100 वाहन उपलब्ध करा दिया गया." बहरहाल भले ही कलेक्टर ने मानवता का परिचय दिया हो, लेकिन अस्पताल प्रशासन की अमानवीयता का क्या इलाज है. बड़ा सवाल यह भी है कि आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में कभी खाट, तो कभी बाइक और कभी रिक्शा पर शव को ले जाने के लिए परिजन मजबूर हो रहे हैं. इस तरह की तस्वीरें कई बार सामने आ चुकी हैं. आखिर मानवता को शर्मसार कर देने वाली और सिस्टम को तमाचा मारने वाली ऐसी तस्वीरें कब तक सामने आती रहेंगी.