शहडोल। अभी हाल ही में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान हुए है, जिसमें मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. इतना ही नहीं गांव की सरकार में जहां पहले चरण के मतदान के जो रुझान आए हैं, उसमें कई नए चेहरों की जीत हुई है तो वहीं गांव के कई बड़े-बड़े नेता युवाओं से पीछे रह गए. फिलहाल अब मतदाताओं के इस मूड ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. (MP Panchayat Election 2022) (Shahdol Panchayat Election 2022)
बड़ी पार्टियों के दिग्गजों की बढ़ी चिंता: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 25 जून को पहले चरण का मतदान हो गया है और इसके रुझान भी आ गए हैं, हालांकि इसके रिजल्ट की औपचारिक घोषणा 14 और 15 जुलाई को होगी, लेकिन जो रुझान आए हैं उसने कई बड़ी पार्टियों के दिग्गजों की चिंता बढ़ा दी है. चाहे बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों पार्टियों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि गांव के मतदाताओं ने इस बार ज्यादातर युवा चेहरों को पसंद किया है और बीजेपी और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को नकार दिया है. अभी शहडोल में पंचायत चुनाव के दो चरण के मतदान और होने हैं, साथ ही नगरी निकाय के चुनाव होने हैं. ऐसे में प्रत्याशी अब चिंता में हैं कहीं मतदाताओं का रुख उनके लिये भी ऐसा न हो जाए.
निर्दलीय पक्ष में जाता दिखा मतदाता: शहडोल जिले के सोहागपुर जनपद क्षेत्र अनूपपुर जिले में पुष्पराजगढ़ जनपद क्षेत्र और उमरिया जिले में पाली व करकेली जनपद पंचायत में हुए पंच सरपंच जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के लिए हुए चुनाव के बाद जो रुझान आए हैं, उसने मतदाताओं की पसंद बता दी है. आलम यह रहा कि कई नए चेहरे बड़ी आसानी से और बड़े बहुमत के साथ जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, तो वहीं भाजपा के कई बड़े नेता तो गांव में पंच पद के चुनाव तक में भी पीछे रह गए. यही स्थिति कांग्रेस नेताओं की सामने आई ज्यादातर कांग्रेस नेता जनपद और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में नए चेहरों को भी टक्कर नहीं दे सके, तो वहीं कई जगह तो कांग्रेस भाजपा की जगह पर निर्दलीय के पक्ष में मतदाता जाता दिखा. यह स्थिति अकेले शहडोल जिले में ही नहीं बल्कि संभाग के उमरिया अनूपपुर जिले में भी सामने आई है.
भाजपा के कई नेताओं की हार: पंचायत चुनाव के पहले चरण के जो रुझान हैं, उसमें भाजपा नेताओं पर नजर डाली जाए तो सोहागपुर जनपद पंचायत के चुनाव में जीत का दम भरने वाले भाजपा संगठन से जुड़े कई लोग चुनाव हार गए हैं. हारने वाले में कुछ तो भाजपा के जिला स्तर पर पदाधिकारी भी हैं, तो कुछ स्वयं मैदान पर नहीं उतरे बल्कि रिजर्व सीट होने के चलते अपनी पत्नियों को या फिर दूसरे कैंडिडेट्स को मैदान में उतारा. इस तरह के आधा दर्जन से अधिक नेताओं को हार का सामना करना पड़ा, हालांकि पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा गया था लेकिन प्रत्याशियों को पार्टी का हर तरह से समर्थन था.
इन नेताओं ने देखा हार का मुंह: भाजपा के एक नेता तो किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष हैं, लेकिन उनका किसानों ने ही साथ नहीं दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दरअसल भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष रवि कांत त्रिपाठी वार्ड क्रमांक 12 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गए, इसी वार्ड में दो बार के जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत उपाध्यक्ष रह चुके किशोरी लाल चतुर्वेदी और जनपद पंचायत सदस्य के चुनाव में भी कुछ पदाधिकारियों की हार हुई है. वार्ड क्रमांक 12 से भाजपा जिला उपाध्यक्ष सुशील शर्मा की पत्नी जनपद पंचायत सदस्य का चुनाव हार गईं, वहीं भाजपा जिला उपाध्यक्ष और पूर्व सोहागपुर जनपद उपाध्यक्ष भूपेंद्र मिश्रा की पत्नी को भी हार का सामना करना पड़ा. बता दें कि इन दोनों ही भाजपा के नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर वोट मांगे थे, लेकिन जनता ने इनका साथ नहीं दिया. इसके अलावा जिला महामंत्री दीपक शर्मा की पत्नी भी जनपद सदस्य का चुनाव, सिंहपुर मंडल अध्यक्ष राकेश कुशवाहा जनपद सदस्य का चुनाव इसके अलावा पूर्व मंडल अध्यक्ष भी जनपद सदस्य का चुनाव हार गए, हालांकि अभी इसके औपचारिक परिणाम आने बाकी हैं.
प्रत्याशियों की उड़ी नींद: फिलहाल शहडोल जिले में पंचायत चुनाव के बाद नगरी निकाय के भी चुनाव होने हैं, जिले में भी धनपुरी नगरपालिका, खाड़ नगर परिषद ब्यौहारी नगर परिषद और बकहो नगर परिषद के निकाय क्षेत्र में चुनाव होने हैं. यहां बीजेपी कांग्रेस सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, लेकिन पंचायत चुनाव के पहले चरण के चुनाव ने इन प्रत्याशियों की नींद भी उड़ा कर रख दी है.