शहडोल। यूं तो भारत देश में क्रिकेट का बोलबाला है, जहां भी देखेंगे हर बच्चे के हाथ में क्रिकेट बैट और बॉल ही नजर आते हैं. गली मोहल्ले में क्रिकेट के खिलाड़ी खेलते नजर आते हैं. शहडोल जिले में भी क्रिकेट प्रेमियों की कमी नहीं है, छोटे बच्चों से लेकर युवाओं तक क्रिकेट का यहां एक अलग ही जुनून है. यही वजह भी है कि शहडोल से पूजा वस्त्रकार जैसी इंटरनेशनल खिलाड़ी निकल चुकी हैं, जो इन दिनों भारतीय महिला टीम से अपना जलवा बिखेर रही हैं. आज हम एक ऐसे कोच के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो कभी खुद बास्केटबॉल जैसे खेल के खिलाड़ी थे. इनके मन में कसक थी कि क्रिकेट के इस जुनून के बीच बास्केटबॉल की टीम तैयार करनी है. बस इसी जुनून ने 30-32 साल के संघर्ष के बाद इस आदिवासी अंचल में बास्केटबॉल के ऐसे खिलाड़ी तैयार कर दिए जो अब नेशनल लेवल पर अपनी धमक दिखा रहे हैं.
क्रिकेट के बाद बास्केटबॉल का जलवा: शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य इलाका है और इस जिले की खेल की दुनिया में एक अलग ही पहचान है. बास्केटबॉल जैसे खेल में भी इन दिनों शहडोल जिले का डंका नेशनल लेवल पर बज रहा है. पूरे मध्य प्रदेश की टीम में पिछले कुछ सालों से शहडोल जिले के खिलाड़ियों का बोलबाला है, जो शहडोल जिले के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. लेकिन इस बार तो उन्होंने एक अलग ही रिकॉर्ड बना दिया है, जिसके बाद से पूरे मध्य प्रदेश में शहडोल छा गया है. पूरे मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में शहडोल का एक अलग ही नाम हो गया है.
13 खिलाड़ी नेशनल में सेलेक्ट: इस बार बास्केटबॉल में शहडोल को एक अलग ही उपलब्धि मिली है. शहडोल के 13 ऐसे खिलाड़ी हैं जो अलग-अलग एज ग्रुप में नेशनल के लिए इस बार सेलेक्ट हुए हैं जिसमें गर्ल्स भी हैं और बॉयज भी हैं जो शहडोल बास्केटबॉल के लिए किसी बड़े अचीवमेंट से कम नहीं है.
कौन-कौन हुआ सेलेक्ट: शहडोल जिले से जो तेरह खिलाड़ी बास्केटबॉल के खेल में नेशनल के लिए सिलेक्ट हुए हैं, उसमें लक्ष्य बत्रा, उत्कर्ष गुप्ता, शिखर शुक्ला, एवं कृष्णा चौरसिया का सिलेक्शन 17 वर्ष बालक वर्ग में हुआ है तो वहीं सृष्टि गुप्ता, दिशी त्रिपाठी, खुशी त्रिपाठी, जिया खान का चयन 17 वर्ष बालिका वर्ग में हुआ है. इसके अलावा 14 वर्ष की बात करें, तो सक्षम गुप्ता, हर्ष चक्रवर्ती का चयन बालक वर्ग के लिए हुआ है, तो वहीं कृपा गुप्ता, अनुष्का कारंगले और आशी गुप्ता का सिलेक्शन 14 वर्ष बालिका वर्ग के लिए हुआ है.
शहडोल को मिली सफलता: कोच के के श्रीवास्तव बताते हैं कि अभी हाल ही में हमारी टीम इंदौर में ओपन जिला टूर्नामेंट में सेकंड पोजीशन लेकर आई. अभी खेलो एमपी में भी हमने थर्ड पोजिशन हासिल किया है. हमारे शहडोल संभाग की टीम को सफलता मिली है और 67वीं राज्य स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता में भी हमने गोल्ड मेडल हासिल किया है. अंडर 17 गर्ल्स और बॉयज दोनों में और यह दोनों मैच जीतने की वजह से ही मध्य प्रदेश में हमें इस बार की चैंपियंस ट्रॉफी भी मिली है जो हमारे लिए बहुत बड़ी सफलता है.
कोच हो तो ऐसा: जैसे ही शाम के 4 बजते हैं शहडोल के गांधी स्टेडियम में क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच में बास्केटबॉल खेलने के लिए छोटे-छोटे बच्चे और बड़े खिलाड़ियों की भीड़ जुटने लगती है जहां पर हर एक ग्रुप के खिलाड़ी इस बास्केटबॉल कोर्ट में बास्केटबॉल के गुर सीखते नजर आते हैं और जमकर पसीना बहाते हैं. इन खिलाड़ियों की प्रैक्टिस देखकर आप भी कहेंगे कि वाकई यहां से खिलाड़ी न निकलें तो कहां से निकलें और यह हो सका है कोच के के श्रीवास्तव के 32 साल के संघर्ष की वजह से जिनसे ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
बास्केटबॉल टीम बनाना सपना था: शहडोल जिले के रहने वाले कोच के के श्रीवास्तव बताते हैं कि वह खुद भी कभी बास्केटबॉल के खिलाड़ी थे और जब वो खेलते थे तो उन्हें अच्छी ट्रेनिंग नहीं मिल पाती थी ना ही अच्छी व्यवस्थाएं मिल पाती थीं. तब से ही उनके मन में कसक थी कि वह कभी ना कभी अपनी एक बास्केटबॉल की टीम जरूर बनाएंगे और इसी सपने को लेकर उन्होंने करीब 30 से 32 साल पहले इसी शहडोल से एक शुरुआत की थी बास्केटबॉल टीम बनाने की.
खिलाड़ियों के लिए घर घर गए: क्रिकेट का जुनून इस बीच में बास्केटबॉल के लिए खिलाड़ी ढूंढ कर लाना शुरुआत में मुश्किल काम हुआ. कोच के के श्रीवास्तव बताते हैं कि पहले तो वह स्कूलों में बच्चों से संपर्क करते थे उन्हें मोटिवेट करते थे और फिर बास्केटबॉल कोर्ट तक लेकर आते थे और उन्हें ट्रेंड करते थे लेकिन एक दौर ऐसा भी आया जब मेहनत ने रंग दिखाया और यहां से खिलाड़ी बड़े स्तर पर सेलेक्ट होने लगे तो फिर धीरे-धीरे यहां बच्चों का रुझान बढ़ने लगा उनके परिजनों का रुझान भी बढ़ा और अब तो आलम यह है कि यहां पर करीब 100 से 120 बच्चे जिसमें हर एज ग्रुप के खिलाड़ी शामिल हैं गर्ल्स भी हैं बॉयज भी हैं. हर दिन प्रेक्टिस करने आते हैं और बास्केटबॉल के लिए अपना जमकर पसीना बहाते हैं.
अब बच्चों को लेकर आते हैं परिजन: कोच केके श्रीवास्तव कहते हैं कि शहडोल जिले से जब खिलाड़ी नेशनल के लिए या फिर बड़े स्तर के लिए सिलेक्ट होते हैं तो उन्हें बड़ी खुशी होती है. बास्केटबॉल की सफलता देखकर तो उनका मन प्रसन्न हो जाता है. उन्होंने सोचा भी नहीं था कि 30-32 साल का ये संघर्ष उन्हें इस मोड़ तक ले आएगा आज अपने से परिजन बास्केटबॉल के लिए अपने बच्चों को लेकर आते हैं और यहां पर बास्केटबॉल सिखाने के लिए कहते हैं तब बड़ी खुशी होती है, क्योंकि एक दौर उन्होंने वह भी देखा है जब उन्हें खुद बच्चों को लेने जाना पड़ता था.
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एमपी टीम के बने कोच: कोच के के श्रीवास्तव बताते हैं कि उनके खिलाड़ियों को तो इस बार सफलता मिली ही है, साथ ही उन्हें भी अंडर 17 बॉयज और अंडर 17 गर्ल्स टीम के नेशनल गेम्स के लिए एमपी टीम का कोच नियुक्त किया गया है जिसे लेकर वह भी काफी खुश नजर आए. इतना ही नहीं जो खिलाड़ी सेलेक्ट हुए उनका प्री नेशनल कैंप शहडोल में ही होगा जिनके कोच के के श्रीवास्तव होंगे. 14 वर्ष बालिका का कैंप 1 जनवरी से 5 जनवरी तक शहडोल में लगेगा उसके बाद 8 से 13 जनवरी 2024 तक राष्ट्रीय शालेय बास्केटबॉल प्रतियोगिता जो राजस्थान में खेला जाएगा उसमें शामिल होंगे.
बास्केटबॉल के इंटरनेशनल खिलाड़ी देंगे: कोच के के श्रीवास्तव कहते हैं कि वैसे भी खेल के मामले में शहडोल में हमेशा हैपनिंग रही है. क्रिकेट में ही देख लीजिए शहडोल कितना सफल है. कई खिलाड़ी यहां एमपी टीम से खेलते हैं. पूजा वस्त्रकार इंटरनेशनल प्लेयर हैं. बास्केटबॉल में भी शहडोल से इसी अकादमी से पंकज सिंह जूनियर इंडिया कैंप कर चुके हैं और हमें उम्मीद है कि जिस तरह से अब खिलाड़ी यहां आ रहे हैं और सफल हो रहे हैं नेशनल लेवल के लिए सिलेक्ट हो रहे हैं आने वाले कुछ समय में हम शहडोल से भी बास्केटबॉल के इंटरनेशनल खिलाड़ी देंगे.