शहडोल। जिले में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए कोरोना कर्फ्यू जारी है. वहीं, पुलिस भी लोगों से कोरोना कर्फ्यू का पालन सख्ती से करवा रही है. गर्मी के मौसम में भी मिट्टी के मटके बेचने वाले व्यापारियों का व्यापार नहीं हो पा रहा है. क्योंकि लोगों में कोरोना का डर इतना है कि वह घरों से ज्यादा नहीं निकल रहें. इसकी वजह से उनके सामने अब आर्थिक संकट पैदा हो गई है.
आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं मटका व्यापारी
उमरिया से आए मटका व्यापारी हर साल गर्मी के मौसम में सड़क किनारे चंदिया का मटका लेकर बैठ जाते हैं और ग्राहकों का इतंजार करते हैं, लेकिन पिछले साल से कोरोना के कारण इनका व्यापार पूरी तरह से चौपट हुआ है. इस साल भी उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. अब मटका व्यापारी इसी उम्मीद में है कि किसी तरह, जो मटका उन्होंने पहले से बनाकर रखा हुआ है वह बिक जाए.
ग्राहक मटका खरीदने नहीं पहुंच रहे
चंदिया से आए मटका व्यापारी काफी परेशान हैं, उनका कहना है कि इसे बनाने के लिए वह चार महीने मेहनत करते हैं, जिसके बाद मटका तैयार होता है. दो महीने अलग-अलग जगहों पर ले जाकर वह इसे बेचते हैं, लेकिन पिछले साल से उनका मटका नहीं बिक रहा है, जिसके कारण उन्हें बहुत नुकसान हो रहा है. पहले ही कोरोना के भयावह रूप से उन्हें डर लग रहा है, जिसके बाद भी वह दुकान खोल रहे हैं, लेकिन ग्राहक दुकानों में नहीं पहुंच रहे हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए 9 अप्रैल से ही कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है.
ब्रांड हैं चंदिया के मटके
लोगों ने बताया कि चंदिया के मिट्टी में एक अलग ही बात होती है. वहां की मिट्टी से बने मटके बहुत ही खास होते हैं. दूर-दूर से आकर लोग चंदिया के मटके खरीदते हैं. चंदिया के मटकों की खासियत यह है कि चंदिया की मिट्टी मजबूत होती है, पानी बहुत ठंडा होता है और जो मिट्टी के बर्तन होते हैं उससे पानी सीपेज होने की समस्या होती है, लेकिन चंदिया की मिट्टी से बने मटके से पानी बिल्कुल भी सीपेज नहीं होता है.
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कोरोना ने हर वर्ग को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, जिसमें इन व्यापारियों का भी बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. खासकर घड़ा बेचने वाले व्यापारी, तो बहुत ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि मटके की ब्रिक्री के सीजन में कोरोना का भयंकर रूप में आ जाता है.