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सरकार का दावा-ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई किसी की मौत, लेकिन शहडोल में हुई ये मौतें बता रही सच्चाई

केंद्र की मोदी सरकार का दावा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किसी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में कोई मौत नहीं हुई है, जबकि सच्चाई ये है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक दो नहीं, बल्की हजारों मौतें हुई थी. इसका जीता जाता एक उदाहरण है एमपी का जिला शहडोल, जहां मृतकों के परिजन खुद बया कर रहे हैं, उस काली रात की दास्तां....

death due to oxygen
ऑक्सीजन की कमी से मौतें
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Published : Jul 21, 2021, 11:56 PM IST

शहडोल। कोरोना का कहर भले ही इन दिनों थमा हुआ है, लेकिन दूसरी लहर की भयावहता शायद ही कोई भुला पाएगा, कोरोना का तांडव क्या होता है ये शहडोल ने भी देखा है, यहां के भी कई लोगों ने अपनों को खोया, कोरोना के दूसरी लहर में कई कमियां भी उजागर हुईं, कई लोगों की जान तो समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने की वजह से गईं, इतना ही नहीं कोरोना के दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी और उसके लिए जूझते मरीजों के परिजनों को साफ देखा गया.

शहडोल मेडिकल कॉलेज में भी एक वक्त ऐसा आया था जब ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मच गया था, कई लोगों की जान भी गई थी, तो वहीं दूसरी ओर अब केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों से ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत की कोई सूचना नहीं मिली है. तो आप खुद सुनिए उन परिजनों की जुबानी, जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोया.

जब शहडोल मेडिकल कॉलेज में मचा था हाहाकार
दरअसल, मेडिकल कॉलेज में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 17 अप्रैल को रात में ऑक्सीजन की कमी के चलते कई लोगों की जान गई थी, और शहडोल मेडिकल कॉलेज में हाहाकार मचा हुआ था. वो तस्वीरें आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं. बताया गया था कि सभी मरीज शहडोल मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती थे. लोगों के मुताबिक, ऑक्सीजन कम होते ही मरीज यहां तड़पने लगे थे. सुबह होते-होते एक-एक करके कुछ लोगों ने दम तोड़ दिया था, और वहीं अब जब कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता थोड़ी बहुत कम हुई है तो अब केंन्द्र सरकार का ये कहना कि राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से मौत की कोई सूचना नहीं. इस बात ने मामले को और तूल दे दिया है.

ऑक्सीजन की कमी से अपनों खोने वाले परिजन
पीड़ितों के जुबानी सुनिए ऑक्सीजन की कमी की कहानी
बता दें कि, जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर धनपुरी के रहने वाले 31 वर्षीय पवन केवलानी की मौत कोरोना से हुई थी, उनके बड़े भाई प्रेम केवलानी बताते हैं कि उनका छोटा भाई था पवन केवलानी, और वो लोग कोविड-19 के चेकअप के लिए मेडिकल कॉलेज गए थे, तो वहां उनके भाई को कोरोना पॉजिटिव बताकर भर्ती करा लिया गया था, और पॉजिटिव होने के बाद वहां उसका इलाज चल रहा था. वो बिल्कुल अच्छा था, लेकिन एक दिन 17 अप्रैल की रात को ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से 18 अप्रैल को जब सुबह गए हैं, तो लगभग यहां 16 से 17 लोगों की मौतें एक साथ हो गईं थी, पवन के बड़े भाई बताते हैं कि रात को हम 11 बजे देखकर आए थे तो उनके पवन की पल्स की स्पीड 90-91 चल रही थी, और सुबह मरीज की भोर में मौत हो गई और उस दिन 16 से 17 मौतें हुई थीं. उन्होंने बताया कि उस दिन पूरे दिन इस तरह का सिलसिला चलता रहा.


'डीन ने खुद कहा ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत'

मामला तब गंभीर हो गया जब सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है, और नॉर्मल मौत हुई है, मृतक के भाई ने बताया कि उस समय डीन ने ये खुद कहा था कि ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से ये मौतें हुई हैं. पीड़ित का कहना है कि अभी वह कोविड का सर्टिफिकेट लेने के लिए दो माह से दौड़ रहा है, लेकिन उसे अभी कोविड का सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं.

यहां भी ऑक्सीजन की कमी से मौत
वहीं, ऑक्सीजन की कमी से दूसरी मौत जिला मुख्यालय से महज 10 किलो मीटर दूर स्थित पटासी गांव के रहने वाले 29 वर्षीय राज कुमार की भी हुई थी. मरीज की मौत 17-18 अप्रैल की दरमियानी रात को हुई थी, उनके भाई राम कुमार उस रात की कहानी बताते हैं कि मेरे भाई 4 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हो गए थे.'मैंने उस समय जिला अस्पताल में एडमिट कराया था. वहां से उन्हें शहडोल मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया गया था, मृतक का भाई बताता हैं कि रैफर कराने के बाद उनके भाई की कंडीशन सही हो गई थी.

कुछ तड़प रहे थे कुछ की मौत हो चुकी थी
इतना ही नहीं मृतका का भाई 17 तारीख को अपने भाई को अच्छे से खाना खिलाकर रात को करीब एक बजे घर वापस आया था. उसने घर पहुंच कर भाई से वीडियो कॉल के जरिए बात भी की. इस दौरान पीड़ित का भाई बोल रहा था कि, मेरी छुट्टी करवा दीजिए, मुझे सही लग रहा है उस दिन उनका ऑक्सीजन लेवल 96 था, वो स्वस्थ्य थे अच्छे थे, मृतक के भाई ने बताया कि 'रात में मैं नीचे सोया था तो सुबह पांच बजे पता चला कि हल्ला हो रहा.' सब लोग यहां वहां अस्त व्यस्त हो रहे थे. मृतक के भाई ने कहा, जब हंगामा देखकर वह गया तो, करीब एक घंटा अंदर नहीं जाने दिया गया. जब उसने अंदर जाकर देखा तो कुछ लोगों की मौत हो चुकी थी और कुछ लोग ऑक्सीजन की कमी की वजह से तड़प रहे थे.'

अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल देखकर जब पीड़ित का भाई अपने घर से और परिजनों को बुलाने गया और वापस आया, तब तक उसके भाई की भी ऑक्सीजन की कमी से मौत हो चुकी थी. उस दिन राज कुमार के भाई के अलावा 7 और लोगों की मौत हो चुकी थी, और जिस वार्ड में थे उसमे आईसीयू में करीब 16 से 17 लोग खत्म हो गए थे, मृतक के परिजन ने डीन से जब पूछा तो बोले ऑक्सीजन की कमी है, टैंकर नहीं आ पा रहा हैं. कहीं पर फंसा हुआ है. इससे स्पष्ट होता है कि उस दिन ऑक्सीजन की दिक्कत थी, उन्होंने बताया और टैंकर करीब शाम को 4 बजे आया.


क्या भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हो चुकी है ?

सराकार के दावों की खुली पोल
गौरतलब है कि एक ओर राज्यसभा में केंद्र सरकार ने यह बयान दिया कि कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह से एक भी मौत नहीं हुई. सरकार ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है, जबकि मध्य प्रदेश के अकेले शहडोल मेडिकल कॉलेज में आक्सीज की कमी की वजह से कोहराम मच गया था, और कई लोगों की जान चली गई थी, अभी भी उस काली रात को उनके परिजन भूले नहीं हैं, और आज भी वो उस रात का दर्द आंसुओं के साथ बयां कर रहे हैं, जो सरकार के दावों की पोल खोल रही है.

शहडोल। कोरोना का कहर भले ही इन दिनों थमा हुआ है, लेकिन दूसरी लहर की भयावहता शायद ही कोई भुला पाएगा, कोरोना का तांडव क्या होता है ये शहडोल ने भी देखा है, यहां के भी कई लोगों ने अपनों को खोया, कोरोना के दूसरी लहर में कई कमियां भी उजागर हुईं, कई लोगों की जान तो समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने की वजह से गईं, इतना ही नहीं कोरोना के दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी और उसके लिए जूझते मरीजों के परिजनों को साफ देखा गया.

शहडोल मेडिकल कॉलेज में भी एक वक्त ऐसा आया था जब ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मच गया था, कई लोगों की जान भी गई थी, तो वहीं दूसरी ओर अब केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों से ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत की कोई सूचना नहीं मिली है. तो आप खुद सुनिए उन परिजनों की जुबानी, जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोया.

जब शहडोल मेडिकल कॉलेज में मचा था हाहाकार
दरअसल, मेडिकल कॉलेज में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 17 अप्रैल को रात में ऑक्सीजन की कमी के चलते कई लोगों की जान गई थी, और शहडोल मेडिकल कॉलेज में हाहाकार मचा हुआ था. वो तस्वीरें आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं. बताया गया था कि सभी मरीज शहडोल मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती थे. लोगों के मुताबिक, ऑक्सीजन कम होते ही मरीज यहां तड़पने लगे थे. सुबह होते-होते एक-एक करके कुछ लोगों ने दम तोड़ दिया था, और वहीं अब जब कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता थोड़ी बहुत कम हुई है तो अब केंन्द्र सरकार का ये कहना कि राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से मौत की कोई सूचना नहीं. इस बात ने मामले को और तूल दे दिया है.

ऑक्सीजन की कमी से अपनों खोने वाले परिजन
पीड़ितों के जुबानी सुनिए ऑक्सीजन की कमी की कहानी
बता दें कि, जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर धनपुरी के रहने वाले 31 वर्षीय पवन केवलानी की मौत कोरोना से हुई थी, उनके बड़े भाई प्रेम केवलानी बताते हैं कि उनका छोटा भाई था पवन केवलानी, और वो लोग कोविड-19 के चेकअप के लिए मेडिकल कॉलेज गए थे, तो वहां उनके भाई को कोरोना पॉजिटिव बताकर भर्ती करा लिया गया था, और पॉजिटिव होने के बाद वहां उसका इलाज चल रहा था. वो बिल्कुल अच्छा था, लेकिन एक दिन 17 अप्रैल की रात को ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से 18 अप्रैल को जब सुबह गए हैं, तो लगभग यहां 16 से 17 लोगों की मौतें एक साथ हो गईं थी, पवन के बड़े भाई बताते हैं कि रात को हम 11 बजे देखकर आए थे तो उनके पवन की पल्स की स्पीड 90-91 चल रही थी, और सुबह मरीज की भोर में मौत हो गई और उस दिन 16 से 17 मौतें हुई थीं. उन्होंने बताया कि उस दिन पूरे दिन इस तरह का सिलसिला चलता रहा.


'डीन ने खुद कहा ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत'

मामला तब गंभीर हो गया जब सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है, और नॉर्मल मौत हुई है, मृतक के भाई ने बताया कि उस समय डीन ने ये खुद कहा था कि ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से ये मौतें हुई हैं. पीड़ित का कहना है कि अभी वह कोविड का सर्टिफिकेट लेने के लिए दो माह से दौड़ रहा है, लेकिन उसे अभी कोविड का सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं.

यहां भी ऑक्सीजन की कमी से मौत
वहीं, ऑक्सीजन की कमी से दूसरी मौत जिला मुख्यालय से महज 10 किलो मीटर दूर स्थित पटासी गांव के रहने वाले 29 वर्षीय राज कुमार की भी हुई थी. मरीज की मौत 17-18 अप्रैल की दरमियानी रात को हुई थी, उनके भाई राम कुमार उस रात की कहानी बताते हैं कि मेरे भाई 4 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हो गए थे.'मैंने उस समय जिला अस्पताल में एडमिट कराया था. वहां से उन्हें शहडोल मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया गया था, मृतक का भाई बताता हैं कि रैफर कराने के बाद उनके भाई की कंडीशन सही हो गई थी.

कुछ तड़प रहे थे कुछ की मौत हो चुकी थी
इतना ही नहीं मृतका का भाई 17 तारीख को अपने भाई को अच्छे से खाना खिलाकर रात को करीब एक बजे घर वापस आया था. उसने घर पहुंच कर भाई से वीडियो कॉल के जरिए बात भी की. इस दौरान पीड़ित का भाई बोल रहा था कि, मेरी छुट्टी करवा दीजिए, मुझे सही लग रहा है उस दिन उनका ऑक्सीजन लेवल 96 था, वो स्वस्थ्य थे अच्छे थे, मृतक के भाई ने बताया कि 'रात में मैं नीचे सोया था तो सुबह पांच बजे पता चला कि हल्ला हो रहा.' सब लोग यहां वहां अस्त व्यस्त हो रहे थे. मृतक के भाई ने कहा, जब हंगामा देखकर वह गया तो, करीब एक घंटा अंदर नहीं जाने दिया गया. जब उसने अंदर जाकर देखा तो कुछ लोगों की मौत हो चुकी थी और कुछ लोग ऑक्सीजन की कमी की वजह से तड़प रहे थे.'

अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल देखकर जब पीड़ित का भाई अपने घर से और परिजनों को बुलाने गया और वापस आया, तब तक उसके भाई की भी ऑक्सीजन की कमी से मौत हो चुकी थी. उस दिन राज कुमार के भाई के अलावा 7 और लोगों की मौत हो चुकी थी, और जिस वार्ड में थे उसमे आईसीयू में करीब 16 से 17 लोग खत्म हो गए थे, मृतक के परिजन ने डीन से जब पूछा तो बोले ऑक्सीजन की कमी है, टैंकर नहीं आ पा रहा हैं. कहीं पर फंसा हुआ है. इससे स्पष्ट होता है कि उस दिन ऑक्सीजन की दिक्कत थी, उन्होंने बताया और टैंकर करीब शाम को 4 बजे आया.


क्या भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हो चुकी है ?

सराकार के दावों की खुली पोल
गौरतलब है कि एक ओर राज्यसभा में केंद्र सरकार ने यह बयान दिया कि कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह से एक भी मौत नहीं हुई. सरकार ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है, जबकि मध्य प्रदेश के अकेले शहडोल मेडिकल कॉलेज में आक्सीज की कमी की वजह से कोहराम मच गया था, और कई लोगों की जान चली गई थी, अभी भी उस काली रात को उनके परिजन भूले नहीं हैं, और आज भी वो उस रात का दर्द आंसुओं के साथ बयां कर रहे हैं, जो सरकार के दावों की पोल खोल रही है.

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