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Mahashivratri 2023: अद्भुत है 10वीं सदी का ये विराट शिव मंदिर, सूर्य की किरणों से होता है शिवलिंग का स्नान - shahdol virat shiva temple of 10th century

एक दिन बाद महाशिवरात्रि है. महादेव के भक्त बडे ही बेसब्री से महाशिवरात्रि पर्व का इंतजार करते हैं. हम आपको शहडोल में स्थित एक ऐसे महादेव मंदिर के बारे में बताएंगे, जो बहुत ही अद्भुत है. इस मंदिर में सूर्योदय के साथ ही सबसे पहले शिवलिंग का सूर्य स्नान होता है.

Mahashivratri 2023
विराट शिव मंदिर
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Published : Feb 17, 2023, 4:30 PM IST

10वीं सदी का विराट शिव मंदिर

शहडोल। महाशिवरात्रि के विशेष पर्व में शहडोल जिले के ऐतिहासिक विराट शिव मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहता है. शहडोल जिले का ये सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर है. जिसे दूर से ही देखने पर अद्भुत चमत्कारी और भव्य लगता है. इस मंदिर का शिल्प यहां स्थापित शिवलिंग अनायास ही आप लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस मंदिर में दूर-दूर से लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन तो यहां काफी बहुत भीड़ रहती है.

राजा युवराज देव प्रथम ने कराया मंदिर का निर्माण: विराट मंदिर के निर्माण को लेकर पुरातत्वविद रामनाथ परमार बताते हैं कि विराट मंदिर की पदस्थापना जो यहां पर शिव विराजे हैं, मूल रूप से माना जाता है कि राजा विराट के समय से इनकी प्रतिस्थापना हुई थी. 10 वीं शताब्दी में यहां के कलचुरी नरेश जो कि बड़े शिव भक्त थे, वे मयूर शाखा से अधिक प्रभावित थे. उनके आचार्यों के निर्देशन पर उन्होंने यहां पर अद्भुत विराट शिव मंदिर का निर्माण करवाया. राजा युवराज देव प्रथम ने इस विराट शिव मंदिर का निर्माण करवाया था. जो खुद भी एक बड़े शिव भक्त थे, यहां पर पूर्वाभिमुख मंदिर की प्रतिस्थापना कराई गई है.

big shiv temple in shahdol
विराट शिव मंदिर

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कई साल में हुआ मंदिर का निर्माण: इस मंदिर के निर्माण को लेकर पुरातत्वविद रामनाथ परमार कहते हैं कि वैसे तो इसकी कोई तिथि और तारीख नहीं है, लेकिन जिस तरह से इस मंदिर का शिल्पन किया गया है, मंदिर को अद्भुत तरीके से बनाया गया है, पत्थर पर ही वो कला आकृतियां उकेरी गई हैं, उसे देखकर यही लगता है कि 25 से 30 साल लगे होंगे. इस शिव मंदिर के निर्माण में इस मंदिर के निर्माण में बहुत से कलाकार लगे. साथ ही पूरे विधि-विधान से इस मंदिर का शिल्पन किया गया है. बहुत ही सूक्ष्म दृष्टि जो शास्त्री विधि विधान है. शिल्प कला का उसके आधार पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था.

सूर्योदय के साथ ही होता है सूर्यस्नान: शहडोल जिले का विराट शिव मंदिर इस बात को लेकर भी अद्भुत नजर आता है, यहां पर एक छोटी शिवलिंग स्थापित की गई है. जो मंदिर के एकदम अंदर भाग में स्थापित है. जहां घनघोर अंधेरा रहता है. देखकर यही लगता है कि आखिर कैसे यहां तक सूर्य की रोशनी सूर्योदय के साथ ही पहुंचती होगी, लेकिन पुरातत्वविद रामनाथ परमार बताते हैं कि जो कलचुरी नरेश शिवभक्त हुआ करते थे और पूर्वाभिमुख मंदिर का निर्माण कराया है. यहां स्थापित शिवलिंग की सबसे बड़ी खासियत यही है कि सूर्योदय के साथ ही ये सूक्ष्म शिवलिंग सूर्य किरण से स्नान करें.

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विराट मंदिर में छोटे शिवलिंग: विराट मंदिर इतना बड़ा है, इस मंदिर के गर्भ गृह में जो शिवलिंग स्थापित है वो बहुत छोटा है, जो लोगों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है. इस छोटे शिवलिंग के बारे में पुरातत्व के जानकार रामनाथ परमार का कहना है कि जिस प्रकार इतने बड़े शरीर में आत्मा बहुत सूक्ष्म में होती है, ठीक इसी तरह मंदिर में परमात्मा के स्वरूप में शिवलिंग विराजमान है, कलचुरी नरेश युवराज देव प्रथम भगवान शिव के बड़े उपासक थे.

खजुराहो की याद दिलाता है ये मंदिर: शहडोल जिले के इस विराट शिव मंदिर का शिल्पन जिस तरह से किया गया है. मंदिर के बाहरी भाग में पत्थर में जिस तरह से कलाकृतियां उकेरी गई हैं, वह बहुत कुछ संदेश दे रही हैं. उसे देखकर अनायास ही लोगों को खजुराहो में बने मंदिरों की याद आती है.

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इस मंदिर में लोगों की बड़ी आस्था: शहडोल जिले के इस विराट शिव मंदिर में लोगों की बड़ी आस्था है. लोगों का कहना है कि यहां जो भी मन्नत मांगो वह पूरी होती है. यहां विराजे भगवान शिव बड़े सिद्ध हैं. हर मनोकामना लोगों की पूरी करते हैं. बस जरूरत है सच्चे मन से सच्चे भाव के साथ विराट मंदिर में अर्जी लगाने की. यही वजह है कि इनके चमत्कार की वजह से ही यहां दूर-दूर से लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए इस विराट शिव मंदिर में जरूर पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन तो यहां काफी तादात में लोग पहुंचते हैं.

10वीं सदी का विराट शिव मंदिर

शहडोल। महाशिवरात्रि के विशेष पर्व में शहडोल जिले के ऐतिहासिक विराट शिव मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहता है. शहडोल जिले का ये सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर है. जिसे दूर से ही देखने पर अद्भुत चमत्कारी और भव्य लगता है. इस मंदिर का शिल्प यहां स्थापित शिवलिंग अनायास ही आप लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस मंदिर में दूर-दूर से लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन तो यहां काफी बहुत भीड़ रहती है.

राजा युवराज देव प्रथम ने कराया मंदिर का निर्माण: विराट मंदिर के निर्माण को लेकर पुरातत्वविद रामनाथ परमार बताते हैं कि विराट मंदिर की पदस्थापना जो यहां पर शिव विराजे हैं, मूल रूप से माना जाता है कि राजा विराट के समय से इनकी प्रतिस्थापना हुई थी. 10 वीं शताब्दी में यहां के कलचुरी नरेश जो कि बड़े शिव भक्त थे, वे मयूर शाखा से अधिक प्रभावित थे. उनके आचार्यों के निर्देशन पर उन्होंने यहां पर अद्भुत विराट शिव मंदिर का निर्माण करवाया. राजा युवराज देव प्रथम ने इस विराट शिव मंदिर का निर्माण करवाया था. जो खुद भी एक बड़े शिव भक्त थे, यहां पर पूर्वाभिमुख मंदिर की प्रतिस्थापना कराई गई है.

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विराट शिव मंदिर

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कई साल में हुआ मंदिर का निर्माण: इस मंदिर के निर्माण को लेकर पुरातत्वविद रामनाथ परमार कहते हैं कि वैसे तो इसकी कोई तिथि और तारीख नहीं है, लेकिन जिस तरह से इस मंदिर का शिल्पन किया गया है, मंदिर को अद्भुत तरीके से बनाया गया है, पत्थर पर ही वो कला आकृतियां उकेरी गई हैं, उसे देखकर यही लगता है कि 25 से 30 साल लगे होंगे. इस शिव मंदिर के निर्माण में इस मंदिर के निर्माण में बहुत से कलाकार लगे. साथ ही पूरे विधि-विधान से इस मंदिर का शिल्पन किया गया है. बहुत ही सूक्ष्म दृष्टि जो शास्त्री विधि विधान है. शिल्प कला का उसके आधार पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था.

सूर्योदय के साथ ही होता है सूर्यस्नान: शहडोल जिले का विराट शिव मंदिर इस बात को लेकर भी अद्भुत नजर आता है, यहां पर एक छोटी शिवलिंग स्थापित की गई है. जो मंदिर के एकदम अंदर भाग में स्थापित है. जहां घनघोर अंधेरा रहता है. देखकर यही लगता है कि आखिर कैसे यहां तक सूर्य की रोशनी सूर्योदय के साथ ही पहुंचती होगी, लेकिन पुरातत्वविद रामनाथ परमार बताते हैं कि जो कलचुरी नरेश शिवभक्त हुआ करते थे और पूर्वाभिमुख मंदिर का निर्माण कराया है. यहां स्थापित शिवलिंग की सबसे बड़ी खासियत यही है कि सूर्योदय के साथ ही ये सूक्ष्म शिवलिंग सूर्य किरण से स्नान करें.

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विराट मंदिर में छोटे शिवलिंग: विराट मंदिर इतना बड़ा है, इस मंदिर के गर्भ गृह में जो शिवलिंग स्थापित है वो बहुत छोटा है, जो लोगों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है. इस छोटे शिवलिंग के बारे में पुरातत्व के जानकार रामनाथ परमार का कहना है कि जिस प्रकार इतने बड़े शरीर में आत्मा बहुत सूक्ष्म में होती है, ठीक इसी तरह मंदिर में परमात्मा के स्वरूप में शिवलिंग विराजमान है, कलचुरी नरेश युवराज देव प्रथम भगवान शिव के बड़े उपासक थे.

खजुराहो की याद दिलाता है ये मंदिर: शहडोल जिले के इस विराट शिव मंदिर का शिल्पन जिस तरह से किया गया है. मंदिर के बाहरी भाग में पत्थर में जिस तरह से कलाकृतियां उकेरी गई हैं, वह बहुत कुछ संदेश दे रही हैं. उसे देखकर अनायास ही लोगों को खजुराहो में बने मंदिरों की याद आती है.

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इस मंदिर में लोगों की बड़ी आस्था: शहडोल जिले के इस विराट शिव मंदिर में लोगों की बड़ी आस्था है. लोगों का कहना है कि यहां जो भी मन्नत मांगो वह पूरी होती है. यहां विराजे भगवान शिव बड़े सिद्ध हैं. हर मनोकामना लोगों की पूरी करते हैं. बस जरूरत है सच्चे मन से सच्चे भाव के साथ विराट मंदिर में अर्जी लगाने की. यही वजह है कि इनके चमत्कार की वजह से ही यहां दूर-दूर से लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए इस विराट शिव मंदिर में जरूर पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन तो यहां काफी तादात में लोग पहुंचते हैं.

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