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खाली पड़े खेतों में लगाएं लेमनग्रास, होगी मोटी आमदनी

लेमनग्रास की खेती जितनी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है उतनी ही किसानों के लिये भी फायदेमंद साबित हो सकती है. लेमनग्रास से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है. लेमन ग्रास से निकले तेल को कॉस्मेटिक्स, साबुन, तेल और दवा बनाने वाली कंपनियां खरीद लेती हैं. यही वजह है कि शहडोल जिले के किसानों का इस फसल की ओर रूझान बढ़ा है.

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मुनाफे की खेती 'लेमनग्रास'
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Published : Nov 27, 2020, 3:44 PM IST

शहडोल। शहडोल जिले में किसानों का रुझान औषधीय फसलों की ओर बढ़ रहा है. वजह है कि एक ही फसल लगाने के बाद अधिकतर जमीन खाली पड़ी रहती है और बंजर भूमि के नाम पर वहां खेती नहीं होती. ऐसे में लेमन ग्रास की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. लेमनग्रास एक ऐसी फसल है जो बंजर भूमि, कम पानी और कम लागत में तैयार हो सकती है. वहीं इस फसल में रोग और बीमारियां बहुत कम लगते हैं. जिले में कुछ किसान ट्रायल के तौर पर लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं.

मुनाफे की खेती 'लेमनग्रास'

सूखे को वरदान लेमन ग्रास

लेमन ग्रास से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है. लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल को कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल-दवा बनाने वाली कंपनियां यूज करती हैं, इस वजह से इसकी अच्छी कीमत मिलती है. पिछले कुछ सालों में किसानों का भी लेमन ग्रास की फसल की ओर रूझान बढ़ा है. लेमनग्रास की खूबी ये है कि इसे सूखा प्रभावित इलाकों में भी लगाया जा सकता है.

ऐसे करें लेमन ग्रास की खेती

सभी पौधों की तरह लेमनग्रास के पौधों को लगाने की भी एक खास विधि हैं. पौधों में पत्तियां ज्यादा से ज्यादा हो इसके लिए एक-एक फीट के दूरी पर इसे लगाया जाता है. पौधा लगाने के बाद यह लगभग छह महीने में तैयार हो जाता है. उसके बाद हर 70 से 80 दिनों पर इसकी कटाई कर सकते हैं. साल भर में इसकी पांच से छह कटाई संभव है. यही कारण है कि एक बार पौधा लगाने के बाद किसान को लगभग सात साल तक दोबारा पौधा लगाने से छुट्टी मिल जाती है. इस पौधे को बारहमासी मुनाफा देने वाले पौधे की श्रेणी में रखा जाता है.

मुनाफे का सौदा

लेमनग्रास की खेती ज्यादा मंहगी नहीं है, इसका एक पौधा केवल 75 पैसे में मिलता है. इस खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि अन्य फसलों की अपेक्षा लेमनग्रास में बीमारियां कम लगती हैं. आयुर्वेदिक कृषि के रूप में हर राज्य का बागवानी बोर्ड लेमन ग्रास की खेती के लिए अलग-अलग सब्सिडी देता है. लेमनग्रास की पत्तियां कड़वी होने की वजह से जानवर भी इसे नहीं खाते और इसके रख रखाव पर भी ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता.

संगठित होकर खेती करने से फायदा

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह का कहना है कि यदि 20 से 50 किसान संगठित होकर लेमन ग्रास की खेती करें तो यह ज्यादा फायदेमंद साबित होगा. एक या दो किसान के खेती करने से मार्केटिंग करने और बेचने में दिक्कतें आएंगी.

लेमनग्रास के लाभ

लेमनग्रास का उपयोग मूत्र पथ (Urinary Tract) के उपचार में किया जाता है. एंटी-ऑक्सिडेंट, फ्लेवोनोइड और एंटी-फंगल और रोगाणुरोधी यौगिक इसमें भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. लेमनग्रास की चाय पेट के संक्रमण और अल्सर रोकती है, पाचन को उत्तेजित करती है. पेट दर्द और कब्ज के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है. भोजन से पहले एक कप लेमनग्रास चाय पीने से पाचन क्रिया में सुधार होता है. यह त्वचा को गोरा कर देता है. यह जीवाणुरोधी होने के साथ ही बालों के विकास में भी सहायक है. इसमें एंटी-कैंसर के गुण भी हैं साथ ही कोलेस्ट्रॉल कम करता है. अस्थमा, टाइप-2 डायबिटीज, गठिया के इलाज में भी इसका इस्तेमाल होता है. लेमनग्रास का सेवन आपको मच्छरों से बचाता है और मासिक धर्म की समस्याओं से निपटने में भी मदद करता है.

शहडोल। शहडोल जिले में किसानों का रुझान औषधीय फसलों की ओर बढ़ रहा है. वजह है कि एक ही फसल लगाने के बाद अधिकतर जमीन खाली पड़ी रहती है और बंजर भूमि के नाम पर वहां खेती नहीं होती. ऐसे में लेमन ग्रास की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. लेमनग्रास एक ऐसी फसल है जो बंजर भूमि, कम पानी और कम लागत में तैयार हो सकती है. वहीं इस फसल में रोग और बीमारियां बहुत कम लगते हैं. जिले में कुछ किसान ट्रायल के तौर पर लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं.

मुनाफे की खेती 'लेमनग्रास'

सूखे को वरदान लेमन ग्रास

लेमन ग्रास से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है. लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल को कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल-दवा बनाने वाली कंपनियां यूज करती हैं, इस वजह से इसकी अच्छी कीमत मिलती है. पिछले कुछ सालों में किसानों का भी लेमन ग्रास की फसल की ओर रूझान बढ़ा है. लेमनग्रास की खूबी ये है कि इसे सूखा प्रभावित इलाकों में भी लगाया जा सकता है.

ऐसे करें लेमन ग्रास की खेती

सभी पौधों की तरह लेमनग्रास के पौधों को लगाने की भी एक खास विधि हैं. पौधों में पत्तियां ज्यादा से ज्यादा हो इसके लिए एक-एक फीट के दूरी पर इसे लगाया जाता है. पौधा लगाने के बाद यह लगभग छह महीने में तैयार हो जाता है. उसके बाद हर 70 से 80 दिनों पर इसकी कटाई कर सकते हैं. साल भर में इसकी पांच से छह कटाई संभव है. यही कारण है कि एक बार पौधा लगाने के बाद किसान को लगभग सात साल तक दोबारा पौधा लगाने से छुट्टी मिल जाती है. इस पौधे को बारहमासी मुनाफा देने वाले पौधे की श्रेणी में रखा जाता है.

मुनाफे का सौदा

लेमनग्रास की खेती ज्यादा मंहगी नहीं है, इसका एक पौधा केवल 75 पैसे में मिलता है. इस खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि अन्य फसलों की अपेक्षा लेमनग्रास में बीमारियां कम लगती हैं. आयुर्वेदिक कृषि के रूप में हर राज्य का बागवानी बोर्ड लेमन ग्रास की खेती के लिए अलग-अलग सब्सिडी देता है. लेमनग्रास की पत्तियां कड़वी होने की वजह से जानवर भी इसे नहीं खाते और इसके रख रखाव पर भी ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता.

संगठित होकर खेती करने से फायदा

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह का कहना है कि यदि 20 से 50 किसान संगठित होकर लेमन ग्रास की खेती करें तो यह ज्यादा फायदेमंद साबित होगा. एक या दो किसान के खेती करने से मार्केटिंग करने और बेचने में दिक्कतें आएंगी.

लेमनग्रास के लाभ

लेमनग्रास का उपयोग मूत्र पथ (Urinary Tract) के उपचार में किया जाता है. एंटी-ऑक्सिडेंट, फ्लेवोनोइड और एंटी-फंगल और रोगाणुरोधी यौगिक इसमें भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. लेमनग्रास की चाय पेट के संक्रमण और अल्सर रोकती है, पाचन को उत्तेजित करती है. पेट दर्द और कब्ज के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है. भोजन से पहले एक कप लेमनग्रास चाय पीने से पाचन क्रिया में सुधार होता है. यह त्वचा को गोरा कर देता है. यह जीवाणुरोधी होने के साथ ही बालों के विकास में भी सहायक है. इसमें एंटी-कैंसर के गुण भी हैं साथ ही कोलेस्ट्रॉल कम करता है. अस्थमा, टाइप-2 डायबिटीज, गठिया के इलाज में भी इसका इस्तेमाल होता है. लेमनग्रास का सेवन आपको मच्छरों से बचाता है और मासिक धर्म की समस्याओं से निपटने में भी मदद करता है.

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