शहडोल/ग्वालियर। रंगों के त्योहार होली को लेकर बाजार सज चुके हैं, तैयारियां की जा रही हैं. लोग भी होली की खरीदारी के लिए बाजार पहुंच रहे हैं. लेकिन इस बार होलिका दहन के मुहूर्त और तारीख को लेकर लोगों में बहुत ज्यादा कंफ्यूजन है. कुछ लोगों का कहना है कि इस बार होलिका दहन 6 मार्च को है तो कुछ का कहना है कि होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा. आखिर होलिका दहन कब है और इतना कंफ्यूजन क्यों है, इस बारे में शहडोल के ज्योतिष और वास्तु सलाहकार पंडित श्रवण त्रिपाठी और ग्वालियर के पंडित गिरिराज शरण शर्मा ने खुलकर बताया है.
होलिका दहन कब और क्या है शुभ मुहूर्त: ज्योतिष और वास्तु सलाहकार पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार होलिका पूजन और दहन को लेकर काफी संशय बना हुआ है. हमारा मानना है कि इस बार होलिका दहन 7 मार्च को ही किया जाना चाहिए. 7 मार्च को इसके लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10:12 बजे से लेकर दोपहर 12:57 तक है. इसके बाद प्रदोष काल में शाम को 5:57 से लेकर लगभग 7:00 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है. वहीं. ग्वालियर में शहर के प्रमुख आधा दर्जन से अधिक मंदिरों पर सोमवार 6 मार्च को होलिका दहन किया गया. मंदिर के पुजारियों का तर्क है कि पंचांग के अनुसार सोमवार 3:30 बजे से पूर्णमासी प्रारंभ हो गई है और 24 घंटे तक रहेगी. होलिका दहन पूर्णिमा को ही होता है इसलिए शुभ मुहूर्त सोमवार दोपहर 3:30 बजे से प्रारंभ हो गया है. पंचांग के अनुसार शाम 6:30 से 9:30 बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त है.
7 मार्च को होलिका दहन क्यों: शहडोल के पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि धर्मसिंधु में एक बात कही गई है, "सा प्रदोष व्यापिनी भद्रा रहिता ग्राह्यया" मतलब भद्रा रहते होलिका दहन करना शुभ नहीं होता है. 7 मार्च को क्योंकि प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि भी छू रही है, जिस पर मान्य किया जा सकता है कि 7 मार्च को होलिका दहन किया जाए तो उसमें कोई गलत नहीं होगा. इसे शुभ माना जाएगा. वहीं, ग्वालियर में होलिका दहन शहर के प्रमुख मंदिर सनातन धर्म, अचलेश्वर, गुप्तेश्वर, कोटेश्वर, खेड़ापति, संकटमोचक और गिर्राजजी मंदिर पर सोमवार 6 मार्च को किया गया. वहीं, गंगादास की बड़ी शाला और सर्राफा बाजार में सबसे बड़ी होलिका का दहन 7 मार्च को किया जाएगा. धुलंडी का त्योहार 8 मार्च बुधवार को मनाया जाएगा.
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प्रदोष काल में होलिका दहन करना गलत: ग्वालियर के पंडित गिरिराज शरण शर्मा ने बताया कि कुछ विद्वान मानते हैं कि निसिथ व्यापिनी भद्रा हो तो भद्रा मुख त्याग करके होलिका प्रदीप्त करना चाहिए लेकिन ये स्थिति तब लागू होती है जब पूर्णिमा तिथि अगले दिन प्रदोष काल को स्पर्श न करें. ज्योतिषाचार्य का कहना है कि सोमवा दोपहर 3:30 बजे से पूर्णमासी प्रारंभ हो गई है और होली का दहन हमेशा पूर्णिमा में ही होता है. पूर्णिमा 7 मार्च मंगलवार तक रहेगी. उसके बाद पड़वा आ जाएगी इसलिए होली 7 तारीख को नहीं जलेगी. ज्योतिषाचार्य का साफ कहना है कि होलिका दहन सिर्फ पूर्णिमा को होती है.