शहडोल। कहा जाता है कि सिनेमा और साहित्य समाज का दर्पण है. हम सिनेमा क्यों जाते हैं हम कहानियां क्यों सुनते हैं. क्योंकि उससे हमको सीख मिलती है. सिनेमा में हम अपने समाज को देखते हैं. ऐसे ही छोटी सी जगह से निकलकर फिल्मों की दुनिया में अपनी जगह बनाने वाले मनोज स्कूल के समय से ही कहानियां लिखते थे. उनका ख्वाब था फिल्मों में लेखन का, फिर क्या था. उन्होंने अपने सपनों को पंख लगाने के लिए रुख किया मायानगरी मुंबई का. यहां उन्होंने काफी संघर्ष किया और लिखने की रुचि ने ही उन्हें अपना मकाम दिलाया. ये मनोज के संघर्षों का ही परिणाम है कि इनकी लिखी कहानियों पर लगातार फिल्में बन रही हैं. इनकी सफलता के पीछे छिपा है लक्ष्य के प्रति ज़िद, संघर्ष, मेहनत और अपने काम के प्रति ईमानदारी. (film Script writer Manoj Pandey Interview)
सवाल-अभी क्या नया चल रहा है. और कौन-कौन सी नई फिल्म आपकी रिलीज होने वाली है.?
जवाब- 90 के दसक में किस तरह से फिल्में बनती थी और छोटे बजट के जो सिनेमा होते थे कैसे सरवाइव करते थे इस विषय पर जल्द ही अमेजॉन प्राइम पर मेरी एक सीरीज आ रही है. इसमें चार डायरेक्टर हैं. चारों डायरेक्टर्स को एक-एक स्टोरी दी गई है. इसमें से दो डायरेक्टर्स की स्टोरी मैंने लिखी है. इसके साथ ही एक हिंदी फिल्म 'चुहिया' भी आ रही है. यह गांव की लड़कियों के साथ रेप की घटना से जुड़ी हुई फिल्म है. भोजपुरी में कुछ प्रोजेक्ट्स हैं जो रिलीजिंग पर हैं.
सवाल- हाल ही में आपको किस फिल्म के लिए कौन सा अवार्ड मिला है.?
जवाब- मुझे हाल ही में सरस सलिल अवार्ड मिला है. सरस सलिल पिछले 3 सालों से भोजपुरी सिने अवार्ड कंडक्ट कर रहा है. इसमें मेरे द्वारा लिखी गई फुल कॉमेडी फिल्म "बबली की बारात" को की बेस्ट स्क्रीनप्ले, डायलॉग, राइटर का अवार्ड मिला है.
सवाल- भोजपुरी फिल्म के अलावा और कौन-कौन सी फिल्मों की स्टोरी लिखते हैं.?
जवाब- भोजपुरी मेरी मातृभाषा है. नेटिव प्लेस मेरा यूपी है. इस वजह से भोजपुरी से मेरा विशेष लगाव है. इसके अलावा हिंदी के भी मेरे कई प्रोजेक्ट हैं. इसमें अमेजॉन प्राइम पर मेरी एक फ़िल्म आने वाली है, शूटिंग कंप्लीट हो गई है. इसके अलावा एमएक्स प्लेयर के लिए "रक्त गंगा" वेब सीरीज और बाइस्कोप सिनेमा लिख रहे हैं. धीरे-धीरे चीजें आगे बढ़ती जा रही हैं.
सवाल- अबतक कितनी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके है.?
जवाब- भोजपुरी में 50 के लगभग पहुंचने वाला हूं, हिंदी में तकरीबन 12 लिखी है. इसमें 2,3 रिलीज भी हो चुकी है. बिल्लू उस्ताद बॉलीवुड की फर्स्ट मूवी थी जो चाइल्ड टेररिज्म पर बनी थी. आज तक आपने आतंकवाद पर बहुत सारे सिनेमा देखे होंगे. लेकिन बिल्लू उस्ताद बाल आतंकवाद पर थी. मैं अभी हिंदी में जो भी कर रहा हूं वो रियलिस्टिक ही कर रहा हूं. जैसे एक फिल्म की बात चल रही है. जो पूरी तरह से एक भिखारी बच्चे पर है. 24 घंटे में पूरे शहर से क्राइम को खत्म कर देता है. ज्यादातर मेरी स्क्रिप्ट इसी तरह से है. क्योंकि मैंने बहुत पहले इंटरव्यू देखा था. उस इंटरव्यू में इरफान साहब जो कि बहुत ही उम्दा कलाकार थे. उन्होंने कहा था, हमारे इंडियन सिनेमा में बच्चों के लिए कोई स्क्रिप्ट अच्छी नहीं बनती है. उनका मानना था कि, हम बच्चों को सुपर हीरो हॉलीवुड के कैरेक्टर पर हम सुपरमैन टाइप दिखाते हैं. उनका कहना था कि, हमारे यहां ऐसा सिनेमा कोई नहीं बनता बच्चे जिसको आइडल मानें, मेरी कोशिश यही रहती है कि जैसे मैंने बिल्लू उस्ताद बनाई इसके बाद मेरा आरटीई "राइट टू एजुकेशन" पर है. यह भी एक बच्चे की कहानी है. मेरी कोशिश है कि बच्चों के लिए भी एक अच्छा सिनेमा रहे.
सवाल- आप स्क्रिप्ट और नई स्टोरीज की बात कर रहे हैं तो बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से देखने को मिल रहा है कि, रीमिक्स ज्यादा बन रहे हैं. साउथ मूवीस को ज्यादा कॉपी की जा रही है.
जवाब- मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि, अगर हम साउथ की बात करें तो साउथ इंडस्ट्री ने जो मेहनत की है, साउथ की कोई भी मूवी उठाइए पूरी की पूरी फिल्म विदेशों में शूट करते हैं. लेकिन आप देखेंगे कि कहानी में उनका कोई एक कैरेक्टर होगा जो उनके कल्चर उनके पहनावे और उनकी संस्कृति को दिखाता है. बॉलीवुड में गिनती के 5, 6 प्रोडक्शन हाउस हैं, जिसमें रेगुलर सिनेमा बनाते हैं. रिलीज करने का उनका एक प्लान है. कारपोरेट बना दिया गया है. अपना एक तरीका है. वो तो ओटीटी वरदान साबित हुआ छोटे प्रोड्यूसर डायरेक्टर के लिए कि उनकी फिल्में एक प्लेटफार्म पर आ गई. मैं यहां जिक्र करूंगा चमन बहार जो नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी. और टॉप टेन में ट्रेंड की थी. कहने का मतलब यह है कि, इससे पहले हॉलीवुड की कॉपी करते थे. फिर यह साउथ की कॉपी करने लगे. साउथ इंडस्ट्री में एक चीज मैंने देखी की वहां पर ईमानदारी बहुत है. यहां मैं एक चीज और कहना चाहूंगा कि, फिल्में बनती हैं कीमत से और चलती नियत से. साउथ वालों की नियत बहुत साफ है.
सवाल- आप फिल्मों में बतौर स्क्रिप्टराइटर अपनी जगह बना रहे हैं. कई फिल्में लिख भी चुके हैं. आज के हिसाब से देखा जाए तो एक युवा स्क्रिप्टराइटर के लिए इस क्षेत्र में जगह बनाना कितनी बड़ी चुनौती है.?
जवाब- देखिए इस क्षेत्र में जब हमने मूव किया था तो चुनौती बहुत ज्यादा थी. आज की डेट में आपको सोशल मीडिया का एक प्लेटफार्म मिला है. अगर आपके अंदर टैलेंट है, आप अपने काम के प्रति ईमानदार हैं. आप अपना काम इमानदारी से करिए. आपको सफलता जरूर मिलेगी. अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए आपके पास सोशल मीडिया है. बस मैं इतना कहूंगा कि, आप जो भी करें अपना काम पूरी ईमानदारी से करें.
सवाल- इन सभी प्लेटफॉर्म के बाद क्या युवा राइटर्स की बाढ़ आ रही है.?
जवाव- आज की डेट में ओटीटी में हर आदमी एक नया सब्जेक्ट ढूंढता है. मैं आपको एक बात बता दूं हिंदी सिनेमा नहीं वर्ल्ड के सिनेमा में चले जाइए दर्शक के सामने कहानी नहीं कहानी का प्रजेंटेशन मायने रखता है. हर आदमी एक नया प्रेजेंटेशन ढूंढता है. कहानी कैसे है. उसका किरदार कैसे है. अपनी बातें कैसे रख रहा है. और कैसे अपनी बातों से कनेक्ट कर रहा है. एक दौर था जब लॉक डाउन लगा तो उस बीच में ओटीटी बहुत ज्यादा बूम किया. इसमें बहुत सारी वेब सीरीज आ रही थी. मारकाट गाली गलौज और इसी बीच में एक बहुत अच्छी वेब सीरीज आई पंचायत इसको लोगों ने उतना ही प्यार दिया. कहने का मतलब है कि दर्शक के सामने प्रजेंटेशन महत्वपूर्ण होता है.
सवाल- शहडोल जैसे आदिवासी बहुल जिले में एक से एक टैलेंट है. अगर ऐसे लोग इस क्षेत्र में बतौर फिल्म स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर कैरियर बनाना चाहें तो उन्हें कैसे शुरुआत करनी चाहिए.?
जवाब- इनको शुरुआत खुद से करनी चाहिए. अपनी बातें अपनी कहानियों को ब्लॉग से लिखें. जितना हो सके अपने आप को प्रमोट करें. शहडोल जिले में मेरा बहुत पहले भी प्लान था और मैं पूरे प्लानिंग में था कि 2020 से यहां फिल्म शूट करूंगा. मेरी लगभग तैयारी हो चुकी थी. लेकिन, कोरोनाकाल की वजह से ब्रेक लग गया. सब कुछ सही रहा तो 2023 तक फिल्मों की शूटिंग की जाएगी. मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि, विंध्य क्षेत्र के कलाकारों को उचित मंच मिले. (presentation matters not story in front of audience)