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मानसून से पहले किसानों की तैयारी तेज, कोरोना के बाद और नहीं झेलना चाहता मौसम की मार - खरीफ फसल

कोरोना काल में परेशानियों का सामना कर चुके किसान अब अपनी खरीफ सीजन की नई फसल के लिए जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं. शहडोल के ज्यादातर किसान अपनी फसल के लिए बरसात के पानी पर ही आश्रित हैं. इसलिए मानसून आने के पहले ही अपने खेतोंं को नई फसल के लिए तैयार कर रहे हैं.

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किसानों की तैयारी तेज
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Published : Jun 13, 2020, 1:45 AM IST

शहडोल। जून का महीना चल रहा है, जिसमें मानसून कभी भी दस्तक दे सकता है. ऐसे में किसानों ने अपने खेती की तैयारी तेज कर दी है. खरीफ सीजन की खेती जिले में प्रमुखता से की जाती है और इसका रकबा भी बहुत ज्यादा होता है. ऐसे में किसान बारिश से पहले अपने खेतों को तैयार करने में जुट गए हैं. किसान खाद, बीज के इंतजाम कर रहे हैं, वहीं कुछ किसानों ने मई में ही अपनी तैयरी पूरी कर चुके हैं, जिस वजह से अब उन्हें सिर्फ बारिश का इंतजार है.

किसानों की तैयारी तेज
किसानों ने तैयारी की तेज


गांव की गलियों से इन दिनों गुजरने पर बस एक ही नजारा दिख रहा है. कोई खेतों में सूखी जुताई करा रहा है तो कोई खेतों में गोबर खाद फैला रहा है. कोई खेतों की साफ-सफाई कर रहा, तो कोई नए-नए बैलों को ट्रेनिंग दे रहा है. इन नजारों से साफ जाहिर हो रहा है कि किसान खरीफ की फसल के लिए अपनी तैयारी तेजी से कर रहा है.

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बैलों को दी जा रही ट्रेनिंग
कभी भी आ सकता है मानसून


जिले में मानसून के दस्तक देने की तारीख वैसे तो 15 जून है, लेकिन पिछले कुछ साल से मानसून 5 से 7 दिन देरी से दस्तक दे रहा है. ऐसे में किसान अपनी तैयारी को तेज कर चुके हैं, क्योंकि मानसून की पहली बारिश से पहले उसके खेत तैयार होने चाहिए.

ये भी पढ़ें- स्ट्रॉबेरी की खेती से मालामाल हो सकते हैं किसान, छिंदवाड़ा में सफल रहा प्रयोग


बारिश के भरोसे खेती


जिले में खरीफ की खेती इसलिए भी ज्यादा रकबे में की जाती है, क्योंकि यहां की ज्यादातर जमीन असिंचित है. ऐसे में बरसात के पानी पर ही लोग आश्रित रहते हैं, इसीलिए इन्हें तैयारी पहले से ही पूरी करके रखनी पड़ती है. जिससे बारिश शुरू हो और किसान अपनी खेती तय समय से शुरू कर सकें. अगर इस समय में किसान थोड़ी-सी भी चूक करते हैं तो उसकी कीमत उन्हें उत्पादन में समझौता करके चुकानी पड़ती है.


बहुतायत में धान की खेती


खरीफ के सीजन में जिले में धान की खेती बहुतायत में की जाती है, क्योंकि यहां चावल की खपत ज्यादा है. लोग खुद भी चावल खाना पसंद करते हैं और वैसे भी अधिकतर किसान यहां असिंचित खेतों में खेती करते हैं. बारिश पर ही उनकी खेती पूरी तरह से डिपेंड रहती है. वहीं धान की फसल हल्की मिट्टी में भी हो जाती है. ऐसे में जिले में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है.

ज्यादातर किसान ऐसे भी हैं जो खरीफ के सीजन में खेती कर अपने साल भर के खाने का इंतजाम करते हैं क्योंकि. पूरी तरह बारिश पर आश्रित और कम जमीन होने के कारण किसान अपने पसंद की फसल लगाते हैं, जिससे उनके साल भर के खाने की व्यवस्था हो जाए.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में किसानों की मेहनत हुई खराब, फसल सड़कों पर फेंकने को मजबूर

इतने रकबे में धान की फसल

जिले में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है. जानकारी के मुताबिक पूरे जिले में करीब एक लाख 10 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. गौरतलब है कि जिले में खरीफ के सीजन की फसल की तैयारी शुरू ही चुकी है. किसान काफी तेजी से अपने खेतों को तैयार करने में जुटा है, क्योंकि पहले ही किसान इस कोरोना काल में आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुका है. ऐसे में किसान अब खरीफ के सीजन की खेती में पूरे मन से जुटा हुआ है.

शहडोल। जून का महीना चल रहा है, जिसमें मानसून कभी भी दस्तक दे सकता है. ऐसे में किसानों ने अपने खेती की तैयारी तेज कर दी है. खरीफ सीजन की खेती जिले में प्रमुखता से की जाती है और इसका रकबा भी बहुत ज्यादा होता है. ऐसे में किसान बारिश से पहले अपने खेतों को तैयार करने में जुट गए हैं. किसान खाद, बीज के इंतजाम कर रहे हैं, वहीं कुछ किसानों ने मई में ही अपनी तैयरी पूरी कर चुके हैं, जिस वजह से अब उन्हें सिर्फ बारिश का इंतजार है.

किसानों की तैयारी तेज
किसानों ने तैयारी की तेज


गांव की गलियों से इन दिनों गुजरने पर बस एक ही नजारा दिख रहा है. कोई खेतों में सूखी जुताई करा रहा है तो कोई खेतों में गोबर खाद फैला रहा है. कोई खेतों की साफ-सफाई कर रहा, तो कोई नए-नए बैलों को ट्रेनिंग दे रहा है. इन नजारों से साफ जाहिर हो रहा है कि किसान खरीफ की फसल के लिए अपनी तैयारी तेजी से कर रहा है.

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बैलों को दी जा रही ट्रेनिंग
कभी भी आ सकता है मानसून


जिले में मानसून के दस्तक देने की तारीख वैसे तो 15 जून है, लेकिन पिछले कुछ साल से मानसून 5 से 7 दिन देरी से दस्तक दे रहा है. ऐसे में किसान अपनी तैयारी को तेज कर चुके हैं, क्योंकि मानसून की पहली बारिश से पहले उसके खेत तैयार होने चाहिए.

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बारिश के भरोसे खेती


जिले में खरीफ की खेती इसलिए भी ज्यादा रकबे में की जाती है, क्योंकि यहां की ज्यादातर जमीन असिंचित है. ऐसे में बरसात के पानी पर ही लोग आश्रित रहते हैं, इसीलिए इन्हें तैयारी पहले से ही पूरी करके रखनी पड़ती है. जिससे बारिश शुरू हो और किसान अपनी खेती तय समय से शुरू कर सकें. अगर इस समय में किसान थोड़ी-सी भी चूक करते हैं तो उसकी कीमत उन्हें उत्पादन में समझौता करके चुकानी पड़ती है.


बहुतायत में धान की खेती


खरीफ के सीजन में जिले में धान की खेती बहुतायत में की जाती है, क्योंकि यहां चावल की खपत ज्यादा है. लोग खुद भी चावल खाना पसंद करते हैं और वैसे भी अधिकतर किसान यहां असिंचित खेतों में खेती करते हैं. बारिश पर ही उनकी खेती पूरी तरह से डिपेंड रहती है. वहीं धान की फसल हल्की मिट्टी में भी हो जाती है. ऐसे में जिले में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है.

ज्यादातर किसान ऐसे भी हैं जो खरीफ के सीजन में खेती कर अपने साल भर के खाने का इंतजाम करते हैं क्योंकि. पूरी तरह बारिश पर आश्रित और कम जमीन होने के कारण किसान अपने पसंद की फसल लगाते हैं, जिससे उनके साल भर के खाने की व्यवस्था हो जाए.

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इतने रकबे में धान की फसल

जिले में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है. जानकारी के मुताबिक पूरे जिले में करीब एक लाख 10 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. गौरतलब है कि जिले में खरीफ के सीजन की फसल की तैयारी शुरू ही चुकी है. किसान काफी तेजी से अपने खेतों को तैयार करने में जुटा है, क्योंकि पहले ही किसान इस कोरोना काल में आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुका है. ऐसे में किसान अब खरीफ के सीजन की खेती में पूरे मन से जुटा हुआ है.

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