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आफत की बारिश से सड़ गई गोभी की फसल, परेशान हैं अन्नदाता - फसल बर्बाद

शहर में फूल गोभी के सड़ने से किसान परेशान हैं. लाखों रुपये लगाने के बावजूद भी गोभी की फसल बर्बाद हो गई है. हालात ये हैं कि अब लागत निकलना मुश्किल लग रहा है.

सड़ गई गोभी की फसल
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Published : Oct 5, 2019, 7:01 AM IST

शहडोल। मध्यप्रदेश के कई जिलों में बरसी आफत की बारिश ने तबाही मचा दी थी. इस दौरान किसानों को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि खेतों में लहलहाती फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं. शहडोल जिले कई इलाकों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. कुछ किसानों ने इस बार बड़ी उम्मीद से गोभी की खेती की थी, लेकिन फायदे की जगह अब लागत निकलना मुश्किल लग रहा है.

आफत की बारिश से सड़ गई गोभी की फसल

पठरा ग्राम पंचायत में सोयाबीन, उड़द और तिल के साथ फूल गोभी की फसल भी बर्बाद हो गई हैं. फसल खराब होने के बाद किसान परेशान हैं. किसानों ने लाखों रुपये की लागत में कई एकड़ में गोभी की खेती की थी. किसान मनोज सिंह, अनूप सिंह और विद्याधर ने करीब 10 एकड़ में फूल गोभी की खेती की थी. इस उम्मीद से कि ऑफ सीजन में फूल गोभी मारकेट में करीब 80 से 100 रुपये किलो में बिकेगा,जो बारिश के चलते बर्बाद हो गया.

जानिए क्या है असली समस्या ?
किसान अनूप सिंह बताते हैं कि उनके खेत के 90 प्रतिशत फूल गोभी सड़ गए हैं, जिससे लागत निकालना ही मुश्किल लग रहा है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि वो कुछ जगहों के गोभी की फसलों का निरीक्षण करने खेतों में पहुंचे थे, जहां इस तरह की समस्या दिखी है. इस बार गोभी में बैक्टीरिअल ब्लाइट्स का प्रकोप ज्यादा है, जिसके चलते खेतों में ही गोभी सड़ रही है. उन्होंने कहा कि इस सीजन में गोभी की खेती करने के लिए बीज में बैक्टीरियल रेसिस्टेंट होना जरूरी होता है.

शहडोल। मध्यप्रदेश के कई जिलों में बरसी आफत की बारिश ने तबाही मचा दी थी. इस दौरान किसानों को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि खेतों में लहलहाती फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं. शहडोल जिले कई इलाकों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. कुछ किसानों ने इस बार बड़ी उम्मीद से गोभी की खेती की थी, लेकिन फायदे की जगह अब लागत निकलना मुश्किल लग रहा है.

आफत की बारिश से सड़ गई गोभी की फसल

पठरा ग्राम पंचायत में सोयाबीन, उड़द और तिल के साथ फूल गोभी की फसल भी बर्बाद हो गई हैं. फसल खराब होने के बाद किसान परेशान हैं. किसानों ने लाखों रुपये की लागत में कई एकड़ में गोभी की खेती की थी. किसान मनोज सिंह, अनूप सिंह और विद्याधर ने करीब 10 एकड़ में फूल गोभी की खेती की थी. इस उम्मीद से कि ऑफ सीजन में फूल गोभी मारकेट में करीब 80 से 100 रुपये किलो में बिकेगा,जो बारिश के चलते बर्बाद हो गया.

जानिए क्या है असली समस्या ?
किसान अनूप सिंह बताते हैं कि उनके खेत के 90 प्रतिशत फूल गोभी सड़ गए हैं, जिससे लागत निकालना ही मुश्किल लग रहा है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि वो कुछ जगहों के गोभी की फसलों का निरीक्षण करने खेतों में पहुंचे थे, जहां इस तरह की समस्या दिखी है. इस बार गोभी में बैक्टीरिअल ब्लाइट्स का प्रकोप ज्यादा है, जिसके चलते खेतों में ही गोभी सड़ रही है. उन्होंने कहा कि इस सीजन में गोभी की खेती करने के लिए बीज में बैक्टीरियल रेसिस्टेंट होना जरूरी होता है.

Intro:note_ wt किसानों के साथ है, फिर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह का वर्जन है।

फूल गोभी की खेती करने वाले किसान हैं परेशान, इस क्षेत्र के किसानों के गोभी में ऐसा पहली बार हुआ है, अब क्या करे किसान ?

शहडोल- मध्यप्रदेश के अधिकतर जगहों पर इस बार आफत की बारिश हुई, शहडोल जिले में भी इस बरसात इंद्रदेव देरी से बरसे और जो बारिश शुरू हुई वो लंबे समय तक चली। जिसकी वजह सोयाबीन, उड़द, तिल की फसल तो बर्बाद हुई ही, लेकिन इस बार फूल गोभी के किसान भी परेशान हैं, फूल गोभी खेत में ही सड़ रहा है। गोभी में अजीब सा इन्फेक्शन दिख रहा है, किसान ने लाखों की लागत लगाकर कई एकड़ में गोभी की खेती तो की , लेकिन अब वो परेशान है, क्योंकि उसकी लागत निकलनी मुश्किल हो रही है।




Body:शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 20 से 25 किलोमीटर दूर है पठरा ग्राम पंचायत जहां के किसान मनोज सिंह, अनूप सिंह और विद्याधर सभी भाईयों ने करीब 10 एकड़ में फूल गोभी की खेती की, इस उम्मीद के साथ कि इस ऑफ सीजन में जब फूल गोभी की सब्जी मारकेट में करीब 80 से 100 रुपये किलो बिकते हैं तो वो कुछ पैसे कमा लेंगे लेकिन इस बार क्षेत्र के किसानों के फूल गोभी में ऐसा रोग लगा है गोभी इस तरह से सड़ी की किसानों के हालात ऐसे हैं कि उनकी लागत निकलना मुश्किल है।

किसान अनूप सिंह बताते हैं कि उनके खेत के 90 प्रतिशत फूल गोभी में सड़न है लागत निकलना मुश्किल है। दूसरे किसान मनोज सिंह बताते हैं कि लाखों रुपये की बीज लाकर उन्होंने गोभी की खेती तैयार की थी, जो अब पूरी तरह से बर्बाद है, मनोज सिंह कहते हैं जब वो बीज लाये तभी उसमें से आधा बीज जमा ही नहीं वो नुकसान तो हुआ ही और अब गोभी जितने में भी लगया वो सड़ रहा है।

जानिए क्या है असली समस्या ?

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि वो कुछ जगहों के गोभी की फसलों का निरीक्षण करने खेतों में पहुंचे थे जहां इस तरह की समस्या दिखी है। इस बार गोभी में बैक्टीरिअल ब्लाइट्स का प्रकोप है। जिसके चलते खेतों में ही गोभी सड़ रही है।

दरअसल मौसम के हिसाब से गोभी के फसलों की अलग अलग किस्म आती है। कुमारी,माघी, पूसी।

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस समय जो किसान फसल ले रहे हैं, वो एक तरह से ऑफ सीजन कल्टीवेशन है। कई मल्टीनेशनल कंपनियां हैं जो बीज की इस तरह के रेसिस्टेंट वैरायटी देती हैं, जिनमें बारीश में भी उत्पादन अच्छा होता रहा है। इस साल भी ऐसा हुआ है, जो एक विशेष प्रकार की किस्म जो किसान लगाते थे तो उस किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट का प्रकोप है।

इस बार शहडोल में भी बारिश का दौर लंबे समय तक चला मौसम आद्र रहा, बारिश होती रही, ह्यूमिडिटी रही, टेम्परेचर ज्यादा रहता है, तो उस समय बैक्टीरिअल ब्लाइट के चांस ज्यादा रहते हैं।

और इस बार का मौसम बैक्टीरियल ब्लाइट के अनुकूल रहा जिससे गोभी के किस्मों में इसका प्रकोप देखने को मिला।

कृषि वैज्ञानिक ने बताया की इस समय जो चीजें उगाई जाती हैं, सामान्य तौर पर इसकी रेसिस्टेंट होती है।

ऐसा पहली बार हुआ है

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि क्षेत्र के गोभी किसानों के साथ ऐसा पहली बार हुआ है जब गोभी में सड़न आई, बैक्टीरियल ब्लाइट्स का प्रकोप दिखा, और इतना नुकसान हुआ है। इससे पहले किसान अच्छा उत्पादन लेते रहे हैं ।

अब लाइलाज हो चुका है

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि गोभी की फसल में जिस स्टेज में ये सड़न आ गई हैं, बैक्टीरियल ब्लाइट्स का जिस तरह से प्रकोप हुआ है उसे देखकर यही लग रहा है की अब इसका कोई इलाज नहीं है क्योंकि फूल गोभी पूरी तरह से सड़ चुकी है।

फसल खराब होने के दो कारण

कृषि वैज्ञनिकों ने फसल खराब होने के दो कारण बताए पहला लंबे समय तक बारिश का दौर चला जो बैक्टीरियल ब्लाइट्स को फैलाने के अनुकूल मौसम हो गया और गोभी में इसका प्रकोप बढ़ गया।

दूसरा इस सीजन में गोभी की खेती करने के लिए बीज में बैक्टीरियल रेसिस्टेंट होना चाहिए, कहीं न कहीं इस बार रेसिस्टेंट ब्रेकअप हुआ है जिसके चलते नुकसान हुआ है।




Conclusion:नुकसान तो हुआ है

ये ऑफ सीजन होता है इस सीजन में फूल गोभी 80 से 100 रुपये किलो बाजार में बिकता है कई एकड़ में किसानों ने गोभी की खेती की और इस तरह से बैक्टीरियल ब्लाइट्स की वजह से फसल खराब हो जाने से किसान परेशान है क्योंकि जहां वो इस फसल से लाखों की कमाई करता, अब उसकी लागत निकलनी मुश्किल हो रही है, इस फसल को तैयार करने में लाखों तो खर्च कर दिये,मेहनत भी किया लेकिन अब लागत निकलनी मुश्किल है।
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