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हमारी इच्छा है कि 2021 के प्रथम तिमाही में मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाए- डीन

शहडोल मेडिकल कॉलेज की शुरुआत अभी भी पूरी तरह से नहीं हो सकी है. शहडोल मेडिकल कॉलेज में अभी सिर्फ कोरोना का इलाज चल रहा है, जब कोरोना काल की शुरुआत हुई तो जिले में अचानक ही आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज की भी शुरुआत की गई.

Dean of Shahdol Medical College
मेडिकल कॉलेज के डीन से एक्सक्लूसिव बातचीत
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Published : Dec 30, 2020, 12:02 AM IST

शहडोल। मेडिकल कॉलेज की शुरुआत अभी भी पूरी तरह से नहीं हो सकी है. शहडोल मेडिकल कॉलेज में अभी सिर्फ कोरोना का इलाज चल रहा है, जब कोरोना काल की शुरुआत हुई तो जिले में अचानक ही आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज की भी शुरुआत की गई और वह भी कोरोना के इलाज के लिए आखिर किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा कैसे आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज को कोरोना के इलाज के लिए तैयार करना पड़ा संसाधनों के अभाव से किस तरह से जूझना पड़ा किस तरह की व्यवस्थाएं बनी और तब की स्थिति में और आज की स्थिति में मेडिकल कॉलेज में कितनी व्यवस्थाएं हो चुकी हैं और साल 2021 में शहडोल मेडिकल कॉलेज को और क्या सौगातें मिलने वाली हैं क्या क्या शुरुआत होने जा रही हैं, इन सभी बातों को लेकर ईटीवी भारत ने शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन मिलिंद शिरलकर से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

सवाल- कोरोनाकाल में शहडोल मेडिकल कॉलेज को आनन-फानन में शुरू करना पड़ा था किस तरह की चुनौतियां सामने आईं ?

जवाब- जब से कोरोना काल शुरू हुआ तो चिकित्सा शिक्षा विभाग से भी हमें निर्देश मिले कि हमें जिला चिकित्सालय में ही हमारे चिकित्सक चिकित्सकीय कार्य करेंगे और वहीं पर इलाज किया जाएगा. उस हिसाब से जिला चिकित्सालय में बड़ी मुश्किल से चार बेड की व्यवस्था कर पाए थे, जिला चिकित्सालय जहां पर कोरोना का इलाज किया जाना था लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से भी संतुष्टि दायक नहीं लग रही थी, उसी दौरान कलेक्टर ने हॉस्पिटल का राउंड लिया और हमारे यहां एक अच्छी चीज थी कि हॉस्पिटल का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा तैयार था. ऑक्सीजन लाइन विशेषकर सेंट्रल लाइन हमारे यहां मौजूद थी, हमें सलाह दी गई कि क्या हम यहां से मेडिकल कॉलेज शुरू कर सकते हैं, तो मैंने उनसे मदद की गुहार लगाई. क्योंकि ना तो हमारे पास कोई फर्नीचर था ना ही किसी तरह के कोई उपकरण थे, और ना ही हमारा नर्सिंग पैरामेडिकल स्टाफ नियुक्त हुआ था कलेक्टर जिला चिकित्सालय से 11 मॉनिटर तो भर्ती मरीजों की सुविधाओं के लिए उपकरण और कुछ और सामान दी गई और हम ने आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज अस्पताल चालू कर दिया.

मेडिकल कॉलेज के डीन से एक्सक्लूसिव बातचीत
उसके बाद चुनौती थी कि हमारे यहां शहडोल में जांच की सुविधा नहीं थी, जांच के लिए सैंपल जबलपुर भेजे जाने पड़ते थे और रिपोर्ट आने में कम से कम 1 दिन लग जाता था. इसके अलावा न हमारा पैथोलॉजी चालू था और न ही हमारा एक्स-रे चालू था. डॉक्टर की भी चुनौतियां थीं, जो हमारे यहां पर पर्याप्त मेडिसिन के चिकित्सक या फिर बेहोशी के चिकित्सक हमारे यहां एक भी नहीं थे छाती रोग विशेषज्ञ एक भी नहीं था, लेकिन जैसे तैसे हम लोग यह कार्य करना शुरू कर दिए, हालांकि इस दौरान आगे बढ़ते हुए राह में कई चुनौतियां आती रहीं जब मरीजों को भर्ती कर लिया गया. क्योंकि उस दौरान कोविड मरीजों के पास ना कोई जा सकता था ना ही किसी के पास वो आ सकता था. उनको भोजन नाश्ता देना समय-समय पर हमारे लिए अनिवार्य था. खाने का बजट उपलब्ध नहीं था. फिर भी कमिश्नर के निर्देश के बाद उनके गाइडेंस के अनुसार हमें स्वशासी निधि से हमने उनका खाना आदि चालू कराया, कालांतर में स्वास्थ्य विभाग को इसका बजट मिल रहा था तो सीएचओ के माध्यम से हमें भोजन का बजट भी मिल गया और भोजन की व्यवस्था सुचारू हो गई.सवाल- पहले की अपेक्षा अब मेडिकल कॉलेज को किस स्थिति में देखते हैं ?

जवाब- पहले की अपेक्षा तो मेडिकल कॉलेज बहुत ही बेहतरीन अवस्था में पहुंच चुका है. आज हमारे पास 36 वेंटीलेटर आ चुके हैं, 30 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आ चुके हैं. हमारे यहां आरटीपीसीआर लैब स्थापित हो चुकी हैं और हमारे यहां एक्स-रे भी होने लगे हैं. इसके अलावा जो विशेष जांच की आवश्यकता रहती है. पैथोलॉजी में और बायोकेमिस्ट्री में वह सभी जांच हमारे यहां शुरू हो चुकी हैं सिर्फ सिटी स्कैन को छोड़ दें तो बाकी सभी जांच हम लोग कर रहे हैं.

सवाल- ऑक्सीजन को लेकर भी समस्या आई थी, अब क्या व्यवस्था है ?

जवाब- ऑक्सीजन शुरू में हमारे यहां जो मैनीफोल्ड सिस्टम बोलते हैं सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई होता है जिसमें लगभग एट अ टाइम 12 सिलेंडर लगाए जाते हैं और उससे सप्लाई होता है अगस्त और सितंबर के महीने में मरीज तेजी से बढ़ने लग गए दबाव बढ़ा मरीजों के ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ी तो सप्लाई में दिक्कत आ रही थी, जबलपुर से जहां से हमारा सप्लाई होकर आता था नॉर्मली 12 घंटे में गाड़ी ऑक्सिजन लेकर आ जाती थी, उस दौरान कई बार ऐसा हुआ की एकाएक जैसे वहां से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाई या फिर कहीं गाड़ी खराब हो गई या फिर जबलपुर में भी डिमांड बढ़ी तो उस दौरान वहां से ही हमें ऑक्सीजन समय से नहीं मिला पाया.

सवाल- साल 2021 में शहडोल मेडिकल कॉलेज में क्या सुविधाएं बढ़ सकती हैं ?

जवाब- साल 2021 में जो सबसे बड़ी सुविधा जो मैं देख रहा हूं कि हमारे यहां 10 बेड एसएनसीयू शुरू होने का है, हमारी सारी तैयारियां हो चुकी हैं. हमको उपकरण भी मिल चुके हैं. वार्मर, वेंटिलेटर, फोटो थेरेपी यूनिट, लिवोन ट्रॉली सब हमें मिल चुके हैं. हमने इसके लिए नर्सेज का प्रशिक्षण भी चालू कर दिया है. इसके लिए जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन होता है एनएचएम इसकी भी अभी अनुमति आना है, क्योंकि इनका पूरा कंट्रोल उनके मापदंड के अनुसार होता है और उनकी मदद से होता है. इसके अलावा ब्लड बैंक शुरू होने की स्थिति में आ गया है. ऑपरेशन थिएटर भी लगभग बनकर तैयार है. हमारी इच्छा है कि 2021 के प्रथम तिमाही में हमारा अस्पताल शुरू हो जाए अस्पताल में हम केवल शुरुआत में मेडिकल वार्ड जिसकी तैयारियां हमारा वार्ड स्थापित हो चुका है. हमें कुछ बजट की आवश्यकता है जो जल्द ही स्वीकृत होने की उम्मीद है. क्योंकि जब मरीज भर्ती करेंगे तो भोजन देना होगा. आने वाले समय में कपड़े के लिए लॉन्ड्री लगानी पड़ेगी, ऑपरेशन थिएटर भी चालू हो जाएंगे. ऑपरेशन थियेटर भी बनकर तैयार हैं, आने वाले समय में आपरेशन भी चालू हो जाएंगे. उसके उपरांत हम गायनिक विभाग शिफ्ट करेंगे, यहां डिलीवरी होने लगेगी, यह काम लगभग पूरा हो चुका है और यह सौगात 2021 के प्रथम तिमाही में मेरी इच्छा है कि जनवरी-फरवरी में ही चालू हो जाए तो धीरे-धीरे अस्पताल रूटीन में आ जाएगा और पूरा अस्पताल चालू होने लगेगा.

शहडोल। मेडिकल कॉलेज की शुरुआत अभी भी पूरी तरह से नहीं हो सकी है. शहडोल मेडिकल कॉलेज में अभी सिर्फ कोरोना का इलाज चल रहा है, जब कोरोना काल की शुरुआत हुई तो जिले में अचानक ही आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज की भी शुरुआत की गई और वह भी कोरोना के इलाज के लिए आखिर किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा कैसे आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज को कोरोना के इलाज के लिए तैयार करना पड़ा संसाधनों के अभाव से किस तरह से जूझना पड़ा किस तरह की व्यवस्थाएं बनी और तब की स्थिति में और आज की स्थिति में मेडिकल कॉलेज में कितनी व्यवस्थाएं हो चुकी हैं और साल 2021 में शहडोल मेडिकल कॉलेज को और क्या सौगातें मिलने वाली हैं क्या क्या शुरुआत होने जा रही हैं, इन सभी बातों को लेकर ईटीवी भारत ने शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन मिलिंद शिरलकर से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

सवाल- कोरोनाकाल में शहडोल मेडिकल कॉलेज को आनन-फानन में शुरू करना पड़ा था किस तरह की चुनौतियां सामने आईं ?

जवाब- जब से कोरोना काल शुरू हुआ तो चिकित्सा शिक्षा विभाग से भी हमें निर्देश मिले कि हमें जिला चिकित्सालय में ही हमारे चिकित्सक चिकित्सकीय कार्य करेंगे और वहीं पर इलाज किया जाएगा. उस हिसाब से जिला चिकित्सालय में बड़ी मुश्किल से चार बेड की व्यवस्था कर पाए थे, जिला चिकित्सालय जहां पर कोरोना का इलाज किया जाना था लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से भी संतुष्टि दायक नहीं लग रही थी, उसी दौरान कलेक्टर ने हॉस्पिटल का राउंड लिया और हमारे यहां एक अच्छी चीज थी कि हॉस्पिटल का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा तैयार था. ऑक्सीजन लाइन विशेषकर सेंट्रल लाइन हमारे यहां मौजूद थी, हमें सलाह दी गई कि क्या हम यहां से मेडिकल कॉलेज शुरू कर सकते हैं, तो मैंने उनसे मदद की गुहार लगाई. क्योंकि ना तो हमारे पास कोई फर्नीचर था ना ही किसी तरह के कोई उपकरण थे, और ना ही हमारा नर्सिंग पैरामेडिकल स्टाफ नियुक्त हुआ था कलेक्टर जिला चिकित्सालय से 11 मॉनिटर तो भर्ती मरीजों की सुविधाओं के लिए उपकरण और कुछ और सामान दी गई और हम ने आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज अस्पताल चालू कर दिया.

मेडिकल कॉलेज के डीन से एक्सक्लूसिव बातचीत
उसके बाद चुनौती थी कि हमारे यहां शहडोल में जांच की सुविधा नहीं थी, जांच के लिए सैंपल जबलपुर भेजे जाने पड़ते थे और रिपोर्ट आने में कम से कम 1 दिन लग जाता था. इसके अलावा न हमारा पैथोलॉजी चालू था और न ही हमारा एक्स-रे चालू था. डॉक्टर की भी चुनौतियां थीं, जो हमारे यहां पर पर्याप्त मेडिसिन के चिकित्सक या फिर बेहोशी के चिकित्सक हमारे यहां एक भी नहीं थे छाती रोग विशेषज्ञ एक भी नहीं था, लेकिन जैसे तैसे हम लोग यह कार्य करना शुरू कर दिए, हालांकि इस दौरान आगे बढ़ते हुए राह में कई चुनौतियां आती रहीं जब मरीजों को भर्ती कर लिया गया. क्योंकि उस दौरान कोविड मरीजों के पास ना कोई जा सकता था ना ही किसी के पास वो आ सकता था. उनको भोजन नाश्ता देना समय-समय पर हमारे लिए अनिवार्य था. खाने का बजट उपलब्ध नहीं था. फिर भी कमिश्नर के निर्देश के बाद उनके गाइडेंस के अनुसार हमें स्वशासी निधि से हमने उनका खाना आदि चालू कराया, कालांतर में स्वास्थ्य विभाग को इसका बजट मिल रहा था तो सीएचओ के माध्यम से हमें भोजन का बजट भी मिल गया और भोजन की व्यवस्था सुचारू हो गई.सवाल- पहले की अपेक्षा अब मेडिकल कॉलेज को किस स्थिति में देखते हैं ?

जवाब- पहले की अपेक्षा तो मेडिकल कॉलेज बहुत ही बेहतरीन अवस्था में पहुंच चुका है. आज हमारे पास 36 वेंटीलेटर आ चुके हैं, 30 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आ चुके हैं. हमारे यहां आरटीपीसीआर लैब स्थापित हो चुकी हैं और हमारे यहां एक्स-रे भी होने लगे हैं. इसके अलावा जो विशेष जांच की आवश्यकता रहती है. पैथोलॉजी में और बायोकेमिस्ट्री में वह सभी जांच हमारे यहां शुरू हो चुकी हैं सिर्फ सिटी स्कैन को छोड़ दें तो बाकी सभी जांच हम लोग कर रहे हैं.

सवाल- ऑक्सीजन को लेकर भी समस्या आई थी, अब क्या व्यवस्था है ?

जवाब- ऑक्सीजन शुरू में हमारे यहां जो मैनीफोल्ड सिस्टम बोलते हैं सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई होता है जिसमें लगभग एट अ टाइम 12 सिलेंडर लगाए जाते हैं और उससे सप्लाई होता है अगस्त और सितंबर के महीने में मरीज तेजी से बढ़ने लग गए दबाव बढ़ा मरीजों के ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ी तो सप्लाई में दिक्कत आ रही थी, जबलपुर से जहां से हमारा सप्लाई होकर आता था नॉर्मली 12 घंटे में गाड़ी ऑक्सिजन लेकर आ जाती थी, उस दौरान कई बार ऐसा हुआ की एकाएक जैसे वहां से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाई या फिर कहीं गाड़ी खराब हो गई या फिर जबलपुर में भी डिमांड बढ़ी तो उस दौरान वहां से ही हमें ऑक्सीजन समय से नहीं मिला पाया.

सवाल- साल 2021 में शहडोल मेडिकल कॉलेज में क्या सुविधाएं बढ़ सकती हैं ?

जवाब- साल 2021 में जो सबसे बड़ी सुविधा जो मैं देख रहा हूं कि हमारे यहां 10 बेड एसएनसीयू शुरू होने का है, हमारी सारी तैयारियां हो चुकी हैं. हमको उपकरण भी मिल चुके हैं. वार्मर, वेंटिलेटर, फोटो थेरेपी यूनिट, लिवोन ट्रॉली सब हमें मिल चुके हैं. हमने इसके लिए नर्सेज का प्रशिक्षण भी चालू कर दिया है. इसके लिए जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन होता है एनएचएम इसकी भी अभी अनुमति आना है, क्योंकि इनका पूरा कंट्रोल उनके मापदंड के अनुसार होता है और उनकी मदद से होता है. इसके अलावा ब्लड बैंक शुरू होने की स्थिति में आ गया है. ऑपरेशन थिएटर भी लगभग बनकर तैयार है. हमारी इच्छा है कि 2021 के प्रथम तिमाही में हमारा अस्पताल शुरू हो जाए अस्पताल में हम केवल शुरुआत में मेडिकल वार्ड जिसकी तैयारियां हमारा वार्ड स्थापित हो चुका है. हमें कुछ बजट की आवश्यकता है जो जल्द ही स्वीकृत होने की उम्मीद है. क्योंकि जब मरीज भर्ती करेंगे तो भोजन देना होगा. आने वाले समय में कपड़े के लिए लॉन्ड्री लगानी पड़ेगी, ऑपरेशन थिएटर भी चालू हो जाएंगे. ऑपरेशन थियेटर भी बनकर तैयार हैं, आने वाले समय में आपरेशन भी चालू हो जाएंगे. उसके उपरांत हम गायनिक विभाग शिफ्ट करेंगे, यहां डिलीवरी होने लगेगी, यह काम लगभग पूरा हो चुका है और यह सौगात 2021 के प्रथम तिमाही में मेरी इच्छा है कि जनवरी-फरवरी में ही चालू हो जाए तो धीरे-धीरे अस्पताल रूटीन में आ जाएगा और पूरा अस्पताल चालू होने लगेगा.

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