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कोरोना में फीका पड़ा सावन का रंग ! कांवड़ियों की संख्या में आई काफी कमी

सावन के सोमवार में कहीं भक्तों की भीड़ तो कहीं कावंड़ियों की भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन इस साल कोरोना काल के चलते जहां एक तरफ मंदिर में पहुंच रहे भक्तों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है, तो वहीं दूसरी तरफ कावंड़ियों पर भी कोरोना संकट का असर देखने को मिल रहा है.

kavandis in sawan
फीका पड़ा सावन का रंग!
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Published : Jul 13, 2020, 8:19 PM IST

Updated : Jul 13, 2020, 9:21 PM IST

शहडोल। सावन का महीना चल रहा है और इस महीने में आप जहां भी जाएंगे, शिव भक्ति में रंगे हुए लोग मिल जाएंगे, सावन के सोमवार को कहीं शिवालयों में भक्तों की भीड़ तो कहीं शिवालयों में कावंड़ियों की भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन इस साल कोरोना काल के चलते जहां एक तरफ मंदिर में पहुंच रहे भक्तों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है, तो वहीं दूसरी तरफ कावंड़ियों पर भी कोरोना संकट का असर देखने को मिल रहा है.

फीका पड़ा सावन का रंग!

कांवड़ यात्रा में दर्ज की गई गिरावट

लखबरिया धाम में दिव्य स्वरूप, और दर्शन को लालायित लोग, बोल बम के धुन में मन मस्त होकर पिछले चार दिन से नंगे पैर यात्रा कर रहे हैं, लेकिन कारोना काल में कांवड़ियों की यात्रा काफी संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. मंदिर के पुजारी रामानुज मिश्रा की अगर मानें तो इनका भी कहना है कि श्रावण मास में कावड़ियों की संख्या हर साल बढ़ती है. लेकिन इस साल कोरोना के चलते कांवड़ियों की संख्या में कमी आई है.

कांवड़ यात्रा पर कोरोना का ग्रहण
इस साल जब देशभर में कोरोना का संकट अपने चरम पर है, तब ऐसा लगता है कि मानों हर साल आयोजित होने वाले इन मेलों और कांवड़ यात्रा पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. सावन से कई दिन पहले ही जिन विशाल मेलों और यात्रा की तैयारियां हर साल शुरू हो जाती थीं, लेकिन इस साल फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.

पूजा की सामग्री बेचने वाले व्यापारी भी दुखी

पिछले 10 साल से सावन के महीने में लखबरिया धाम के इस मंदिर में पूजा की सामग्री बेचने वाले व्यापारी बताते हैं कि इस साल भक्तों की संख्या में कमी है, हर साल कई हजार भक्त दर्शन को आते थे, इस दौरान वो नारियल, फल, पूजा सामग्री जमकर बेचते थे, लेकिन इस साल कोरोना काल में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या में भी कमी आई है, इसके साथ ही व्यापारियों की सामग्री भी कम बिक रही है. पहले जहां एक टोली में 100 से 200 लोग रहते थे, वहीं इस साल इन टोलियों की संख्या सिमटकर रह गई है.


सावन में कोरोना से मुक्ति की उम्मीद!

लिहाजा यकीनन ये कहा जा सकता है कि, एक ओर जहां सावन का महीना चल रह है, तो वहीं दूसरी ओर इस साल कोरोना महामारी से लोग दहशत में हैं, जिसके चलते घरों से बाहर तक निकलने में लोग परहेज कर रहे हैं, लेकिन लोग महाकाल से उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल 2020 के सावन के इस पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ अपनी कृपा से देश को न केवल कोरोना से निजात दिलाएंगे, बल्कि अपने भक्तों की रक्षा भी करेंगे.

शहडोल। सावन का महीना चल रहा है और इस महीने में आप जहां भी जाएंगे, शिव भक्ति में रंगे हुए लोग मिल जाएंगे, सावन के सोमवार को कहीं शिवालयों में भक्तों की भीड़ तो कहीं शिवालयों में कावंड़ियों की भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन इस साल कोरोना काल के चलते जहां एक तरफ मंदिर में पहुंच रहे भक्तों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है, तो वहीं दूसरी तरफ कावंड़ियों पर भी कोरोना संकट का असर देखने को मिल रहा है.

फीका पड़ा सावन का रंग!

कांवड़ यात्रा में दर्ज की गई गिरावट

लखबरिया धाम में दिव्य स्वरूप, और दर्शन को लालायित लोग, बोल बम के धुन में मन मस्त होकर पिछले चार दिन से नंगे पैर यात्रा कर रहे हैं, लेकिन कारोना काल में कांवड़ियों की यात्रा काफी संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. मंदिर के पुजारी रामानुज मिश्रा की अगर मानें तो इनका भी कहना है कि श्रावण मास में कावड़ियों की संख्या हर साल बढ़ती है. लेकिन इस साल कोरोना के चलते कांवड़ियों की संख्या में कमी आई है.

कांवड़ यात्रा पर कोरोना का ग्रहण
इस साल जब देशभर में कोरोना का संकट अपने चरम पर है, तब ऐसा लगता है कि मानों हर साल आयोजित होने वाले इन मेलों और कांवड़ यात्रा पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. सावन से कई दिन पहले ही जिन विशाल मेलों और यात्रा की तैयारियां हर साल शुरू हो जाती थीं, लेकिन इस साल फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है.

पूजा की सामग्री बेचने वाले व्यापारी भी दुखी

पिछले 10 साल से सावन के महीने में लखबरिया धाम के इस मंदिर में पूजा की सामग्री बेचने वाले व्यापारी बताते हैं कि इस साल भक्तों की संख्या में कमी है, हर साल कई हजार भक्त दर्शन को आते थे, इस दौरान वो नारियल, फल, पूजा सामग्री जमकर बेचते थे, लेकिन इस साल कोरोना काल में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या में भी कमी आई है, इसके साथ ही व्यापारियों की सामग्री भी कम बिक रही है. पहले जहां एक टोली में 100 से 200 लोग रहते थे, वहीं इस साल इन टोलियों की संख्या सिमटकर रह गई है.


सावन में कोरोना से मुक्ति की उम्मीद!

लिहाजा यकीनन ये कहा जा सकता है कि, एक ओर जहां सावन का महीना चल रह है, तो वहीं दूसरी ओर इस साल कोरोना महामारी से लोग दहशत में हैं, जिसके चलते घरों से बाहर तक निकलने में लोग परहेज कर रहे हैं, लेकिन लोग महाकाल से उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल 2020 के सावन के इस पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ अपनी कृपा से देश को न केवल कोरोना से निजात दिलाएंगे, बल्कि अपने भक्तों की रक्षा भी करेंगे.

Last Updated : Jul 13, 2020, 9:21 PM IST
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