शहडोल। दीपावली को दीपों का त्योहार माना जाता है और दीपावली के त्यौहार के कुछ दिन पहले से ही बाजार में जगह-जगह मिट्टी के दीपक बेचते व्यापारी आपको मिल जाएंगे. बदलते वक्त के साथ लोगों में भी बदलाव देखने को मिला है, अब लोग तरह-तरह के खूबसूरत रेडीमेड दीपक को देखकर मिट्टी के दीपक को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन मिट्टी के दीपक जलाने का एक अलग ही महत्व होता है. इसके कई फायदे होते हैं, ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि मिट्टी के दीपक जलाने के धार्मिक महत्व भी हैं, जिससे मानव जीवन में कई लाभ होते हैं.
मिट्टी के दीपक का धार्मिक महत्व: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि मिट्टी के दीपक का धार्मिक महत्व है, जो मानव जीवन में खुशहाली लाता है और सकारात्मकता का संचार करता है. शास्त्रों के अनुसार मिट्टी के दीपक प्रमाणित हैं, मिट्टी के दीपक जब जलते हैं तो उसमें से जो लौ निकलती है उससे जो नकारात्मक ऊर्जा होती है, वो नष्ट हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
पुराणों में वर्णन है कि जब दीपक जलते हैं तो वह दीपक मिट्टी के ही होने चाहिए. पहले कच्ची मिट्टी के ही दीपक बनाए जाते थे, लेकिन अब मिट्टी से बने हुए पके पकाए दीपक भी आने लगे हैं, जिन्हें लाकर पहले घर में धो लें शुद्ध कर लें और उसमें दो-दो बत्ती डाल करके घी से या फिर तिल के तेल से या फिर अलसी के तेल से दीपक जलाने का शास्त्रों के अनुसार महत्व है.
ऐसे दीपक से दीपदान बिल्कुल न करें: ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि बदलते वक्त के साथ कई लोगों मोमबत्ती का इस्तेमाल करने लग गए हैं मोमबत्ती के दीपों का इस्तेमाल करने लग गए हैं, लेकिन इस तरह के दीपदान का कोई भी धार्मिक महत्व नहीं है. शास्त्रों में इसका वर्णन बिल्कुल भी नहीं है और इस तरह के दीपदान करने के कोई फायदे भी नहीं है.
ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि "मिट्टी के दीपक जलाने चाहिए. मिट्टी के दीपक जलाने से शांति मिलती है, बरक्कत होती है और उस घर में सौभाग्यता बनी रहती है. दीपावली के दिन दीपक जलाने से घर में लक्ष्मी का निवास होता है, उस घर में धनवंतरी का निवास होता है तो खुशियां भी बनी रहती हैं."
मंगल और शनि होते हैं अनुकूल: ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि मिट्टी के दीपक जलाने के फायदे कई हैं इससे गृह भी अनुकूल होते हैं जैसे मिट्टी मंगल ग्रह का प्रतीक माना गया है, और मंगल को साहस पराक्रम का प्रतीक माना गया है, और तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है, और शनि न्याय और भाग्य के देवता कहे जाते हैं, इसलिए दीपक जलाने से मंगल और शनि ग्रह की भी अनुकूल दृष्टि बनती है, जिससे जातक को कई लाभ होते हैं, इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि जब भी हम दीपक जलाएं तो मिट्टी के दीपक ही जलाएं.
दावाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि दीपावली पर मां लक्ष्मी के पूजन के बाद दीए जलाएं जते हैं, यूं तो कोई सीमा नहीं है भक्त अपनी श्रद्धानुसार कितने भी दीपक लगा सकता है. लेकिन हो सके तो कोशिश करें कि दीपक हमेशा विषम संख्या में लगाए जाएं. जैसे- 5,7,9,11,21,51,101,121,151... आदि.