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धान की खेती करने वाले किसानों के लिए ये खबर है खास, जाने कैसे कीड़ों से बचाएं फसल

प्रदेश से मानसून की विदाई लगभग हो चुकी है और अब धान की बालियां आने का समय है, इस दौरान फसल के बिमारियों की चपेट में आने आशंका रहती है, इन हालातों से फसल को कैसे बचाना हैं, जानने के लिए पढ़ें खबर.

कृषि वैज्ञानिक से चर्चा
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Published : Oct 12, 2019, 4:56 PM IST

शहडोल। प्रदेश शहडोल जिले में आफत की बारिश हुई, जिसके चलते उड़द, सोयाबीन और तिल की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. मानसून विदा हो चुका है और धान की फसल में कहीं बालियां आ चुकी हैं, तो कहीं बालियां आने की शुरूआत हुई है. ऐसे में किसान किस तरह की सावधानी रखें, साथ ही धान की फसलों पर किस तरह से नजर रखें, इसके लिए ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी से बात की, जिन्होंने किसानों को कई महत्वपूर्ण बातें बताई.


तनाछेदक के आसार ज्यादा
शहडोल जिले में धान की खेती का बहुत बड़े रकबे में होती है, यहां के अधिकतर किसान धान की ही खेती प्रमुखता से करते हैं. इन दिनों खेतों में धान की कुछ फसलों को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीएन त्रिपाठी कहते हैं कि, इन दिनों धान की फसल में विशेष रूप से तनाछेदक कीड़ों का प्रकोप देखने को मिल रहा है, ये कीड़े तने को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधे को पोषक तत्व नहीं मिल पाता है. जब धान की बालियां निकल रही होती हैं, उस समय तनाछेदक का प्रकोप देखने को मिलता है. ऐसे में पहले चार फेरोमेन ट्रैप प्रति एकड़ में लगाएं, जिससे पता लग जाएगा कि कीड़ों का कितना प्रकोप है और अगर ज्यादा प्रकोप दिखे तो फिर कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर रासायनिक दवाओं का छिड़काव करें.

धान के लिए कृषि वैज्ञानिक की सलाह


गंधीवग का प्रकोप
तनाछेदक के अलावा गंधीवग की बात करें तो ये रसचूसक होता है, जब फसल में बालियां भरने का समय रहता है, उस दौरान गंधीवग का प्रकोप देखने को मिलता है, इसकी पहचान किसान ऐसे कर सकते हैं कि, जब आप अपने खेत में फसलों के पास जाएंगे तो तीक्ष्ण गंध आती है, जो पत्तियों को भी काट देता है और पत्तियां हल्की पीली पड़ने लगती हैं, जिसे रसचूसक कीड़े के तौर पर जाना जाता है और फिर इसमें दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं.

फसल में कितना पानी रखें
इस स्थिति में पानी के लिए तो 10 से 12 दिन में पानी बदल देना चाहिए और करीब दो इंच खेतों में पानी लगाकर रखना चाहिए, क्योंकि धान की फसल में जब बाली निकलती है, कल्ले आने लगते हैं और बाली में दाने आने लगते हैं, तो पानी की बहुत जरूरत होती है, ऐसे समय में खेतों में पानी जरूर लगाकर रखें. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक इस समय यूरिया का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें.

इस तरह की बीमारी पर रखें नजर
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी कहते हैं, धान में जब दाने आने लगते हैं, तो एक बीमारी लगने का खतरा रहता है, जिसमें दाने की जगह पर काला चून, पाउडर की तरह बन जाता है, ऐसे में इस पर भी नजर रखें और अगर किसी भी तरह की दिक्कत हो तो, सीधे कृषि वैज्ञनिकों से संपर्क करें और जरूरी सलाह लेकर फसल का सही उपचार करें.

शहडोल। प्रदेश शहडोल जिले में आफत की बारिश हुई, जिसके चलते उड़द, सोयाबीन और तिल की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. मानसून विदा हो चुका है और धान की फसल में कहीं बालियां आ चुकी हैं, तो कहीं बालियां आने की शुरूआत हुई है. ऐसे में किसान किस तरह की सावधानी रखें, साथ ही धान की फसलों पर किस तरह से नजर रखें, इसके लिए ईटीवी भारत ने कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी से बात की, जिन्होंने किसानों को कई महत्वपूर्ण बातें बताई.


तनाछेदक के आसार ज्यादा
शहडोल जिले में धान की खेती का बहुत बड़े रकबे में होती है, यहां के अधिकतर किसान धान की ही खेती प्रमुखता से करते हैं. इन दिनों खेतों में धान की कुछ फसलों को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीएन त्रिपाठी कहते हैं कि, इन दिनों धान की फसल में विशेष रूप से तनाछेदक कीड़ों का प्रकोप देखने को मिल रहा है, ये कीड़े तने को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधे को पोषक तत्व नहीं मिल पाता है. जब धान की बालियां निकल रही होती हैं, उस समय तनाछेदक का प्रकोप देखने को मिलता है. ऐसे में पहले चार फेरोमेन ट्रैप प्रति एकड़ में लगाएं, जिससे पता लग जाएगा कि कीड़ों का कितना प्रकोप है और अगर ज्यादा प्रकोप दिखे तो फिर कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर रासायनिक दवाओं का छिड़काव करें.

धान के लिए कृषि वैज्ञानिक की सलाह


गंधीवग का प्रकोप
तनाछेदक के अलावा गंधीवग की बात करें तो ये रसचूसक होता है, जब फसल में बालियां भरने का समय रहता है, उस दौरान गंधीवग का प्रकोप देखने को मिलता है, इसकी पहचान किसान ऐसे कर सकते हैं कि, जब आप अपने खेत में फसलों के पास जाएंगे तो तीक्ष्ण गंध आती है, जो पत्तियों को भी काट देता है और पत्तियां हल्की पीली पड़ने लगती हैं, जिसे रसचूसक कीड़े के तौर पर जाना जाता है और फिर इसमें दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं.

फसल में कितना पानी रखें
इस स्थिति में पानी के लिए तो 10 से 12 दिन में पानी बदल देना चाहिए और करीब दो इंच खेतों में पानी लगाकर रखना चाहिए, क्योंकि धान की फसल में जब बाली निकलती है, कल्ले आने लगते हैं और बाली में दाने आने लगते हैं, तो पानी की बहुत जरूरत होती है, ऐसे समय में खेतों में पानी जरूर लगाकर रखें. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक इस समय यूरिया का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें.

इस तरह की बीमारी पर रखें नजर
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी कहते हैं, धान में जब दाने आने लगते हैं, तो एक बीमारी लगने का खतरा रहता है, जिसमें दाने की जगह पर काला चून, पाउडर की तरह बन जाता है, ऐसे में इस पर भी नजर रखें और अगर किसी भी तरह की दिक्कत हो तो, सीधे कृषि वैज्ञनिकों से संपर्क करें और जरूरी सलाह लेकर फसल का सही उपचार करें.

Intro:नोट- वर्जन कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी का है।

मौसम बदल गया है अब बारिश के नहीं दिख रहे आसार, धान की खेती करने वाले किसानों के लिए काम की बात

शहडोल- पूरे मध्यप्रदेश की तरह अभी कुछ दिन पहले ही शहडोल जिले में भी आफत की बारिश हुई, जिसके चलते उड़द, सोयाबीन और तिल की फसलों को भारी नुकसान हुआ। और अब जब बारिश बंद हो गई है और धान की फसल में कहीं बालियां आ गई हैं कहीं बालियां आ रहीं हैं ऐसे किसान किस तरह की सावधानी रखें, साथ ही धान की फसलों पर किस तरह से नज़र रखें इसके लिए हमने बात की कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी से।


Body:शहडोल जिले में धान की खेती का बहुत बड़ा रकबा है, यहां के अधिकतर किसान धान की ही खेती प्रमुखता से करते हैं इन दिनों खेतों में धान की कुछ फ़सलों में जहां बालियां आ रहीं हैं तो कुछ फसलों में धान की बालियां आ चुकी हैं ऐसे में किसानों को थोड़ी बहुत सावधानी रखनी पड़ेगी नहीं दिक़्क़त हो सकती है।

कृषि वैज्ञानिक पीएन त्रिपाठी कहते हैं कि इन दिनों धान की फसल में विशेष रूप से तनाछेदक कीड़ों का प्रकोप देखने को मिल रहा है, तनाछेदक में कीड़े तने को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे पौधे को पोषक तत्व नहीं मिल पाता है। तनाछेदक का प्रकोप जब बालियां निकल रही होती हैं उस परिस्थिति में देखने को मिलता है।

ऐसे में पहले चार फेरोमेन ट्रैप प्रति एकड़ में लगाएं जिससे पता लग जायेगा कि कीड़ों का कितना प्रकोप है और अगर ज्यादा प्रकोप दिखे तो फिर कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर रासायनिक दवाओं का छिड़काव करें।

तनाछेदक के अलावा गंधीवग की बात करें तो रसचूसक होता है, जब फसल में बालियां भरने का समय रहता है दाने भरने की अवस्था होती है उस अवस्था में गंधीवग का प्रकोप देखने को मिलता है इसकी पहचान किसान ऐसे कर सकते हैं कि जब आप अपने खेत में फसलों के पास जाएंगे तो तीक्ष्ण गंध आती है, जो पत्तियों को भी काट देता है, और जो पत्तियां हैं वो हल्की पीली पड़ने लगती हैं, जिसे रसचूसक कीड़े के तौर पर जाना जाता है, और फिर इसमें दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं।

फसल में कितना पानी रखें

इस स्थिति में पानी के लिए तो 10 से 12 दिन में पानी बदल देना चाहिए, और करीब दो इंच खेतों में पानी लगाकर रखना चाहिए क्योंकि धान की फसल में जब बाली निकलती है, कल्ले आने लगते हैं, और बाली में दाने आने लगते हैं तो पानी की बहुत जरूरत होती है। ऐसे समय में खेतों में पानी जरूर लगाकर रखें।

इस अवस्था में यूरिया का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं

इतना ही नहीं इस अवस्था में युरिया का धान के खेत में बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें।




Conclusion:इस तरह की बीमारी पर रखें नज़र

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी कहते हैं, धान में जब दाने आने लगते हैं तो एक बीमारी लगने का खतरा रहता है जिसमें दाने की जगह पर काला चूंन पाउडर की तरह बन जाता है ऐसे में इस पर भी नज़र रखें और अगर किसी भी तरह की दिक्कत हो तो सीधे कृषि वैज्ञनिकों से संपर्क करें। और उनसे जरूरी सलाह लेकर अपने फसल का सही उपचार करें।
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