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धनु संक्रांति में सूर्यदेव की उपासना करने से होगा लाभ ही लाभ, जानिए इस दौरान क्या करें और क्या नहीं..

Dhanu Sankranti 2023: धनु संक्रांति में सूर्यदेव की उपासना करने से लाभ ही लाभ होगा, आइए जानते हैं इस दौरान क्या करें और क्या न करें-

Dhanu Sankranti 2023
धनु संक्रांति 2023
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 9, 2023, 3:50 PM IST

धनु संक्रांति में सूर्यदेव की उपासना करना होगा लाभ ही लाभ

Kharmas Starting Date and Time: वैसे तो संक्रांति हर महीने की होती है, लेकिन सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो धनु संक्रांति शुरू होती है. ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि इसे विशेष भी माना जाता है, शास्त्रों में धनु संक्रांति को बहुत महत्व बताया गया है. इस बार धनु संक्रांति 16 दिसंबर से शुरू हो रही है. धनु के 15, मकर 25 ऐसी कहावत भी है, सूर्य जब धनु राशि में जाता है तो उस समय से खरमास भी शुरू हो जाता है.

सूर्य जब एक राशि को छोड़कर दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं. हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है और सभी संक्रांतियों में धनु संक्रांति का विशेष महत्व होता है.

धनु संक्रांति में करें सूर्य की उपासना: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि वैसे तो धनु संक्रांति के शुरू होते ही खरमास लग जाता है, धनु राशि में जैसे ही सूर्य प्रवेश करता है, तो वैवाहिक कार्यक्रम, मांगलिक कार्यक्रम, ये सब बंद हो जाते हैं, क्योंकि सूर्य अस्त हो जाता है. सूर्य का कोई प्रभाव नहीं रहता है, इसलिए इस माह में यह सब काम करना पूर्ण वर्जित रहता है.

ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि इस दौरान लोगों को सूर्य की उपासना करनी चाहिए, जो काफी लाभकारी माना जाता है. सूर्य की उपासना के लिए प्रातः कालीन स्नान करें, तांबे के लोटा में जल लें और सूर्य को अर्घ देकर लाल फूल चढ़ाएं. ऐसा करने से सूर्य को बल मिलता है और सूर्य की कृपा उन जातकों पर पड़ती है, जिससे कोई आधी व्याधि रोग नहीं होता. शरीर में तेज बढ़ता है. इसके साथ ही प्रातः कालीन स्नान करके सूर्य को अर्घ देकर सूर्य के प्रकाश में आधा घंटा कम से कम बैठें तो सूर्य की कृपा से शांति मिलती है.

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार धनु संक्रांति पर भगवान सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है, इस दिन सूर्य देव की विधिवत उपासना करने से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन सूर्य देव के साथ भगवान विष्णु, भगवान जगन्नाथ और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्त होती है, माना जाता है कि खरमास में हर दिन भगवान सूर्य और श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव के बीज मंत्र व गायत्री मंत्र का जाप करना बेहद लाभकारी और फलदाई माना गया है, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही दान पुण्य का भी विशेष शास्त्रों में महत्व बताया गया है.

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धनु संक्रांति या खरमास में भूलकर न करें ये काम: ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि इस अवधि में कुछ विशेष काम ना करें, जैसे घर का उद्घाटन या गृह प्रवेश. मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा और देव स्थापना जैसे कार्य भी इस दौरान बंद हो जाते हैं, विवाह संबंधी या वैवाहिक कार्यक्रम पूर्णत: बंद हो जाते हैं. इसके अलावा जैसे सूर्य की संक्रांति समाप्त होगी तो फिर पूस का महीना आ जाता है तो 14 जनवरी तक उसका महीना यानी पूस की संक्रांति रहेगी, तो 14 जनवरी तक सभी कार्यक्रम बंद रहेंगे. कुल मिलाकर सूर्य की संक्रांति और पूस की संक्रांति दोनों एक साथ प्रारंभ होने से लगभग 14 जनवरी यानी एक महीना तक सभी कार्यक्रम बंद रहेंगे.

धनु संक्रांति में सूर्यदेव की उपासना करना होगा लाभ ही लाभ

Kharmas Starting Date and Time: वैसे तो संक्रांति हर महीने की होती है, लेकिन सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो धनु संक्रांति शुरू होती है. ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि इसे विशेष भी माना जाता है, शास्त्रों में धनु संक्रांति को बहुत महत्व बताया गया है. इस बार धनु संक्रांति 16 दिसंबर से शुरू हो रही है. धनु के 15, मकर 25 ऐसी कहावत भी है, सूर्य जब धनु राशि में जाता है तो उस समय से खरमास भी शुरू हो जाता है.

सूर्य जब एक राशि को छोड़कर दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं. हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है और सभी संक्रांतियों में धनु संक्रांति का विशेष महत्व होता है.

धनु संक्रांति में करें सूर्य की उपासना: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि वैसे तो धनु संक्रांति के शुरू होते ही खरमास लग जाता है, धनु राशि में जैसे ही सूर्य प्रवेश करता है, तो वैवाहिक कार्यक्रम, मांगलिक कार्यक्रम, ये सब बंद हो जाते हैं, क्योंकि सूर्य अस्त हो जाता है. सूर्य का कोई प्रभाव नहीं रहता है, इसलिए इस माह में यह सब काम करना पूर्ण वर्जित रहता है.

ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि इस दौरान लोगों को सूर्य की उपासना करनी चाहिए, जो काफी लाभकारी माना जाता है. सूर्य की उपासना के लिए प्रातः कालीन स्नान करें, तांबे के लोटा में जल लें और सूर्य को अर्घ देकर लाल फूल चढ़ाएं. ऐसा करने से सूर्य को बल मिलता है और सूर्य की कृपा उन जातकों पर पड़ती है, जिससे कोई आधी व्याधि रोग नहीं होता. शरीर में तेज बढ़ता है. इसके साथ ही प्रातः कालीन स्नान करके सूर्य को अर्घ देकर सूर्य के प्रकाश में आधा घंटा कम से कम बैठें तो सूर्य की कृपा से शांति मिलती है.

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार धनु संक्रांति पर भगवान सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है, इस दिन सूर्य देव की विधिवत उपासना करने से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन सूर्य देव के साथ भगवान विष्णु, भगवान जगन्नाथ और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्त होती है, माना जाता है कि खरमास में हर दिन भगवान सूर्य और श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव के बीज मंत्र व गायत्री मंत्र का जाप करना बेहद लाभकारी और फलदाई माना गया है, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही दान पुण्य का भी विशेष शास्त्रों में महत्व बताया गया है.

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