शहडोल। सावन के इस पावन महीने में हम लगातार शिव के दर्शन करा रहे हैं, अलग-अलग जगहों पर विराजे शिवलिंगों के बारे में बता रहे हैं. इस बार ईटीवी भारत पहुंचा शहडोल में ही स्थित कलचुरी कालीन विराट शिव मंदिर में, जहां पहुंचते ही अद्भुत शांति का अहसास होता है, मनमोहक नक्काशी की सजावट से बना ये मंदिर अनायास ही लोगों का मन मोह लेता है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में विराजे बालस्वरूप में भगवान भोलेनाथ से जो भी मन्नत मांगते हैं वो पूरी जरूर होती है. बस मन्नत सच्चे मन से पूरी आस्था और श्रद्धा भक्ति के साथ मांगी जाए.
मोक्ष का रास्ता बताता विराटेश्वर मंदिर
पौराणिक मान्यता है कि विराटेश्वर मंदिर में विराजे शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं, क्योंकि इस मंदिर का निर्माण ही कुछ इस तरह से करवाया गया था. जहां मंदिर की दीवारों से लेकर गुंबद तक पर बने चित्र इंसान को धर्म, अर्थ और काम के बाद मोक्ष प्राप्ति तक का रास्ता बताते हैं. मंदिर की सबसे खास बात मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान शिवलिंग बेहद छोटा है जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र है. शिवलिंग के बारे में पुरातत्व के जानकारों का मानना है कि जिस प्रकार इतने बड़े शरीर में आत्मा बहुत सूक्ष्म होता है, ठीक इसी तरह मंदिर में परमात्मा के स्वरूप में शिवलिंग विराजमान है. आज भी ये शिव मंदिर अपने वैभव के लिए जाना जाता है.
विराटेश्वर मंदिर का मनोरम दृश्य ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं ,'ये विराट शिव मंदिर में बालरूप शिवलिंग मौजूद है. यह कलचुरी कालीन राजाओं द्वारा बनवाया गया था, इस मंदिर में विराजे शिव को लेकर ऐसी मान्यता भी है कि जो भी वहां मन्नत मांगते हैं वो पूरी होती है और बाल रूप में विराजे शिवजी भक्तों की सुनते हैं, और मन्नतों को पूरी करते हैं.' ज्योतिषाचार्य कहते हैं, 'इस मंदिर में विराजे शिव को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां मन्नत पूरी होने के बाद मंदिर के सामने बने बाणगंगा कुंड में स्नान कर, भगवान भोलेनाथ के दर्शन करें और और फिर उस कुंड से जल लेकर जाएं और घर में छिड़क दें तो घर में शांति बनती है.'मन्नत पूरी होने के बाद भी यहां भक्तों को लेकर एक मान्यता है, इस बारे में ज्यतिषाचार्य कहते हैं, 'वहां पर विशेष रूप से जब मन्नत पूरी हो जाए तो दही और शहद ले जाकर शिव जी के ऊपर चढ़ाते हैं.' ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री विराट शिव मंदिर में विराजे शिवलिंग की व्याख्यान करते हुए कहते हैं, 'बाल स्वरूप में विराजे शिव बिल्कुल अलग हैं, 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अलग ही स्वरूप में है, इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.'
कलचुरी कालीन विराटेश्वर शिव मंदिर कोरोनाकाल का असर विराट शिव मंदिर में भी कोरोनाकाल का असर दिख रहा है, विराट मंदिर को तो लोगों के लिए पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है लेकिन गर्भ गृह को अभी भी बंद करके रखा गया है, गर्भ गृह में अभी भी ताला लगा हुआ है, क्योंकि यहां ज्यादा भीड़ न लगे और लोग सुरक्षित रहें, वैसे भी श्रावण के महीने में इस मंदिर में काफी संख्या में शृद्धालु शिव के दर्शन करने पहुंचते हैं ऐसे में अभी गर्भ गृह बंद होने के चलते लोगों को दूर से ही शिव के दर्शन करने होंगे.
विराटेश्वर मंदिर का गर्भगृह कलचुरी राजा युवराज देव ने कराया था निर्माणकहा जाता है कि इस शिव मंदिर का निर्माण कलचुरी राजा युवराज देव ने करवाया था, जो शिव को समर्पित है. कलचुरी राजा युवराज देव शिव के बहुत बड़े भक्त थे. इस मंदिर के गर्भगृह को गौर से देखें तो सूर्य की पहली किरण भगवान शिव को स्नान कराती हुई प्रतीत होती है. ये भी एक अद्भुत दृश्य है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. इस मंदिर को लेकर लोगों के मन में काफी आस्था है, जिले के लोग तो यहां विराजे भगवान शिव के दर्शन करने तो पहुंचते हैं, साथ ही बाहर से भी लोग भगवान शिव के दर्शन को आते हैं, और मन्नतें मांगते हैं. महाशिवरात्रि में यहां शिव दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है.