शहडोल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों में कांग्रेस जुट गई है. बीते 7 नवंबर को शहडोल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ विंध्य क्षेत्र के दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, ओमकार सिंह मरकाम सहित कई बड़े नेताओं का जमावड़ा शहडोल जिला मुख्यालय में लगा. सभी का फोकस आगामी विधानसभा चुनाव 2023 रहा. कांग्रेस ने जिस तरह से इस कार्यक्रम का आयोजन किया, उसे देखकर राजनीतिक गलियारे में अब यह चर्चा है, कि क्या इस सभा के साथ ही विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस मिशन 2023 (MP Mission 2023) का आगाज कर चुकी है. इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए कांग्रेस विशेष फोकस कर रही है.
विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की खास नजर: विधानसभा चुनाव मिशन 2023 के लिए अब ज्यादा समय नहीं बचा है, जिसकी तैयारी में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही जुड़ चुकी है. विंध्य क्षेत्र में पिछले ढाई दशक से कांग्रेस का कद घटता ही जा रहा है. इसे देखते हुए कांग्रेस इस बार विंध्य क्षेत्र में विशेष फोकस कर रही है और शायद इसीलिए मिशन 2023 का आगाज विंध्य क्षेत्र से ही कर दिया है. विंध्य क्षेत्र के एक सवाल पर खुद कमलनाथ भी मानते हैं कि, उन्होंने भी सबक सीखा है, चुनाव जीतते हैं या हारते हैं, सबक सीखते हैं और इस बार उन्होंने भरोसा जताया है कि विंध्य में ऐतिहासिक जीत होगी. विंध्य क्षेत्र के दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल जो पूर्व नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं, उन्होंने भरे मंच से ऐलान कर दिया है कि इस बार एकजुट होकर लड़ना है. विंध्य क्षेत्र में 30 में से 24 सीट जीतकर लाना है, जिसके लिए उन्होंने सभी कांग्रेसियों को एकजुट होकर मिशन 2023 की तैयारी करने की अपील की है.
कांग्रेस का विंध्य में इतना फोकस क्यों?: देखा जाए तो विंध्य क्षेत्र में 4 लोकसभा और 30 विधानसभा सीट हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति कई दशक से खराब है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पिछले ढाई दशक के इतिहास में अगर सबसे बेहतर प्रदर्शन देखें तो 1998 में रहा था, जब पार्टी ने सर्वाधिक 15 सीटें जीती थी. इसके बाद 2013 में 11 सीट पर जीत मिली, लेकिन 2018 में कांग्रेस एक बार फिर से 6 सीटों पर सिमट गई. वहीं दूसरी ओर बीजेपी लगातार इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाती गई और इसीलिए अब कांग्रेस को भी पता है कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुछ कमाल करना है तो विंध्य में प्रदर्शन सुधारना होगा.
भाजपा ने लगातार अपना प्रदर्शन सुधारा: विंध्य में भारतीय जनता पार्टी 1998 के बाद से लगातार अपना प्रदर्शन सुधारते नजर आई रही है. आज भी 80 फीसदी विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. अगर पिछले कुछ विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो 2003 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में 28 में से 18 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं. 2008 में भाजपा के प्रदर्शन में और सुधार हुआ और विंध्य में ये आंकड़ा बढ़कर 30 सीट में से 24 हो गया और कांग्रेस को महज 6 सीट मिली थीं. कांग्रेस को 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जहां 18 और कांग्रेस को 11 सीटें मिली थी. हालांकि कांग्रेस ने यहां अपने प्रदर्शन में सुधार किया था, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा. बीजेपी ने फिर से जबरदस्त वापसी की और 30 विधानसभा सीट में 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जहां 24 विधानसभा सीटों पर अपना कब्जा जमाया तो 6 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की.
विंध्य क्षेत्र में विधानसभा सीट: विंध्य क्षेत्र में दो संभाग में 7 जिले आते हैं. रीवा जिले में 8 विधानसभा सीट, सतना जिले में 7 विधानसभा सीट, सीधी जिले में 4 विधानसभा सीट, सिंगरौली जिले में 3 विधानसभा सीट, शहडोल जिले में 3 विधानसभा सीट, अनूपपुर जिले में 3 विधानसभा सीट, और उमरिया जिले में 2 विधानसभा सीट आते हैं.
विंध्य में बीजेपी को मिली थी बंपर जीत: शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां पर हर राजनीतिक पार्टी की नजर विंध्य क्षेत्र पर है जो इस चुनाव का अहम हिस्सा है. यहीं से अब कांग्रेस ने अपने मिशन 2023 का आगाज भी कर दिया है. इसके साथ ही बता भी दिया है कि इस बार विंध्य क्षेत्र में उसकी विशेष नजर है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में जब मध्यप्रदेश में बीजेपी को हर जगह से निराशा हाथ लगी थी, तो विंध्य क्षेत्र से उन्हें बम्पर जीत का बूस्टर भी मिला था. हर विधानसभा चुनाव में बीजेपी लगातार विंध्य क्षेत्र में मजबूत होती जा रही है. ऐसे में कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में अपने प्रदर्शन को सुधारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. शायद इसीलिए चुनाव के 11 महीने पहले ही कांग्रेस ने क्षेत्र में अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है.