शहडोल। जिला चिकित्सालय में 8 बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. कई लोगों के लिए यह मिस्ट्री भी बन चुकी है कि आखिर इस तादाद में सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौत क्यों हो रही है. वहीं इस बारे में जिले के सीएमएचओ राजेश पांडे ने ईटीवी भारत से बात की.
जिला चिकित्सालय में 8 बच्चों की मौत, क्या है वस्तुस्थिति ?
ईटीवी भारत से बात करते वक्त सीएमएचओ राजेश पांडे ने कहा कि पिछले 6 से 7 दिनों में ये बातें सामने आई हैं कि 26 नवंबर से ये सिलसिला शुरू हुआ है. उसमें एक बच्चे को छोड़कर बाकी सभी बच्चे शिशु वार्ड के थे. जो पीआईसीयू में भर्ती थे, ये वो जगह है, जहां बच्चा वॉर्ड से उन बच्चों को शिफ्ट किया जाता है, जो गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं.
इसीलिए पीआईसीयू बनाया गया है कि उसमें सघन चिकित्सा करके ज्यादा से अधिक बच्चों को बचाया जा सके. लेकिन ये जो पिछले 6 दिनों में जो ये बच्चे नोटिस में आये हैं, ये सभी एक प्रकार के लक्षण लेकर आये हैं, जो की निमोनिया से मिलते जुलते हैं. लेकिन सभी की निमोनिया की पुष्टि भी नहीं हो पाती और हार्ट फेलुअर साथ में होता है. उनके साथ में सदमें में होते हैं. एक बात और तय है, की सारे बच्चा वार्ड से ट्रांसफर नहीं हुए हैं ये डायरेक्ट इसी कंडीशन में आए हैं, इन्हें सीधे पीआईसीयू में भर्ती किया गया है.
इन बच्चों में क्या कोई अलग तरह का लक्षण पाया गया
सीएमएचओ ने कहा कि पर्टिकुलर जब सर्दियों का सीजन चलता है तो समाज में निमोनिया की बीमारी पाई जाती है. ऐसा भी नहीं कह सकते कि सब एक ही गांव से आए हैं. सब अलग अलग जिले और क्षेत्र से आये हैं. कोई भी दो बच्चे एक गांव के नहीं हैं. उन्होंने कहा कि शासन ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए और एक्सपर्ट्स की टीम भेजी हुई है. मेडिकल कॉलेज जबलपुर से जो इस बात की सघन जांच कर रही है, और वो अपना प्रतिवेदन देगी. इसके आधार पर शासन निर्णय लेगा.
अब घर-घर होगा सर्वे
सीएमएचओ राजेश पांडे ने बताया कि निमोनिया जैसे लक्षणों को लेकर जो बच्चे सामने आ रहे हैं, इसके लिए हमने अपने स्तर पर जिले भर में अभियान चलाने का निर्णय लिया है. उसको आज से लॉच किया है, जिसमें हमारे मैदानी कार्यकर्ता और महिला बाल विकास के कार्यकर्ता मिलकर घर-घर जाएंगे और इस बात की जानकारी देंगे कि माता पिता को बच्चों के अंदर अगर कोई खतरे के चिन्ह पाए जाते हैं, निमोनिया जैसे खतरे के चिन्ह पाए जाते हैं तो उन्हें जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए. जिससे समय रहते अस्पताल आ जाने पर उन्हें बचाए जाने की संभावना ज्यादा रहती है.
जिनकी मौत हुई बच्चे कहां के हैं ?
सीएमएचओ ने कहा कि सभी बच्चे जिले के बाहर के हैं, बीते दिन जो बच्चा इलाज कराने आया वह अनूपपुर जिले का था. ऐसे ही एक जैतहरी का और एक पुष्पराजगढ़ से, इसके पहले जो पहला बच्चा था वो भी उमरिया जिले से आया था.
गंभीर अवस्था में आ रहे हैं क्या ?
बीमार होने पर बच्चों को पहले पास के अस्पताल में जाते हैं और फिर जिला अस्पताल में लाते हैं. फिर वहां के जिला अस्पताल में रखने के बाद जब वो ठीक नहीं होते हैं तो तब फिर यहां शिफ्ट किये जाते हैं, ये बात तो तय है कि जब ये अतिगंभीर स्थिति में होते हैं तभी बाहर रेफर किए जाते हैं, रेफरेंस जो बाहर से आते हैं उनकी स्थिति ज्यादा गंभीर होती है.
उपस्वास्थ्य केंद्रों में जाते हैं क्या लोग
उप स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर तो होते नहीं है. उपस्वास्थ्य केंद्रों में बच्चे अप्रोच नहीं कर रहे हैं, वो किसी न किसी मैदानी डॉक्टर जो तथाकथित डॉक्टर होते हैं उनके संपर्क में आते हैं. इसलिए हमने ये कैप्म्पेन चलाया है ये पता लगाने के लिए की आखिर क्या बात है.
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आदिवासी जिला है तो क्या मरीजों को लाने में देरी
आदिवासी जिला होने के चलते मरीजों को देरी से लाने के सवाल पर सीएमएचओ ने कहा कि मरीज को लाने में देरी की वजह जानकारी का विषय, लेकिन परिवहन की समस्या नहीं है क्योंकि 108 का उपलब्ध है. बाकी जागरूकता और किसी में बाबा-मौलवी में फंस कर झाड़ू फूंक कराना भी वजह हो सकती है.
रविवार को खबर आई थी सामने
गौरतलब है कि रविवार के दिन जैसे ही यह खबर सामने आई कि पिछले 24 घंटे में 4 नवजाताों की मौत हो गई है. जिसमें 3 दिन से लेकर 4 महीने तक के बच्चों की मौत हुई है. जिसमें पीआईसीयू में तीन और एसएनसीयू में एक बच्चे की मौत हुई है, जिनकी मौत हुई है. उसमें बुढार के अरझूली के 4 माह का बच्चा पुष्पराज सिंह, सिंहपुर बोडरी गांव के 3 माह का बच्चा राज कोल,2 माह का प्रियांश, ये सभी पीआईसीयू में भर्ती थे. तो वहीं उमरिया जिले के निशा की भी एसएनसीयू में मौत हुई है. नवजात की मौत से हड़कंप मच गया था. इसके बाद रविवार के दिन ही एक और बच्चे की मौत की खबर आई थी और आज एक बार फिर से सुबह-सुबह एक नवजात की मौत हो गई है. जिसके साथ ही अब यह आंकड़ा पिछले 48 घंटे में 6 बच्चों की मौत तक पहुंच चुका था. वहीं मंगलवाल को दो और मासूमों की मौत हो गई है. एक के बाद एक अब तक जिला अस्पताल में 8 मासूमों की मौत हो चुकी है.
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जांच हेतु कमेटी का गठन
वहीं नवजातों के मौत मामले में कलेक्टर डॉक्टर सतेन्द्र सिंह के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजेश पाण्डेय ने जिला अस्पताल शहडोल में हुई नवजात बच्चों की मौत के मामले में जांच समिति का गठन किया कर दिया है. जांच समिति में डॉक्टर मुकुन्द चतुर्वेदी जिला चिकित्सालय शहडोल, डॉक्टर नागेन्द्र सिंह और डॉक्टर प्राणदा शुक्ला, सहायक प्राध्यापक शासकीय मेडिकल कॉलेज शहडोल शामिल हैं. ये जांच कमेटी तीन दिन के अंदर जांच प्रतिवेदन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपेगी.
स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश
बता दें शहडोल जिला अस्पताल में 8 नवजात बच्चों की मौत के मामले में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. ईटीवी भारत से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने कहा कि इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं, जो लोग दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी संज्ञान लिया है.
गंभीर अवस्था में एडमिट होते हैं मरीज
सिविल सर्जन बीएस बारिया बताते हैं कि, जिनकी मौत हुई, वह सभी टिपिकल कंडीशन में थे. वहीं जिन दो बच्चों की डेथ हुई हैं. दोनों सीरियस मामले थे. दोनों को वेन्टीलेटर पर रखा गया था.
कहां चूक हो रही
सिविल सर्जन बीएस बारिया बताते हैं कि, बच्चे इतने गंभीर अवस्था में आते हैं कि, हम उनको कहीं रेफर नहीं कर पाते हैं, क्योंकि बच्चे काफी गंभीर होते हैं. अगर उन्हें जबलपुर और रीवा भी भेजा जाता, तो 5 घंटे का समय लगता. वहीं दूसरी तरफ मरीजों के अभिभावकों की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती है कि, वह बच्चों को कहीं से जा सकें.
शहडोल जिला चिकित्सालय की मौजूदा स्थिति
मौजूदा समय में एसएनसीयू वार्ड में 6 चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. इसके अलावा एसएनसीयू में 20 बेड सपोर्टिंग है, जहां 20 सिस्टर भी ड्यूटी पर तैनात हैं. इसी के साथ एसएनसीयू में 33 बच्चे 30 तारीख तक भर्ती हैं. पीआईसीयू में 10 बेड हैं, जहां 8 सिस्टर शिफ्ट वाइज तैनात हैं. एसएनसीयू में 4 वेंटिलेटर हैं, जिसके बाद दो और मंगवा लिए गए हैं.