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शहडोल के जगदीश सिंह ने जैविक खेती से बदली अपनी तकदीर, दूसरे किसानों को भी सिखा रहे गुर

शहडोल के किसान जगदीश सिंह मरावी ने जैविक खेती में नए आयाम स्थापित कर मिसाल कायम की है. वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणा हैं. आसपास के गांवों के किसान भी उनसे जैविक खेती के गुर सीखने के लिए आते हैं.

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Published : Aug 9, 2019, 3:00 PM IST

साल में लाखों कमा रहें जगदीश सिंह मरावी

शहडोल। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, ये पंक्ति सिद्ध की है कल्याणपुर ग्राम पंचायत के रहने वाले आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी ने. एक समय था जब ये आदिवासी किसान दूसरों के यहां मजदूरी किया करते थे, लेकिन जब उन्होंने कई किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है और उन्हें रोजगार भी दे रहे हैं. उनके खेतों में अब दूसरे मजदूर भी काम करने आते हैं.


फर्श से अर्श तक का सफर

जगदीश सिंह मरावी बताते हैं कि वे 51 साल के हैं और उनके पास 10 से 12 एकड़ की जमीन होने के बावजूद उन्हें उसकी कीमत की पहचान नहीं थी, जिस वजह से वे दूसरे के यहां मजदूरी करने के लिए मजबूर थे. एक दिन जगदीश ने कृषि वैज्ञनिकों से मुलाकात की और जैविक खेती करना शुरू किया.
आदिवासी किसान जगदीश सिंह अब अपने खेत में 12 महीने धान, गेहूं, उड़द, मूंग, राहर की फसल तो लगाते ही हैं, साथ ही सब्जी की खेती भी12 महीने करते हैं. आज खेती से वे लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं, जिसने उनकी तकदीर बदल दी है. वे बताते हैं कि उनके परिवार में 13 लोग हैं और सभी खेती के काम शामिल हैं.

आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी बने मिसाल
जगदीश सिंह मरावी का बेटा विनोद सिंह एम कॉम कर रहा है. उन्होंने बताया कि वे 4 भाई हैं, विनोद अपनी पढ़ाई पूरी करके इसी खेती में कुछ बड़ा करना चाहता है. वे कहते हैं कि कॉलेज से आने के बाद खेत में काम करना उसे अच्छा लगता है.

जैविक खेती को बढ़ावा देते हैं जगदीश मरावी

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जगदीश सिंह बेहतर किसानी तो करते ही हैं साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा देते हैं. इनकी खासियत ये है कि ये अपने किसी भी फसल के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते, जिससे सब्जी और फसल काफी गुणवत्ता वाले होते हैं. यही वजह है कि मंडी में इनकी सब्जियों की डिमांड ज्यादा रहती है.

गौरतलब है कि बहुत कम ही देखने को मिलता है कि कोई आदिवासी इस तरह से व्यवस्थित किसानी करता हो, और सिर्फ किसानी के दम पर ही समृद्ध हुआ हो,लेकिन शहडोल जिले का ये किसान आज दूसरों के लिए मिसाल बन गया है. जगदीश अपने काम से बहुत खुश हैं और उनके इस काम को देखकर दूसरे किसान भी उनसे खेती के गुर और उनकी कामयाबी का मंत्र जानने पहुंचते हैं.

शहडोल। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, ये पंक्ति सिद्ध की है कल्याणपुर ग्राम पंचायत के रहने वाले आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी ने. एक समय था जब ये आदिवासी किसान दूसरों के यहां मजदूरी किया करते थे, लेकिन जब उन्होंने कई किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है और उन्हें रोजगार भी दे रहे हैं. उनके खेतों में अब दूसरे मजदूर भी काम करने आते हैं.


फर्श से अर्श तक का सफर

जगदीश सिंह मरावी बताते हैं कि वे 51 साल के हैं और उनके पास 10 से 12 एकड़ की जमीन होने के बावजूद उन्हें उसकी कीमत की पहचान नहीं थी, जिस वजह से वे दूसरे के यहां मजदूरी करने के लिए मजबूर थे. एक दिन जगदीश ने कृषि वैज्ञनिकों से मुलाकात की और जैविक खेती करना शुरू किया.
आदिवासी किसान जगदीश सिंह अब अपने खेत में 12 महीने धान, गेहूं, उड़द, मूंग, राहर की फसल तो लगाते ही हैं, साथ ही सब्जी की खेती भी12 महीने करते हैं. आज खेती से वे लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं, जिसने उनकी तकदीर बदल दी है. वे बताते हैं कि उनके परिवार में 13 लोग हैं और सभी खेती के काम शामिल हैं.

आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी बने मिसाल
जगदीश सिंह मरावी का बेटा विनोद सिंह एम कॉम कर रहा है. उन्होंने बताया कि वे 4 भाई हैं, विनोद अपनी पढ़ाई पूरी करके इसी खेती में कुछ बड़ा करना चाहता है. वे कहते हैं कि कॉलेज से आने के बाद खेत में काम करना उसे अच्छा लगता है.

जैविक खेती को बढ़ावा देते हैं जगदीश मरावी

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जगदीश सिंह बेहतर किसानी तो करते ही हैं साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा देते हैं. इनकी खासियत ये है कि ये अपने किसी भी फसल के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते, जिससे सब्जी और फसल काफी गुणवत्ता वाले होते हैं. यही वजह है कि मंडी में इनकी सब्जियों की डिमांड ज्यादा रहती है.

गौरतलब है कि बहुत कम ही देखने को मिलता है कि कोई आदिवासी इस तरह से व्यवस्थित किसानी करता हो, और सिर्फ किसानी के दम पर ही समृद्ध हुआ हो,लेकिन शहडोल जिले का ये किसान आज दूसरों के लिए मिसाल बन गया है. जगदीश अपने काम से बहुत खुश हैं और उनके इस काम को देखकर दूसरे किसान भी उनसे खेती के गुर और उनकी कामयाबी का मंत्र जानने पहुंचते हैं.

Intro:Note_ खबर में शुरुआत के दो बाईट आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी के हैं, तीसरी बाइट किसान के लड़के विनोद सिंह मरावी की है, चौथी और आखिरी बाईट कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह की है।

कभी दूसरों के खेत पर मज़दूरी करने को मजबूर था ये आदिवासी किसान, आज दूसरों को अपने खेत पर दे रहा रोजगार, जैविक खेती को बढ़ावा देकर समृद्ध बना किसान

शहडोल- किसी ने सच कहा है मेहनत करने वालों के घर देर भले हो जाये लेकिन अंधेर नहीं होता, कुछ ऐसी ही कहानी है इस आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी की, कल्याणपुर ग्राम पंचायत का रहने वाला ये आदिवासी किसान कभी दूसरों के यहां मज़दूरी किया करता था, क्योंकि गरीबी थी, खेती से आमदनी उतनी नहीं थी,लेकिन अचानक ही जब दूसरों के यहां जमकर मेहनत करने वाला ये किसान जब अपने खेत पर ही मेहनत करना शुरू किया तो आज आलम ये है की उसके खेतों में दूसरे मजदूर काम करने आते हैं, अब वो और उसका परिवार सलाना इसी खेती के दम पर लाखों की कमाई कर रहा है। और बेहतर जीवन यापन कर रहा है।


Body:फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी

कल्याणपुर ग्राम पंचायत के रहने वाले जगदीश सिंह मरावी बताते हैं को वो 51 साल के हैं, पहले भी उनके पास जमीन तो थी लेकिन उसके कीमत की पहचान नहीं थी, 10 से 12 एकड़ जमीन के मालिक जगदीश सिंह कभी दूसरों के यहां मज़दूरी करने को मजबूर थे,क्योंकि अपने खेत में धान और कोदो की फसल तो लगा देते थे, लेकिन ज्यादा उत्पादन नहीं होता था। जगदीश सिंह मज़दूरी तो करते थे,लेकिन उनका मन हमेशा कचोटता था, की इतने एकड़ जमीन के मालिक होने के बाद भी मज़दूरी करनी पड़ रही। और फिर एक दिन जगदीश ने कृषि वैज्ञनिकों में मुलाकात की, और आईएफएस तरीके से खेती की शुरूआत की, साल गुजरते गए और ये आदिवासी किसान कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ता गया। लगातार बेहतर खेती के गुर सीखता गया।
आदिवासी किसान जगदीश सिंह अब अपने खेत में 12 महीने फसल उत्पादन करते हैं धान, गेहूं, उड़द, मूंग, राहर की फसल तो लेते ही हैं साथ ही सब्जी की खेती 12 महीने करते हैं।

इसके अलावा आम का बगीचा, नींबू का बगीचा, अमरूद का बगीचा भी लगा रखा है। और इन सबसे वो बेहतर कमाई भी कर पाते हैं। इसके अलावा जगदीश ने अपने घर में गाय बैल भी रखा है। जिससे खाद और दूध का उत्पादन भी होता है।
जगदीश बताते हैं कि पहले बहुत गरीबी थी, लेकिन अब स्थिति सुधर गई है।

आज घर में सबकुछ है

आदिवासी किसान जगदीश बताते हैं कि उनका 13 लोगों का परिवार है, और कोई बाहर काम करने नहीं जाता सब अपना काम करते हैं। उनका परिवार ही आज उनकी ताकत है, और यही वजह है कि आज उनके पास सबकुछ है,घर में खेती के लिए ट्रैक्टर है, दो बाइक हैं, धीरे धीरे पक्का मकान भी बन रहा है साथ में पूरे घर का जीवन यापन भी चल रहा है।

बेटे की चाहत पढ़ाई पूरा कर इसी में कुछ बड़ा करने की है
जगदीश सिंह मरावी के बेटे विनोद सिंह मरावी एम कॉम कर रहे हैं, बताते हैं कि वो लोग चार भाई हैं, विनोद अपना पढ़ाई पूरा करके इसी खेती में कुछ बड़ा करना चाहते हैं विनोद कहते हैं मैं कॉलेज से आने के बाद खेत में काम करता हूं क्योंकि मुझे अच्छा लगता है कि मैं कहीं और नहीं बल्कि अपना खुद का काम कर रहा हूँ।

जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जगदीश सिंह बेहतर किसानी तो करते ही हैं साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा देते हैं, इनकी खासियत ये है कि ये अपने किसी भी फसल के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते, बहुत ही जरूरत पड़ती है तभी रासायनिक खाद डालते हैं, और इसीलिए इनकी सब्जी और फसल काफी गुणवत्ता वाले होते हैं। वैसे भी इनके घर में गाय बैल हैं तो घर के गोबर का खाद मिल जाता है इसके अलावा जैविक कीटनाशी से कंट्रोल करते हैं यही वजह है की इनके खेतों के मिट्टी की गुणवत्ता बहुत अच्छी है।
इनके साथ एक और खास बात है कि जब ये अपनी सब्जी को मंडी लेकर जाते है। तो उसकी डिमांड बहुत रहती है क्योंकि सब्जी में किसी तरह के रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता है।



Conclusion:गौरतलब है कि बहुत कम ही देखने को मिलता है को कोई आदिवासी इस तरह से व्यवस्थित किसानी करता हो, और सिर्फ किसानी के दम पर ही समृद्ध हुआ हो,लेकिन शहडोल जिले का ये किसान आज दूसरों के लिए मिसाल बन रहा है, जगदीश अपने काम से बहुत खुश हैं और उनके इस काम को देखकर दूसरे किसान भी उनसे खेती के गुर और उनकी कामयाबी का मंत्र जानने पहुंचते हैं, और आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी दूसरे किसानों को सलाह देने में भी पीछे नहीं रहते।
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