शहडोल। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, ये पंक्ति सिद्ध की है कल्याणपुर ग्राम पंचायत के रहने वाले आदिवासी किसान जगदीश सिंह मरावी ने. एक समय था जब ये आदिवासी किसान दूसरों के यहां मजदूरी किया करते थे, लेकिन जब उन्होंने कई किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है और उन्हें रोजगार भी दे रहे हैं. उनके खेतों में अब दूसरे मजदूर भी काम करने आते हैं.
फर्श से अर्श तक का सफर
जगदीश सिंह मरावी बताते हैं कि वे 51 साल के हैं और उनके पास 10 से 12 एकड़ की जमीन होने के बावजूद उन्हें उसकी कीमत की पहचान नहीं थी, जिस वजह से वे दूसरे के यहां मजदूरी करने के लिए मजबूर थे. एक दिन जगदीश ने कृषि वैज्ञनिकों से मुलाकात की और जैविक खेती करना शुरू किया.
आदिवासी किसान जगदीश सिंह अब अपने खेत में 12 महीने धान, गेहूं, उड़द, मूंग, राहर की फसल तो लगाते ही हैं, साथ ही सब्जी की खेती भी12 महीने करते हैं. आज खेती से वे लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं, जिसने उनकी तकदीर बदल दी है. वे बताते हैं कि उनके परिवार में 13 लोग हैं और सभी खेती के काम शामिल हैं.
जैविक खेती को बढ़ावा देते हैं जगदीश मरावी
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जगदीश सिंह बेहतर किसानी तो करते ही हैं साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा देते हैं. इनकी खासियत ये है कि ये अपने किसी भी फसल के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते, जिससे सब्जी और फसल काफी गुणवत्ता वाले होते हैं. यही वजह है कि मंडी में इनकी सब्जियों की डिमांड ज्यादा रहती है.
गौरतलब है कि बहुत कम ही देखने को मिलता है कि कोई आदिवासी इस तरह से व्यवस्थित किसानी करता हो, और सिर्फ किसानी के दम पर ही समृद्ध हुआ हो,लेकिन शहडोल जिले का ये किसान आज दूसरों के लिए मिसाल बन गया है. जगदीश अपने काम से बहुत खुश हैं और उनके इस काम को देखकर दूसरे किसान भी उनसे खेती के गुर और उनकी कामयाबी का मंत्र जानने पहुंचते हैं.