शहडोल। आदिवासी अंचल शहडोल में अक्सर कुपोषण की समस्या बहुतायत में देखने और सुनने को मिलती हैं. ऐसे में इस आदिवासी अंचल में कीनोवा की फसल वरदान साबित हो सकती है. ये फसल सुपर फूड के तौर पर जाना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, साथ ही सबसे बड़ी चीज ओमेगा थ्री पाया जाता है.
किसान भी अगर रबी के सीजन में इस फसल की पैदावार करते हैं, तो यह एक नया विकल्प बन सकता है और किसानों के लिए फाएदे मंद साबित हो सकती है. सबसे अच्छी बात यह कि इस फसल में बहुत कम संसाधन की जरूरत पड़ती है. वैज्ञानिक बताते हैं कि यहां की जलवायु और मिट्टी भी इसके लिए शानदार है, अगर सही समय पर सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इस फसल की अच्छी पैदावार हो सकती है.
इसलिए है सुपर फूड
कीनोवा का वैज्ञानिक नाम कीनोवा चिनापोरियम है. इसको सुपर फूड मदर ग्रेन भी कहा जाता है. इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, ओमेगा थ्री के अलावा इसमें सोडियम, पौटेशियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, मैग्नीज, जैसे कई मिनरल्स पाए जाते हैं. इसमें काफी मात्रा में माल न्यूट्रिशन पाया जाता है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस सुपर फूड में जितनी चीजें पाई जाती हैं वो सभी सेहत के लिए लाभकारी हैं. इसके सेवन से कुपोषण और डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलेगा.
किसानों के लिए फायदे का सौदा
कीनोवा इस आदिवासी अंचल के लिए वरदान साबित हो सकती है क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी दोनों इस फसल के लिए उपयुक्त है. कीनोवा के इस फसल की बाजार में भी अच्छी कीमत मिलती है और एक एकड़ में करीब 8 से 10 क्विंटल का उत्पादन भी होता है. साथ ही इसमें समय भी कम लगता है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी है. इसे पिछले साल आदिवासी अंचल में ट्रायल के तौर पर लगवाया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा है. इसलिए इस सीजन में इसे बड़े स्तर पर लगाने की तैयारी है.
यहां होती है बंपर पैदावार
सुपर फूड कीनोवा की खेती अर्जेंटीना, चिली और साउथ अमेरिका में अधिकता में होती है. इसके अलावा भारत में आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटका और राजस्थान में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है. वहीं अब आदिवासी अंचल शहडोल में भी इसकी खेती शुरू कर दी गई है.