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ये फसल कर सकती है मालामाल, कुपोषण और डायबिटीज के लिए रामबाण - malnutrition

कम पानी और कम समय में पौदा होने वाली कीनोवा चिनापोरियम या सुपर फूड मदर ग्रेन एक ऐसी फसल जो सेहत के लिए तो लाभदायक है ही, वहीं अगर किसान इसकी खेती करें तो उनके लिए भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है.

किनोवा कि फसल से किसान होंगे मालामाल
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Published : Nov 2, 2019, 11:19 AM IST

Updated : Nov 2, 2019, 3:08 PM IST

शहडोल। आदिवासी अंचल शहडोल में अक्सर कुपोषण की समस्या बहुतायत में देखने और सुनने को मिलती हैं. ऐसे में इस आदिवासी अंचल में कीनोवा की फसल वरदान साबित हो सकती है. ये फसल सुपर फूड के तौर पर जाना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, साथ ही सबसे बड़ी चीज ओमेगा थ्री पाया जाता है.

ये फसल कर सकती है मालामाल

किसान भी अगर रबी के सीजन में इस फसल की पैदावार करते हैं, तो यह एक नया विकल्प बन सकता है और किसानों के लिए फाएदे मंद साबित हो सकती है. सबसे अच्छी बात यह कि इस फसल में बहुत कम संसाधन की जरूरत पड़ती है. वैज्ञानिक बताते हैं कि यहां की जलवायु और मिट्टी भी इसके लिए शानदार है, अगर सही समय पर सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इस फसल की अच्छी पैदावार हो सकती है.

इसलिए है सुपर फूड

कीनोवा का वैज्ञानिक नाम कीनोवा चिनापोरियम है. इसको सुपर फूड मदर ग्रेन भी कहा जाता है. इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, ओमेगा थ्री के अलावा इसमें सोडियम, पौटेशियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, मैग्नीज, जैसे कई मिनरल्स पाए जाते हैं. इसमें काफी मात्रा में माल न्यूट्रिशन पाया जाता है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस सुपर फूड में जितनी चीजें पाई जाती हैं वो सभी सेहत के लिए लाभकारी हैं. इसके सेवन से कुपोषण और डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलेगा.

किसानों के लिए फायदे का सौदा

कीनोवा इस आदिवासी अंचल के लिए वरदान साबित हो सकती है क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी दोनों इस फसल के लिए उपयुक्त है. कीनोवा के इस फसल की बाजार में भी अच्छी कीमत मिलती है और एक एकड़ में करीब 8 से 10 क्विंटल का उत्पादन भी होता है. साथ ही इसमें समय भी कम लगता है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी है. इसे पिछले साल आदिवासी अंचल में ट्रायल के तौर पर लगवाया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा है. इसलिए इस सीजन में इसे बड़े स्तर पर लगाने की तैयारी है.

यहां होती है बंपर पैदावार

सुपर फूड कीनोवा की खेती अर्जेंटीना, चिली और साउथ अमेरिका में अधिकता में होती है. इसके अलावा भारत में आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटका और राजस्थान में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है. वहीं अब आदिवासी अंचल शहडोल में भी इसकी खेती शुरू कर दी गई है.

शहडोल। आदिवासी अंचल शहडोल में अक्सर कुपोषण की समस्या बहुतायत में देखने और सुनने को मिलती हैं. ऐसे में इस आदिवासी अंचल में कीनोवा की फसल वरदान साबित हो सकती है. ये फसल सुपर फूड के तौर पर जाना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, साथ ही सबसे बड़ी चीज ओमेगा थ्री पाया जाता है.

ये फसल कर सकती है मालामाल

किसान भी अगर रबी के सीजन में इस फसल की पैदावार करते हैं, तो यह एक नया विकल्प बन सकता है और किसानों के लिए फाएदे मंद साबित हो सकती है. सबसे अच्छी बात यह कि इस फसल में बहुत कम संसाधन की जरूरत पड़ती है. वैज्ञानिक बताते हैं कि यहां की जलवायु और मिट्टी भी इसके लिए शानदार है, अगर सही समय पर सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इस फसल की अच्छी पैदावार हो सकती है.

इसलिए है सुपर फूड

कीनोवा का वैज्ञानिक नाम कीनोवा चिनापोरियम है. इसको सुपर फूड मदर ग्रेन भी कहा जाता है. इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, ओमेगा थ्री के अलावा इसमें सोडियम, पौटेशियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, मैग्नीज, जैसे कई मिनरल्स पाए जाते हैं. इसमें काफी मात्रा में माल न्यूट्रिशन पाया जाता है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस सुपर फूड में जितनी चीजें पाई जाती हैं वो सभी सेहत के लिए लाभकारी हैं. इसके सेवन से कुपोषण और डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलेगा.

किसानों के लिए फायदे का सौदा

कीनोवा इस आदिवासी अंचल के लिए वरदान साबित हो सकती है क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी दोनों इस फसल के लिए उपयुक्त है. कीनोवा के इस फसल की बाजार में भी अच्छी कीमत मिलती है और एक एकड़ में करीब 8 से 10 क्विंटल का उत्पादन भी होता है. साथ ही इसमें समय भी कम लगता है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी है. इसे पिछले साल आदिवासी अंचल में ट्रायल के तौर पर लगवाया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा है. इसलिए इस सीजन में इसे बड़े स्तर पर लगाने की तैयारी है.

यहां होती है बंपर पैदावार

सुपर फूड कीनोवा की खेती अर्जेंटीना, चिली और साउथ अमेरिका में अधिकता में होती है. इसके अलावा भारत में आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटका और राजस्थान में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है. वहीं अब आदिवासी अंचल शहडोल में भी इसकी खेती शुरू कर दी गई है.

Intro:Note_ एक बाईट कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह की है।


रबी के सीजन में ये फसल आपको कर सकता मालामाल, कुपोषण और डायबिटीज जैसे मरीजों के लिए खास है ये सुपर फ़ूड

शहडोल- शहडोल जिला आदिवासी अंचल के अंतर्गत आता है, अक्सर इस अंचल में कुपोषण की समस्या बहुतायत में देखने और सुनने को मिलती है जो इस क्षेत्र के स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। इसके अलावा डाइबिटीज जैसी बीमारी के मरीज़ भी जहां देखो वहां मिल जाएंगे, ऐसे में इस आदिवासी अंचल में कीनोवा की फसल वरदान साबित हो सकती है, ये फसल सुपर फ़ूड के तौर पर जाना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, साथ ही सबसे बड़ी चीज ओमेगा थ्री पाया जाता है, अगर आप रबी सीजन की फसल लेते हैं तो ये आपके लिये भी एक नए किस्म का ऑप्शन बन सकता है। और ये समय इस फसल को लगाने के लिए एकदम मुफीद है।


Body:ट्रायल में पास बड़े स्तर पर लगवाने की तैयारी

कीनोवा की इस फसल को पिछले साल इस आदिवासी अंचल में ट्रायल के तौर पर लगवाया गया था, कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस ट्रायल में ये फसल पूरी तरह से पास हो गया था इसलिए इस सीजन में इसे बड़े स्तर पर लगवाने की तैयारी है। कीनोवा की इस फसल में कई सुपर क्वालिटी पाई जाती हैं। जिसके चलते इसे सुपर फ़ूड भी कहते हैं।

सबसे अच्छी बात इस फसल में बहुत कम संसाधन की जरूरत पड़ती है। वैज्ञानिक बताते हैं कि यहां की जलवायु और मिट्टी भी इसके लिए शानदार है अगर सही समय पर सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इस फसल की अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं।

इसलिए है सुपर फ़ूड

इस फसल को लेकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि कीनोवा को सुपर फ़ूड कहें तो सही होगा इसे कीनोवा चिनापोरियम भी कहते हैं।

इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसको सुपर फ़ूड मदर ग्रेन भी कहा जाता है, मतलब इसमें प्रोटीन,वसा, फाइबर, ओमेगा थ्री, इसके अलावा इस सुपर फ़ूड में सोडियम, पौटेशियम, मैग्नीशियम,जिंक, आयरन, मैग्नीज, जैसे कई मिनरल्स पाए जाते हैं।

इसमें काफी मात्रा में माल न्यूट्रिशन पाया जाता है, इसके सेवन से मॉल न्यूट्रिशन की कमी से होने वाली बीमारियां भी दूर होंगी।

कुपोषण और डायबिटीज में लाभकारी

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस सुपर फ़ूड में जितनी चीजें पाई जाती हैं वो सभी सेहत के लिए लाभकारी हैं इसके अलावा इस फ़ूड के सेवन से कुपोषण और डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलेगा।

किसान ले सकते हैं बम्पर पैदावार

वैज्ञानिक कहते हैं कि क्रॉप डाई वर्सिफिकेसन में हम किसानों को वो फसल देना चाहते हैं जो कम संसाधनों में किसानों को अधिक फसल और अधिक मुनाफा दे सके, कीनोवा के इस फसल की बाजार में भी अच्छी कीमत मिलती है,एक एकड़ में करीब 8 से 10 क्विन्टल होता है। अगर समय से बोया जाए तो एक पानी में हो जाती है, और अगर दो पानी मिल जाये तो तो बम्पर क्रॉपिंग होती है।एक तरह से नया ऑप्शन किसानों को दिया गया है। ये फसल 90 से 100 दिन का है, और मौज़ूदा समय में मारकेट में ये फसल 100 से 200 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है।

इसे किसी भी तरह से खाया जा सकता है

वैज्ञानिक बताते हैं कि ये एक ऐसी फसल है जिसे बड़े ही आसानी से प्रोसेस किया जा सकता है, इसे जैसे धान गेंहू की तरह प्रोसेस नहीं करना पड़ता है। ये किसानों के लिए वरदान है, और सबसे बड़ी बात जो हम न्यूट्रिशन डेफिशिएंसी से जो आज तक सभी लोग जूझ रहे हैं,उसके लिए ये बहुत अच्छी फसल है ये अपने आप में एक औषधि भी है, अपने यहां लोग व्रत में अनाज नहीं खाते हैं, तो इसे आनाज़ की श्रेणी में नहीं रखा गया है। मतलब इसे व्रत में भी खाया जा सकता है।

इसका चावल, इसकी रोटी, खीर, इडली, डोसा जिस तरह से चाहें उसे प्रोसेस करके खा सकते हैं। एक तरह से कहा जाए तो अपने खान पान के तरीके के हिसाब से बनाकर इसे खा सकते हैं।





Conclusion:जानिए कहां होती है इसकी खेती

सुपर फ़ूड कीनोवा की खेती अर्जेंटीना, चिली, और साउथ अमेरिका में अधिकता में होती है इसके अलावा भारत में आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटका, और राजस्थान में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है और अब आदिवासी अंचल शहडोल में इसकी खेती शुरू कर दी गई है।


किसानों की दशा और दिशा बदल सकती है

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि कीनोवा एक ऐसी फसल है जो किसानों की दिशा और दशा बदल सकती है, इस आदिवासी अंचल में ये फसल वरदान साबित हो सकती है क्योंकि जलवायु और मिट्टी दोनों इस फ़सल के लिए यहां की उपयुक्त है, इस फसल में पानी की ज्यादा जरूतत भी नहीं पड़ती और उससे भी बड़ी बात सेहत के लिए इसका सेवन शानदार है, अच्छे से खेती करें तो बम्पर पैदावार भी ले सकते हैं साथ ही बाज़ार में इसे बेचकर अच्छे दाम भी हासिल कर सकते हैं।
Last Updated : Nov 2, 2019, 3:08 PM IST
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