शहडोल। आज बात अजोला की करेंगे, अजोला जिसकी खेती कोई भी किसान बड़ी आसानी से कर सकता है. न ज्यादा लागत और न ही ज्यादा मेहनत, महज 5 से 7 दिन में तैयार और इसके फायदे इतने की इसके इस्तेमाल से कोई भी हो सकता है मालामाल, क्योंकि अजोला में प्रोटीन और मिनरल्स की भरमार है. पशुओं के लिए एक निश्चित मात्रा में हरे चारे के तौर पर इस्तेमाल करें या मुर्गी और बकरी के लिए इस्तेमाल करें, धान की फसल में भी अजोला उत्पादकता बढ़ाने में काफी कारगर है. इसके गुणों को जानने के बाद आप भी मान जाएंगे कि सच में अजोला प्रकृति का वरदान है.
अजोला क्या है: कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति अजोला को लेकर बताते हैं कि अजोला एक जलीय फर्न है, जो समूह में गुच्छे के रूप में पानी की सतह पर आप देखे होंगे, इसके पत्तियों की निचली सतह पर सहजीवी संबंधी जीवाणु ब्लू ग्रीन एलगाई पाया जाता है, जो वातावरण का नाइट्रोजन होता है, वायुमंडल का नाइट्रोजन होता है उसके स्थिरीकरण करने का कार्य करता है.
किसके लिए कितनी मात्रा का इस्तेमाल: कृषि वैज्ञानिक आगे बताते हैं कि अगर मुर्गियों की बात करें तो हम प्रति मुर्गी 35 से 40 ग्राम अजोला हर दिन दे सकते हैं तो आप देखेंगे कि अंडे की उत्पादकता में वृद्धि होगी, 10 से 15% तक अंडे की उत्पादकता में वृद्धि हो जाती है. इसके अलावा मुर्गी मुर्गियों का वेट भी बहुत अच्छे से गेन हो जाएगा. इसी तरह से अगर बकरियों की बात करें तो प्रति बकरी 200 ग्राम प्रति दिन उनको खिलाना बेहतर होता है. इसके अलावा गाय और भैंस की बात करें तो पशुपालक डेढ़ से 2 किलोग्राम के करीब प्रतिदिन गाय और भैंस को अजोला खिला सकते हैं. यह पोषक तत्वों की मात्रा शुष्क भार के आधार पर बताया गया है.
ऐसे करें अजोला की खेती: अजोला की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि अगर कोई अजोला की खेती करना चाहता है तो वो बहुत आसान है और कम खर्च में इसे तैयार किया जा सकता है. इसकी खेती की बात करें तो वह बहुत ही आसान विधि है इसमें सीमेंट के टांके या गड्ढे 4 मीटर लंबाई का 2 मीटर चौड़ाई का खोद सकते हैं और 40 सेंटीमीटर के करीब इसकी गहराई होनी चाहिए, अगर आप गड्ढे खोदकर बना रहे हैं तो नीचे उसमें नीचे पन्नी बिछा दें जिससे पानी का रिसाव जमीन के अंदर ना हो, अगर आप सीमेंट का टांका बना रहे हैं या गड्ढे में टांका बनाकर अजोला की खेती शुरू करना चाह रहे हैं तो दोनों में उसमें आपको 10 से 15 किलोग्राम उपजाऊ मिट्टी उस टांके के अंदर डालना पड़ेगा इसके बाद उसमें दो से तीन किलोग्राम ताजा गोबर 10 लीटर पानी में घोलिये और उस मिट्टी के ऊपर आप बिछा दीजिए.
इसके बाद सिंगल सुपर फास्फेट की 30 ग्राम मात्रा उस टंकी में डाल दें. उसके बाद उस टांके को पानी से 20 सेंटीमीटर तक भर दें. इसका ध्यान थोड़ी जरूर रखें कि मिट्टी का जो पानी का पीएच है वो 5 से 7 के बीच ही रहे, तो निश्चित तौर पर अजोला के उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. इसके अलावा ये ध्यान रखना होता है कि इसके उत्पादन में आंशिक सूर्य की रोशनी की जरुरत पड़ती है. बहुत ज्यादा सूर्य के रोशनी की जरूरत नहीं पड़ती है लगभग 25 से 50 प्रतिशत के आसपास होता है तो आप देखेंगे की इसकी उत्पादकता 5 से 7 दिनों में डबल हो जाएगी और उसके बाद उसे पानी से छानिये, उसे अच्छे से धुलिए और धुलने के बाद, बताई गई मात्रा में पशु, मुर्गी, बकरी के लिये इस्तेमाल करिए तो आप उसकी उत्पादकता में वृद्धि देखेंगे.
इसके अलावा अजोला की खेती में आपको ये सावधानी भी रखनी है इसमें हर 10 दिन में इसका पानी निकाल कर नया ताजा पानी भरें और उसमें 40 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और फिर उसमें ताजा गोबर दो से तीन केजी मात्रा पानी के साथ मिलाकर उसमें टांके में 20 सेंटीमीटर पानी भर देते हैं तो आप देखेंगे कि लगातार साल भर ताजा अजोला प्राप्त कर सकते हैं.
धान की फसल के लिए भी फ़ायदेमंद : कृषि वैज्ञानिक ने अजोला को लेकर बताया कि इसका एक और फायदा है बरसात के मौसम में धान की फसल में अगर इसे डालते हैं तो निश्चित तौर पर धान के फसल में भी उत्पादकता बढ़ जाती है. गौरतलब है कि अजोला की खेती करके किसानों को काफी फायदा होगा क्योंकि अजोला कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता फिर चाहे वह मुर्गियों के चारे के तौर पर हो, मवेशियों के चारे के तौर पर हो, गाय भैंस के लिए हरे चारे के तौर पर हो, साथ ही बकरियों के लिए चारे के तौर पर हो या फिर धान की फसल के लिए हो. हर किसी की उत्पादकता यह बढ़ा देता है. अजोला को कम खर्चे में और आसानी से इसे तैयार किया जा सकता है. ऐसे में किसान अगर अजोला का इस्तेमाल करते हैं तो उनके लिए ये एक प्रकृति का बड़ा वरदान साबित हो सकता है और किसान मालामाल हो सकते हैं क्योंकि इसके इस्तेमाल से न केवल धान की फसल की पैदावार में बढ़ोत्तरी होगी, साथ ही दूध का उत्पादन भी ज्यादा होगा और इनकी आये भी अच्छी खासी होगी.