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गणेश चतुर्थी 2020: देवी काली के साथ विराजमान हैं भगवान गणेश की अद्भुत प्रतिमा

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Published : Aug 22, 2020, 9:58 PM IST

पूरे मध्यप्रदेश में इस स्वरूप में इकलौते हैं शहडोल में विराजे लंबोदर महाराज, गणेशोत्सव के मौक पर ईटीवी भारत करा रहा है पुरातत्व महत्व की चमत्कारी गणेश प्रतिमा के दर्शन..

Shahdol district
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शहडोल। गणेश चतुर्थी की इस पावन बेला में अगर आप चमत्कारी, सदियों पुरानी, अलौकिक, अद्वितीय , अद्भुत और पूरे मध्यप्रदेश में इकलौते इस स्वरूप में विराजे भगवान गणेश के दर्शन करना चाहते हैं तो आप शहडोल जिले से महज 15 किलोमीटर दूर ग्राम सिंहपुर में इस अद्वितीय स्वरूप में विराजे भगवान गणेश के दर्शन कर सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान ने चमत्कार दिखाए हैं, जिसके चलते लोगों की आस्था इस मंदिर में विराजे मां काली के साथ भगवान गणेश पर बहुत ज्यादा है. इसलिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं.

अद्वितीय स्वरूप में विराजे भगवान गणेश

कहते हैं भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, संकटमोचक हैं, बुद्धि दाता हैं, इनके बहुत सारे स्वरूप हैं और इनके भक्तों की भी कमी नहीं है. इसीलिए तो गणेश चतुर्थी आते ही जगह-जगह गणेशोत्सव शुरू हो जाता है, और यह पूरे 9 दिन तक चलता है.

इस गणेश उत्सव में अगर आप किसी अद्भुत, अलौकिक गणपति के दर्शन करना चाह रहे हैं. तो आप शहडोल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित सिंहपुर ग्राम के इस भव्य मंदिर पहुंचे, जहां भगवान गणेश अष्टभुजी नृत्य मुद्रा में विराजे हैं, इस अद्भुत मुद्रा में भगवान गणेश की चमत्कार की कई कहानियां भी खूब मशहूल हैं. तभी यहां स्थानीय लोगों के अलावा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, मध्यप्रदेश के कटनी, जबलपुर संभाग के सभी जगह से और जो भी इनकी महिमा के बारे में सुनता है, वह भी यहां पहुंचता है. पंडित श्रीकांत शुक्ला की माने तो यहां पर मां काली के साथ विराजे भगवान गणेश पर लोगों की बहुत आस्था है, और भगवान गणेश उन्हें कभी निराश भी नहीं करते. वे सच्चे भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.

भक्तों का है बप्पा पर भरोसा

सिंहपुर ग्राम के मंदिर में विराजे विघ्नहर्ता लंबोदर महाराज के चमत्कार की कहानियां उनके भक्त भी बताते हैं, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने पहुंचे शिव भक्त शिव नारायण द्विवेदी कहते हैं कि इनके चमत्कार की कई कहानियां हैं.

यहां भगवान गणेश आदिकाल से बैठे हुए हैं और विश्व प्रसिद्ध है. शिवनारायण कहते हैं, अब उनके चमत्कार के बारे में क्या बताएं अभी कुछ साल पहले उन्हें कोई उठा कर ले ''गया काफी हो हल्ला भी मचा था, लेकिन फिर वह मिल भी गए और फिर से यहां आकर बैठ गए, अब इससे बड़ा चमत्कार क्या हो सकता है.'' खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मंदिर में पूजा करने पहुंच चुके हैं और मां काली के साथ विराजे भगवान गणेश के दर्शन भी कर चुके हैं, इनके अलावा भी जो भी भक्त वहां पहुंचा हर कोई इनकी तारीफ ही कर रहा भगवान गणेश के चमत्कार की कहानियां बताता रहा.

इतनी पुरानी है ये मूर्ति

मंदिर के बारे में पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार कहते हैं, ''पूरे मध्यप्रदेश में भी अगर तुलना की जाए तो गणेश प्रतिमाओं में अद्भुत है, इस प्रतिमा की एक विशेषता है कि वो लंबोदर स्वरूप में है और नृत्य करते हुए नटराज शिव के जैसी दिखती है.

उनकी विशेषता यह है कि यह अष्टभुजी हैं और साथ में जो इनके पांव के गति का जो दृष्टांकन है, हाथों की लय और उससे उनके तुंड का जो लहराता हुआ स्वरूप है वो वक्रतुंड नहीं है, बल्कि लहराता स्वरूप है वह उनके नटेश स्वरूप का पूरा दिग्दर्शन कराता है.''

इस अवतार में भगवान गणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण की है, ये प्रतिमा 10वीं सदी ईसवी की है और कलचुरी कला शिल्पन भी है और पूरे मध्यप्रदेश में एकलौती प्रतिमा है.

पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार कहते हैं कि ''जिस तरह से इनका लंबोदर और नृत्य मुद्रा में नटेश स्वरूप है, ये शिव का नटेश स्वरूप होता है. पूरे मध्यप्रदेश में इस तरह की प्रतिमाएं अभी देखने में नहीं आई हैं.''

अगर आप इस गणेश चतुर्थी में या इस गणेश उत्सव के 9 दिन का पावन बेला में भगवान गणेश के अद्भुत अद्वितीय अलौकिक अविस्मरणीय स्वरूप का दर्शन करना चाहते हैं, तो ग्राम सिंहपुर के मंदिर में काली माता के साथ विराजे भगवान गणेश के दर्शन जरूर करें.

इस मंदिर परिसर में आने के बाद आपको और कई देवी-देवताओं के भी दर्शन होंगे. मंदिर में मां काली के साथ खुद भगवान गणेश विराजे हैं, तो वहीं राम जानकी मंदिर भी है. यहां शिव, हनुमान के भी दर्शन हो जाएंगे.

शहडोल। गणेश चतुर्थी की इस पावन बेला में अगर आप चमत्कारी, सदियों पुरानी, अलौकिक, अद्वितीय , अद्भुत और पूरे मध्यप्रदेश में इकलौते इस स्वरूप में विराजे भगवान गणेश के दर्शन करना चाहते हैं तो आप शहडोल जिले से महज 15 किलोमीटर दूर ग्राम सिंहपुर में इस अद्वितीय स्वरूप में विराजे भगवान गणेश के दर्शन कर सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान ने चमत्कार दिखाए हैं, जिसके चलते लोगों की आस्था इस मंदिर में विराजे मां काली के साथ भगवान गणेश पर बहुत ज्यादा है. इसलिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं.

अद्वितीय स्वरूप में विराजे भगवान गणेश

कहते हैं भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, संकटमोचक हैं, बुद्धि दाता हैं, इनके बहुत सारे स्वरूप हैं और इनके भक्तों की भी कमी नहीं है. इसीलिए तो गणेश चतुर्थी आते ही जगह-जगह गणेशोत्सव शुरू हो जाता है, और यह पूरे 9 दिन तक चलता है.

इस गणेश उत्सव में अगर आप किसी अद्भुत, अलौकिक गणपति के दर्शन करना चाह रहे हैं. तो आप शहडोल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित सिंहपुर ग्राम के इस भव्य मंदिर पहुंचे, जहां भगवान गणेश अष्टभुजी नृत्य मुद्रा में विराजे हैं, इस अद्भुत मुद्रा में भगवान गणेश की चमत्कार की कई कहानियां भी खूब मशहूल हैं. तभी यहां स्थानीय लोगों के अलावा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, मध्यप्रदेश के कटनी, जबलपुर संभाग के सभी जगह से और जो भी इनकी महिमा के बारे में सुनता है, वह भी यहां पहुंचता है. पंडित श्रीकांत शुक्ला की माने तो यहां पर मां काली के साथ विराजे भगवान गणेश पर लोगों की बहुत आस्था है, और भगवान गणेश उन्हें कभी निराश भी नहीं करते. वे सच्चे भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.

भक्तों का है बप्पा पर भरोसा

सिंहपुर ग्राम के मंदिर में विराजे विघ्नहर्ता लंबोदर महाराज के चमत्कार की कहानियां उनके भक्त भी बताते हैं, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने पहुंचे शिव भक्त शिव नारायण द्विवेदी कहते हैं कि इनके चमत्कार की कई कहानियां हैं.

यहां भगवान गणेश आदिकाल से बैठे हुए हैं और विश्व प्रसिद्ध है. शिवनारायण कहते हैं, अब उनके चमत्कार के बारे में क्या बताएं अभी कुछ साल पहले उन्हें कोई उठा कर ले ''गया काफी हो हल्ला भी मचा था, लेकिन फिर वह मिल भी गए और फिर से यहां आकर बैठ गए, अब इससे बड़ा चमत्कार क्या हो सकता है.'' खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मंदिर में पूजा करने पहुंच चुके हैं और मां काली के साथ विराजे भगवान गणेश के दर्शन भी कर चुके हैं, इनके अलावा भी जो भी भक्त वहां पहुंचा हर कोई इनकी तारीफ ही कर रहा भगवान गणेश के चमत्कार की कहानियां बताता रहा.

इतनी पुरानी है ये मूर्ति

मंदिर के बारे में पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार कहते हैं, ''पूरे मध्यप्रदेश में भी अगर तुलना की जाए तो गणेश प्रतिमाओं में अद्भुत है, इस प्रतिमा की एक विशेषता है कि वो लंबोदर स्वरूप में है और नृत्य करते हुए नटराज शिव के जैसी दिखती है.

उनकी विशेषता यह है कि यह अष्टभुजी हैं और साथ में जो इनके पांव के गति का जो दृष्टांकन है, हाथों की लय और उससे उनके तुंड का जो लहराता हुआ स्वरूप है वो वक्रतुंड नहीं है, बल्कि लहराता स्वरूप है वह उनके नटेश स्वरूप का पूरा दिग्दर्शन कराता है.''

इस अवतार में भगवान गणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण की है, ये प्रतिमा 10वीं सदी ईसवी की है और कलचुरी कला शिल्पन भी है और पूरे मध्यप्रदेश में एकलौती प्रतिमा है.

पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार कहते हैं कि ''जिस तरह से इनका लंबोदर और नृत्य मुद्रा में नटेश स्वरूप है, ये शिव का नटेश स्वरूप होता है. पूरे मध्यप्रदेश में इस तरह की प्रतिमाएं अभी देखने में नहीं आई हैं.''

अगर आप इस गणेश चतुर्थी में या इस गणेश उत्सव के 9 दिन का पावन बेला में भगवान गणेश के अद्भुत अद्वितीय अलौकिक अविस्मरणीय स्वरूप का दर्शन करना चाहते हैं, तो ग्राम सिंहपुर के मंदिर में काली माता के साथ विराजे भगवान गणेश के दर्शन जरूर करें.

इस मंदिर परिसर में आने के बाद आपको और कई देवी-देवताओं के भी दर्शन होंगे. मंदिर में मां काली के साथ खुद भगवान गणेश विराजे हैं, तो वहीं राम जानकी मंदिर भी है. यहां शिव, हनुमान के भी दर्शन हो जाएंगे.

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