शहडोल । जिले में सबसे ज्यादा धान की फसल लगाई जाती है. इसके अलावा सोयाबीन, मक्का की खेती भी की जाती है. किसानों को अपनी फसलों को लेकर थोड़ी सावधान रहने की जरूरत है. इसी समय फसलों में अलग-अलग तरह के कीट का प्रकोप देखने को मिलता है. साथ ही धान की फसल में रोपाई के बाद किसान यूरिया का छिड़काव करते हैं, तो किसानों को इसे भी सावधानी से करना चाहिए. कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद सिंह का कहना है कि धान की फसल लगाने वाले किसान गंगई नामक कीट से सतर्क रहें.
अगर सही समय पर इस कीट से फसल की सुरक्षा नहीं की गई तो फिर यह आपकी फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. गंगई नामक कीट धान के पौधे के अंदर घुस कर पत्ती को काट देता है, जिससे पौधा वहीं सूख जाता है. ऐसे में किसानों को इस कीट से थोड़ा सजग रहने की जरूरत है. फसल में अगर गंगई कीट 5 से 10 फीसदी के स्तर पर हो तो कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4G 18 किलो प्रति हेक्टेयर या थायोमैक्सम 25 डब्लू जी का उपयोग 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा का छिड़काव करने से फायदा होगा.
किसानों के खेतों में धान का सूखा तना और बालियां देखी गई हैं, जो खींचने पर आसानी से बाहर निकल आते हैं. ऐसी हालत में राइनैक्सीपियर 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव प्रभावशाली होगा. धान की बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद अगर धान की पत्ती के किनारे वाला ऊपरी भाग हल्के पीले रंग के लगते हैं तो इस स्थिति में किसानों को पोटेशियम उर्वरक 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर छिड़काव करना चाहिए.
यूरिया का ऐसे करें इस्तेमाल
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद सिंह ने बताया कि उपज वाली प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 65 किग्रा यूरिया या सुगंधित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 33 किग्रा यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर दें, जिससे फसल की उपज बढ़ जाएगी. इसके अलावा दलहनी फसलों में आने वाले दिनों में काटने वाले कीटों, रस चूसक कीटों का प्रकोप हो तो क्लोरोपायरी फास 2 मिली, प्रति लीटर के मान से छिड़काव करें. कृषि वैज्ञानिक का साफ कहना है कि बारिश कम हो रही है, ऐसे में दलहनी की फसल या धान की फसल में सावधानी बरतने की जरुरत है. किसानों को अगर फसलों की स्थिति जानने की जरूरत है तो कृषि वैज्ञानिक से सलाह लेना चाहिए.