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रबी सीजन की खेती में देरी से न हो परेशान, इन सुझाव से बम्पर पैदावार में होगी 'बल्ले-बल्ले'

शहडोल जिले में इस साल खरीफ की फसल में देरी के चलते रबी सीजन में भी देरी हुई है. हालांकि कृषि वैज्ञानिकों की माने तो परेशान होने की जरुरत नहीं है. विशेष किस्म को लगाकर बम्पर पैदावार की जा सकती है.

Agricultural scientist gave suggestions for Rabi season
रबी सीजन के लिए कृषि वैज्ञानिक ने दिए सुझाव
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Published : Dec 13, 2019, 2:52 PM IST

शहडोल। इस साल देश के कई राज्यों में भारी बारिश के चलते खेती ज्यादा प्रभावित हुई है. साथ ही खरीफ की फसल काटने में भी देरी हुई है, जिसके चलते किसानों को इस साल रबी सीजन की खेती करने में देरी हुई. हालांकि कृषि वैज्ञानिक की माने तो किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. विशेष किस्मों को लगाकर अच्छी पैदावार की जा सकती है.

शहडोल जिले में भी रबी सीजन की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है, यहां धान की फसलों की पैदावार भी ज्यादा होती है. इस बार देरी से मानसून आने की वजह से धान की खेती देरी से शुरु हुई है, जिसके कारण फसल देरी से काटी जा रही है. ऐसे में किसानों को रबी सीजन की फसल में भी देरी हुई है.

रबी सीजन के लिए कृषि वैज्ञानिक ने दिए सुझाव

कृषि वैज्ञानिक ने दिए सुझाव

कृषि वैज्ञानिक पीएन त्रिपाठी कहते हैं कि शहडोल जिले में रबी सीजन की खेती अधिक की जाती है, लेकिन कई किसानों के खेत अभी खाली हो रहे हैं. धान की फसल इस बार मानसून देरी से आने के चलते लेट हो गया है. वहीं खेत खाली हो रहे हैं, ऐसे में किसान रबी सीजन की खेती को लेकर परेशान हैं. जिसके लिए पीएन त्रिपाठी ने कहा कि विशेष किस्मों को लगाकर बम्पर उत्पादन किया जा सकता है.

लगाए विशेष किस्म की फसल

दलहनी में विशेष रुप से चना, मसूर, अलसी, सरसों की बोनी का सही समय 15 नवंबर तक होता है. दलहनी फसलों के लिए इसे सही समय माना जाता है. वहीं अगर सिंचाई का साधन है तो नवम्बर महीने में गेहूं की किस्म में पूसा 111, जेडब्ल्यू 1202, जेडब्ल्यू 1203, एचआई 1544 इन किस्मों को अभी भी लगा सकते हैं, लेकिन इन सबके लिए सिंचाई का साधन होना चाहिए.

शहडोल। इस साल देश के कई राज्यों में भारी बारिश के चलते खेती ज्यादा प्रभावित हुई है. साथ ही खरीफ की फसल काटने में भी देरी हुई है, जिसके चलते किसानों को इस साल रबी सीजन की खेती करने में देरी हुई. हालांकि कृषि वैज्ञानिक की माने तो किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. विशेष किस्मों को लगाकर अच्छी पैदावार की जा सकती है.

शहडोल जिले में भी रबी सीजन की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है, यहां धान की फसलों की पैदावार भी ज्यादा होती है. इस बार देरी से मानसून आने की वजह से धान की खेती देरी से शुरु हुई है, जिसके कारण फसल देरी से काटी जा रही है. ऐसे में किसानों को रबी सीजन की फसल में भी देरी हुई है.

रबी सीजन के लिए कृषि वैज्ञानिक ने दिए सुझाव

कृषि वैज्ञानिक ने दिए सुझाव

कृषि वैज्ञानिक पीएन त्रिपाठी कहते हैं कि शहडोल जिले में रबी सीजन की खेती अधिक की जाती है, लेकिन कई किसानों के खेत अभी खाली हो रहे हैं. धान की फसल इस बार मानसून देरी से आने के चलते लेट हो गया है. वहीं खेत खाली हो रहे हैं, ऐसे में किसान रबी सीजन की खेती को लेकर परेशान हैं. जिसके लिए पीएन त्रिपाठी ने कहा कि विशेष किस्मों को लगाकर बम्पर उत्पादन किया जा सकता है.

लगाए विशेष किस्म की फसल

दलहनी में विशेष रुप से चना, मसूर, अलसी, सरसों की बोनी का सही समय 15 नवंबर तक होता है. दलहनी फसलों के लिए इसे सही समय माना जाता है. वहीं अगर सिंचाई का साधन है तो नवम्बर महीने में गेहूं की किस्म में पूसा 111, जेडब्ल्यू 1202, जेडब्ल्यू 1203, एचआई 1544 इन किस्मों को अभी भी लगा सकते हैं, लेकिन इन सबके लिए सिंचाई का साधन होना चाहिए.

Intro:Note_ इंटरव्यू कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी का है।

क्या रबी सीजन की खेती में आपको देरी हो गई है तो परेशान न हों इस विशेष किस्मों को लगाकर आप बम्पर पैदावार ले सकते हैं

शहडोल- जिले में भी रबी सीजन की खेती बहुतायत में की जाती है, लेकिन यहां धान की फसल की पैदावार भी बहुतायत में होती है, इस बार देरी से मानसून आने की वजह से धान की खेती देरी से शुरू हुई और देरी से क़ट रही है ऐसे में किसानों को रबी सीजन के फसल में भी देरी हो गई है, तो रबी सीजन कि खेती करने वाले किसान परेशान न हों, क्योंकि इस विशेष किस्म को अपने खेतों में लगाकर आप बम्पर उत्पादन ले सकते हैं।


Body:कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी कहते हैं की शहडोल जिले में भी रबी सीजन कि खेती बहुतायत में की जाती है, बहुत से किसानों ने तो करीब महीने भर पहले रबी की फसल लगा चुके हैं लेकिन कई किसानो के खेत अभी खाली हो रहे हैं क्योंकि धान की फसल इस बार मानसून देरी से आने की वजह से लेट हो गई है खेत अभी खाली हो रहे हैं तो ऐसे किसान अगर रबी सीजन कि खेती कर रहे हैं तो परेशान न हों। विशेष किस्मों को लगाकर अभी भी बम्पर उत्पादन ले सकते हैं।

कृषि वैज्ञनिक पीएन त्रिपाठी कहते हैं दलहनी में विशेष रूप से चना मसूर अलसी सरसों की बोनी का सही समय 15 नवंबर तक हो जानी चाहिए, ये दलहनी फसलों के लिए सही समय माना जाता है।

क्षेत्र में धान की खेती बहुतायत में की जाती है अगर धान की फसल की वजह से खेत खाली नहीं हुआ है तो नवंबर के महीने तक हम मानते हैं कि बोनी हो जानी चाहिए। उसको भी हम समय की बोनी ही मानते हैं।

लेकिन जब दिसम्बर में बोनी करते हैं तो कुछ सलेक्टेड किस्म को ही लगाये तो दिक्कत नहीं है, जैसे गेंहू चना इन फसलों के कई ऐसे सलेक्टेड किस्म हैं जिन्हें लगाकर बम्पर उत्पादन ले सकते है, अगर देरी हो गई है फिर भी।

कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि दिसम्बर महीने में असिंचित गेहूं की बात नहीं कर सकते इसे लगाने का सही समय अक्टूबर से 10 नवम्बर तक माना जाता है।

लेकिन अगर सिंचाई का साधन है तो नवम्बर महीने में गेहूं की किस्म में पूसा 111, जेडब्ल्यू 1202, जेडब्ल्यू 1203, एचआई 1544 इन किस्मों को अभी भी लगा सकते हैं बस सिंचाई का साधन होना चाहिए।

इसके अलावा चने के फसल के लिए जवाहर चना JG14 को अगर सिंचाई का साधन है तो लगा सकते हैं। क्योंकी इन क़िस्मों में तापमान के प्रति अवरोधक क्षमता है। और उच्च उत्पादन देता है।

इसलिए अगर रबी सीजन की खेती में देरी हो गई है तो इस तरह के किस्मों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

फसलों में आ रहा अजब गजब रोग

कुछ किसानों का कहना है जो समय से रबी सीजन की बोनी कर चुके हैं उनके फसल करीब एक महीने के हो चुके हैं, और उनके फसलों में अभी से अजब गजब रोग लग रहा है, इस पर कृषि वैज्ञनिक पीएन त्रिपाठी कहते हैं की इसकी शिकायत आई है सही समय पर अगर बोनी हो गई है तो फसल के 21 दिन के बाद पहली सिंचाई बहुत ही महत्वपूर्ण है।

मौसम और तापमान में पिछले कुछ दिन से बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है वैज्ञनिकों का कहना है बदलि, बढ़ते ठंड मौसम में तापमान में गिरावट और बढ़ोत्तरी का असर फसलों पर होता है और ये फसल के कीटों के लिए ये मौसम बहुत अनुकूल होता है।






Conclusion:कृषि वैज्ञानिक कहते हैं की मौसम में परिवर्तन की वजह से जड़ माहु का प्रकोप बढ़ जाता है, फसल के परत में पत्तियों के बीच में भूरा काला सूक्ष्म कीड़ा होता है जो पौधे का रस चूसने का काम करता है।

इसके अलावा दीमक की समस्या भी चना मसूर जैसे फसलों में देखने को मिलता है ऐसी स्थिति में किसानों को सावधान रहने की जरूरत है और अगर इस तरह की कोई दिक्कत आ रही है तो कृषि वैज्ञनिकों की सलाह से दवाइयों का छिड़काव करके फसलों का बचाया जा सकता है।
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