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योग के पथ पर चलकर गोपाल हुए निरोग, 85 की उम्र में उन्हें देख लोग हो जाते हैं अचंभित

शहडोल में 85 साल के उम्रदराज गोपाल श्रीवास्तव ने योग को अपनाकर खुद को उम्र के इस पड़ाव में भी एक दम तंदरुस्त रखा हुआ है. आज वो अपना हर काम खुद करते हैं.

yoga
योग बनाए निरोग
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Published : Jun 19, 2020, 1:18 PM IST

Updated : Jun 20, 2020, 6:13 AM IST

शहडोल। कहते हैं जो करे योग वो सदा रहे निरोग. कुछ ऐसी ही कहानी है शहडोल के 85 साल के उम्रदराज गोपाल श्रीवास्तव की, जिन्होंने कुछ साल पहले ही योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया और आज उसके फायदे ये हैं कि गोपाल श्रीवास्तव को किसी भी तरह की बीमारी नहीं है. उन्हें आंखों में पॉवर का चश्मा लगता था, वो भी उतर गया. जिसके बाद अब वे बिना चश्मा ही रामायण पढ़ते हैं. इसके अलावा सिरदर्द, सर्दी-खांसी, बुखार उन्हें छू भी नहीं पाता. आज वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अपना हर काम खुद करते हैं. उम्र के इस पड़ाव में गोपाल आज भी खेती कराते हैं और ये सबकुछ संभव हुआ है सिर्फ रोजाना उनके योग के अभ्यास से.

निरोग गोपाल
जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर ऐंताझर गांव में रहने वाले गोपाल श्रीवास्तव गांव के सबसे उम्रदराज और स्वस्थ व्यक्तियों में से एक हैं. इन्हें देखकर हर कोई हैरान रहा जाता है कि उम्र के इस पड़ाव में ये कैसे संभव है.


2012 में की शुरूआत

गोपाल श्रीवास्तव रिटायर्ड शिक्षक हैं. रिटायर होने के बाद वो अपने स्वास्थ्य और फिटनेस को लेकर चिंतित रहते थे क्योंकि कई बीमारियां उन्हें परेशान करती थीं. इसी दौरान उन्होंने टीवी पर देखा कि योग से निरोगी काया पाई जा सकती है. जिसके बाद उन्होंने टीवी देखकर ही योगा सीखना शुरू किया. इसके बाद पास के ही गांव में एक दफा योगा कैंप लगा, जिसमे वे बड़े ही उत्सुकता के साथ जाते और वहीं से उन्होंने अपने उम्र के हिसाब से किस तरह के योग फायदेमंद होंगे सीखे. 2012 से शुरू हुआ ये कारवां आज भी निरंतर जारी है.

yoga
योग पथ पर चलकर हैं निरोग
दिन की शुरूआत योग के साथगोपाल श्रीवास्तव बताते हैं कि वो रोजाना सुबह करीब 4 बजे के उठ जाते हैं. इसके बाद 5 बजे टहलने चल देते हैं और 6 बजे टहलकर वापस घर आते हैं. टहलकर वापस आने के बाद सुबह 7 बजे से शूरू होता है योग जो कि करीब 8.15-8.30 बजे तक पूरा हो जाता है.
85 year yoga practioner
योग से होती दिन की शुरूआत


योग से मिले कई फायदे


गोपाल श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें करने से काफी फायदे मिले हैं. जब से वे योग कर रहे हैं, तब से ही उनकी तबियत में सुधार हुआ है.

  • हमेशा आंखों से पानी बहता था और वे बिना चश्मा कुछ पढ़ भी नहीं पाते थे, लेकिन योग करने के बाद बहुत सुधार हुआ है. अब वे बिना चश्मे के ही रामायण भी पढ़ लेते हैं. इसके अलावा उन्हें चश्में की जरूरत भी महसूस नहीं होती.
  • सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित रहने वाले गोपाल आज योग की बदौलत एक दम स्वस्थ और तंदरूस्त हैं.
  • गोपाल श्रीवास्तव कहते हैं कि मैं जब से योग कर रहा हूं मुझे दवा की जरूरत नहीं पड़ती.
  • वहीं गोपाल के सिर में बाल नहीं थे, लेकिन योग शुरू करते ही धीरे-धीरे उनके सर के बाल आ रहे हैं. बता दें, कुछ सालों पहले गोपाल के काफी बाल झड़ गए थे.

ये भी पढ़ें- Health is Wealth :योगा टीचर से जानें कैसे रहें फिट, कोरोना काल में योग से भगाएं रोग


ग्रामीणों को होता है आश्चर्य

ऐंताझर गांव में रहने वाले संतोष शर्मा बताते हैं कि वे पिछले कई सालों से गोपाल को देख रहे हैं. वो हर दिन सुबह-सुबह योग करते हैं. संतोष ने बताया कि गोपाल पहले ज्यादातर बीमार रहते थे, लेकिन जब से उन्होंने योग करना शुरू किया है उनकी सभी समस्याओं का निदान हो गया है. पहले उनकी स्वास्थ्य की स्थिति ऐसी रहती थी कि वो बीमार रहते थे, सिरदर्द, आंख से पानी आना जैसी कई समस्याएं थी. जब से उन्होंने योग करना शुरू किया अब वे किसी भी दवाई का सेवन नहीं करते और न ही टेबलेट खाते हैं.

yoga
योग पथ पर चलकर हैं निरोग

संतोष ने बताया कि उनकी दिनचर्या भी नवयुवकों की तरह है. वे हमेशा घूमते-फिरते रहते हैं और हमेशा उनका मन और तन प्रसन्न रहता हैं. साथ ही स्वस्थ होकर योगा के चलते अपनी बिंदास जिंदगी जी रहे हैं, पूरी खेती कराते हैं. उनकी खेतीं गांव में सबसे ज्यादा है. जितनी खेती गांव का 40 साल का व्यक्ति नहीं करा सकता वो कराते हैं. आज भी वो अपने खेत रोजाना पैदल जाते हैं, जबकि गांव से तीन किलोमीटर दूर उनका खेत है.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में योग का है बड़ा महत्व, जानिए योग से कैसे बढ़ाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता

योग से सब संभव


आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ, योगा स्पेशलिस्ट डॉक्टर तरुण सिंह बताते हैं कि योग में सबकुछ पॉसिबल है. योग के लिए कहा गया है कि योग और आयुर्वेद में जो लोग स्वस्थ हैं, वो स्वस्थ बने रहेंगे और जो लोग रोगी हैं वो लोग स्वस्थ हो जाएंगे. योग के द्वारा महर्षि पतंजलि योग सूत्र में भी ऐसा ही कहा गया है और अष्टांग योग में भी ऐसी कई अवधारणा आती हैं. योग करने वाला व्यक्ति जब निरंतर योग करने लग जाता है और उसे अच्छे मन से करता है तो जो साधक चाहता है योग साधना के जरिये उसको हासिल कर सकता है. जैसे कोई अच्छा शरीर चाहता है, किसी को बीमारी है तो वो ठीक हो जाती हैं. किसी को फिर से यौवन मिलने लग जाता है, जैसे इन्हें मिलने लग गया. आंखों की जो क्षीणता होती है, वो उम्र के साथ-साथ धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है. लेकिन जैसे-जैसे वो योग करता है, धीरे-धीरे उसकी भौतिक आयु कम होने लग जाती है.

शहडोल। कहते हैं जो करे योग वो सदा रहे निरोग. कुछ ऐसी ही कहानी है शहडोल के 85 साल के उम्रदराज गोपाल श्रीवास्तव की, जिन्होंने कुछ साल पहले ही योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया और आज उसके फायदे ये हैं कि गोपाल श्रीवास्तव को किसी भी तरह की बीमारी नहीं है. उन्हें आंखों में पॉवर का चश्मा लगता था, वो भी उतर गया. जिसके बाद अब वे बिना चश्मा ही रामायण पढ़ते हैं. इसके अलावा सिरदर्द, सर्दी-खांसी, बुखार उन्हें छू भी नहीं पाता. आज वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अपना हर काम खुद करते हैं. उम्र के इस पड़ाव में गोपाल आज भी खेती कराते हैं और ये सबकुछ संभव हुआ है सिर्फ रोजाना उनके योग के अभ्यास से.

निरोग गोपाल
जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर ऐंताझर गांव में रहने वाले गोपाल श्रीवास्तव गांव के सबसे उम्रदराज और स्वस्थ व्यक्तियों में से एक हैं. इन्हें देखकर हर कोई हैरान रहा जाता है कि उम्र के इस पड़ाव में ये कैसे संभव है.


2012 में की शुरूआत

गोपाल श्रीवास्तव रिटायर्ड शिक्षक हैं. रिटायर होने के बाद वो अपने स्वास्थ्य और फिटनेस को लेकर चिंतित रहते थे क्योंकि कई बीमारियां उन्हें परेशान करती थीं. इसी दौरान उन्होंने टीवी पर देखा कि योग से निरोगी काया पाई जा सकती है. जिसके बाद उन्होंने टीवी देखकर ही योगा सीखना शुरू किया. इसके बाद पास के ही गांव में एक दफा योगा कैंप लगा, जिसमे वे बड़े ही उत्सुकता के साथ जाते और वहीं से उन्होंने अपने उम्र के हिसाब से किस तरह के योग फायदेमंद होंगे सीखे. 2012 से शुरू हुआ ये कारवां आज भी निरंतर जारी है.

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योग पथ पर चलकर हैं निरोग
दिन की शुरूआत योग के साथगोपाल श्रीवास्तव बताते हैं कि वो रोजाना सुबह करीब 4 बजे के उठ जाते हैं. इसके बाद 5 बजे टहलने चल देते हैं और 6 बजे टहलकर वापस घर आते हैं. टहलकर वापस आने के बाद सुबह 7 बजे से शूरू होता है योग जो कि करीब 8.15-8.30 बजे तक पूरा हो जाता है.
85 year yoga practioner
योग से होती दिन की शुरूआत


योग से मिले कई फायदे


गोपाल श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें करने से काफी फायदे मिले हैं. जब से वे योग कर रहे हैं, तब से ही उनकी तबियत में सुधार हुआ है.

  • हमेशा आंखों से पानी बहता था और वे बिना चश्मा कुछ पढ़ भी नहीं पाते थे, लेकिन योग करने के बाद बहुत सुधार हुआ है. अब वे बिना चश्मे के ही रामायण भी पढ़ लेते हैं. इसके अलावा उन्हें चश्में की जरूरत भी महसूस नहीं होती.
  • सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित रहने वाले गोपाल आज योग की बदौलत एक दम स्वस्थ और तंदरूस्त हैं.
  • गोपाल श्रीवास्तव कहते हैं कि मैं जब से योग कर रहा हूं मुझे दवा की जरूरत नहीं पड़ती.
  • वहीं गोपाल के सिर में बाल नहीं थे, लेकिन योग शुरू करते ही धीरे-धीरे उनके सर के बाल आ रहे हैं. बता दें, कुछ सालों पहले गोपाल के काफी बाल झड़ गए थे.

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ग्रामीणों को होता है आश्चर्य

ऐंताझर गांव में रहने वाले संतोष शर्मा बताते हैं कि वे पिछले कई सालों से गोपाल को देख रहे हैं. वो हर दिन सुबह-सुबह योग करते हैं. संतोष ने बताया कि गोपाल पहले ज्यादातर बीमार रहते थे, लेकिन जब से उन्होंने योग करना शुरू किया है उनकी सभी समस्याओं का निदान हो गया है. पहले उनकी स्वास्थ्य की स्थिति ऐसी रहती थी कि वो बीमार रहते थे, सिरदर्द, आंख से पानी आना जैसी कई समस्याएं थी. जब से उन्होंने योग करना शुरू किया अब वे किसी भी दवाई का सेवन नहीं करते और न ही टेबलेट खाते हैं.

yoga
योग पथ पर चलकर हैं निरोग

संतोष ने बताया कि उनकी दिनचर्या भी नवयुवकों की तरह है. वे हमेशा घूमते-फिरते रहते हैं और हमेशा उनका मन और तन प्रसन्न रहता हैं. साथ ही स्वस्थ होकर योगा के चलते अपनी बिंदास जिंदगी जी रहे हैं, पूरी खेती कराते हैं. उनकी खेतीं गांव में सबसे ज्यादा है. जितनी खेती गांव का 40 साल का व्यक्ति नहीं करा सकता वो कराते हैं. आज भी वो अपने खेत रोजाना पैदल जाते हैं, जबकि गांव से तीन किलोमीटर दूर उनका खेत है.

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योग से सब संभव


आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ, योगा स्पेशलिस्ट डॉक्टर तरुण सिंह बताते हैं कि योग में सबकुछ पॉसिबल है. योग के लिए कहा गया है कि योग और आयुर्वेद में जो लोग स्वस्थ हैं, वो स्वस्थ बने रहेंगे और जो लोग रोगी हैं वो लोग स्वस्थ हो जाएंगे. योग के द्वारा महर्षि पतंजलि योग सूत्र में भी ऐसा ही कहा गया है और अष्टांग योग में भी ऐसी कई अवधारणा आती हैं. योग करने वाला व्यक्ति जब निरंतर योग करने लग जाता है और उसे अच्छे मन से करता है तो जो साधक चाहता है योग साधना के जरिये उसको हासिल कर सकता है. जैसे कोई अच्छा शरीर चाहता है, किसी को बीमारी है तो वो ठीक हो जाती हैं. किसी को फिर से यौवन मिलने लग जाता है, जैसे इन्हें मिलने लग गया. आंखों की जो क्षीणता होती है, वो उम्र के साथ-साथ धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है. लेकिन जैसे-जैसे वो योग करता है, धीरे-धीरे उसकी भौतिक आयु कम होने लग जाती है.

Last Updated : Jun 20, 2020, 6:13 AM IST
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