सिवनी। पिछले 4 सालों से ज्यादा समय से मध्यप्रदेश शासन के राजपत्र में प्रकाशन और हाईकोर्ट के 2 आदेशों के बाद छपारा नगर परिषद के वार्डों का सीमांकन और नामकरण के बाद अब फिर से छपारा में ग्राम पंचायत चुनाव प्रक्रिया को लेकर जनता में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. इसी के चलते मंगलवार को स्थानीय रेस्ट हाउस परिसर में नगर परिषद संघर्ष समिति ने एक विचार गोष्ठी आयोजित की थी, जिसमें राजनीतिक दलों के अलावा जनप्रतिनिधि और अन्य लोग मौजूद रहे.
![Meeting of people and public representatives](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-seo-01a-chunavi-akrosh-dry-raw-pkg-mpc10004_16062020083631_1606f_1592276791_251.jpg)
गौरतलब है कि 15 साल से ज्यादा समय से छपारा ग्राम पंचायत को नगर परिषद बनाए जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन और जल सत्याग्रह किए जा रहे हैं. स्थानीय निवासी मदन श्रीवास्तव ने साल 2009 में छपारा को नगर परिषद बनाए जाने को लेकर एक जनहित याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में दायर की गई थी.
हाईकोर्ट ने सारे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश शासन को 6 माह के अंदर छपारा को नगर परिषद बनाए जाने के आदेश भी साल 2011 में जारी किए थे, लेकिन मध्यप्रदेश शासन के द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के बाद ये बताया गया था कि छपारा को नगर परिषद का दर्जा दे दिया गया है.
2016 में राजपत्र में हो चुका है प्रकाशन
बता दें, कि भाजपा शासन के दौरान 4 जनवरी 2016 को मध्यप्रदेश शासन के द्वारा छपारा को नगर परिषद बनाए जाने के लिए राजपत्र में भी प्रकाशन किया जा चुका है. राजपत्र में प्रकाशन होने के बाद वर्ष 2019 में नगर परिषद बनाए जाने की प्रक्रिया को लेकर आसपास की 2 ग्राम पंचायतों को छपारा पंचायत के साथ जोड़कर 15 वार्ड भी बनाएं गए और उनका सीमांकन करते हुए, बकायदा सभी 15 वार्डों का नामकरण भी किया गया, इनके दस्तावेजों पर तत्कालीन कलेक्टर के हस्ताक्षर भी हैं.
![Meeting of people and public representatives](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-seo-01a-chunavi-akrosh-dry-raw-pkg-mpc10004_16062020083631_1606f_1592276791_251.jpg)
हाई कोर्ट के आदेश और राजपत्र में प्रकाशन के बाद पंचायत के चुनाव क्यों
इस मामले को लेकर अब नगर परिषद संघर्ष समिति ने अपना मोर्चा खोल दिया है और मंगलवार को छपारा के स्थानीय रेस्ट हाउस परिसर में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और जनप्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय निवासियों की एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई. इस संगोष्ठी के दौरान सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया गया कि छपारा को नगर परिषद का दर्जा ही मिलना चाहिए और ग्राम पंचायत के चुनाव का बहिष्कार होना चाहिए. साथ ही विभिन्न माध्यमों से शासन प्रशासन और सरकार तक इस बात की आवाज पहुंचाया जाना चाहिए. इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद छपारा को नगर परिषद बनाए जाने को लेकर 11 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम तहसीलदार को दिया है.