सिवनी। एमपी में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस-बीजेपी ने तैयारियां तेज कर दी हैं. AAP भी अबकी बार एमपी की सियासत में तीसरी बड़ी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए तैयार है लेकिन सिवनी जिले में समीकरण अलग है. सिवनी जिले की केवलारी विधानसभा सीट अनारक्षित है लेकिन निर्णायक भूमिका गोंडवाना गणतंत्र पार्टी निभाती है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली केवलारी विधानसभा सीट में साल 2018 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की एंट्री हो जाने की वजह से भाजपा को जीत का मौका मिल गया था.
संजय सरोवर बांध इलाके की पहचान: केवलारी विधानसभा की सबसे बड़ी पहचान एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का संजय सरोवर बांध है संजय सरोवर बांध भीमगढ़ गांव में वैनगंगा नदी पर बनाया गया है. इस बांध से 18615 हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है. बांध का पानी सिवनी जिला के साथ ही बालाघाट जिला तक जाता है इसी बांध के पानी से विधानसभा की अधिकतर जमीन सिंचित होती है.
कांग्रेस का रहा दबदबा 2018 में भाजपा ने मारी बाजी: केवलारी विधानसभा सीट के राजनीतिक समीकरणों पर अगर नजर डालें तो जिले के दिग्गज कांग्रेस के दिवंगत नेता ठाकुर हरबंस सिंह का दबदबा इस विधानसभा में काफी रहा था. उनके निधन के बाद 2013 के चुनाव में उनके बेटे ठाकुर रजनीश यहां से विधायक बने थे हालांकि साल 2018 के चुनाव ठाकुर रजनीश सिंह यहां से चुनाव हार गए थे. 2018 के चुनावों में यहां से भाजपा ने अपना प्रत्याशी राकेश पाल सिंह को मैदान में उतारा. राकेश पाल सिंह को 85 हजार 839 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के रजनीश सिंह को 79 हजार 160 वोट मिले और भाजपा के राकेश पाल सिंह 6679 वोटों से चुनाव जीते थे.
2008 से अब तक ये रहे परिणाम: साल 2008 में केवलारी विधानसभा से कांग्रेस के हरवंश सिंह ठाकुर और भाजपा के ढाल सिंह बिसेन के बीच में मुकाबला हुआ. इस चुनाव में ठाकुर हरवंश सिंह को 57,180 वोट मिले तो वहीं भाजपा के ढालसिंह बिसेन को 51 हजार 202 वोटों से संतोष करना पड़ा था. इस प्रकार कांग्रेस 5 हजार 978 वोटों से जीती थी. 2013 के चुनाव परिणाम में केवलारी विधानसभा से ठाकुर हरवंश सिंह के निधन हो जाने पर उनके बेटे रजनीश सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया और उन्हें 72 हजार 669 वोट मिले तो वहीं प्रमुख विपक्षी रहे भाजपा के ढाल सिंह बिसेन को 67 हजार 866 वोट मिले थे और इस तरह एक बार फिर ढाल सिंह बिसेन 4 हजार 803 वोटों से हार गए थे.
दो लाख से ज्यादा मतदाता करेंगे फैसला: अनारक्षित केवलारी विधानसभा चुनाव के लिए 2 लाख 53 हजार 933 मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. जिसमें से 1लाख 28 हजार 891 पुरुष मतदाता हैं तो वहीं 1 लाख 25 हजार 391 महिला मतदाता हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 85839 वोट तो कांग्रेस को 79160 वोट मिले थे वही 34355 वोट अन्य के खाते में भी गए थे इस प्रकार अगर वोट शेयर देखा जाए तो कांग्रेस और भाजपा के बीच में 3.39 फ़ीसदी का ही अंतर था.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तय करती है राजनीतिक समीकरण: केवलारी विधानसभा में भले ही कांग्रेस और भाजपा के बीच ही प्रमुख मुकाबला होता है लेकिन निर्णायक भूमिका हमेशा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ही तय करती है अगर जातिगत आंकड़ों पर नजर डालें तो विधानसभा में करीब 45 हजार गोंड निवास करते हैं तो 30 हजार पवार, 21 हजार कलार वोटर, 12 हजार लोधी, 10 ब्राह्मण और करीब 5000 राजपूत इस विधानसभा के मतदाता हैं. अगर यहां से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी चुनाव लड़ती है तो इसका खामियाजा कांग्रेस होता है. इस बार भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी विशेष तैयारी कर रही है विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक मतदान केंद्रों में 1 बूथ 41 यूथ के साथ हर घर झंडा और घर-घर गोगपा का अभियान चलाया जा रहा है.
भाजपा मोदी और शिवराज के भरोसे: 2023 के चुनाव के लिए जहां बीजेपी के नेता और वर्तमान विधायक राकेश पाल सिंह शिवराज सिंह चौहान और मोदी सरकार की योजनाओं के भरोसे फिर से चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस पूर्व मंत्री हरवंश सिंह के द्वारा इलाके में कराए गए विकास का और 15 महीने की कमलनाथ सरकार के भरोसे चुनाव मैदान में आएंगे.
कांग्रेस के पास एक ही पुराना चेहरा, भाजपा में दावेदारों की कतार: 2023 के लिए विधानसभा चुनाव में अगर दावेदारों की बात करें तो कांग्रेस में सबसे प्रबल दावेदार पूर्व विधायक ठाकुर रजनीश सिंह माने जा रहे हैं तो वहीं भाजपा से वर्तमान विधायक राकेश पाल सिंह, ढाल सिंह बिसेन ,मौसम बिसेन और नीता पटेरिया भी प्रमुख दावेदार हैं वही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से जिला अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे भी यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.