ETV Bharat / state

MP Seat Scan Barghat: बरघाट की जनता को पहले मिले नॉट रिचेबल विधायक, अब धरना वाले MLA, जानिए आगे क्या होगा समीकरण

चुनावी साल में ETV Bharat आपको मध्य प्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बरघाट विधानसभा सीट के बारे में बताएंगे. पेंच टाइगर रिजर्व यानि कि इंदिरा प्रियदर्शनी नेशनल पार्क की वजह से इस सीट की पहचान देश भर में है. आज बात करेंगे बरघाट विधानसभा सीट के सियासी समीकरण और इतिहास का ETV Bharat के सीट स्कैन के जरिए.

Barghat assembley
बरघाट विधानसभा सीट
author img

By

Published : Jul 24, 2023, 10:15 PM IST

सिवनी। द जंगल बुक के मोगली का घर और पेंच टाइगर रिजर्व बरघाट विधानसभा सीट को देश में अलग पहचान दिलाती है, लेकिन जनता की माने तो यहां की कहानी दिया तले अंधेरा से कम नहीं है. क्योंकि स्थानीय स्तर पर जिस तरह का विकास होना था, वह आज भी इस क्षेत्र से नदारद है. इस सीट पर पहले जहां बीजेपी विधायक का राज था तो वहीं वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हैं. विकास के नाम पर यहां की जनता को कांग्रेस और बीजेपी दोनों से निराशा हाथ लगी है. पढ़िए बरघाट सीट का समीकरण

आदिवासियों ने जताया था भरोसा: बरघाट विधानसभा सीट के चुनावी समीकरणों पर नजर डालें तो विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,37,111 मतदाता हैं. जिसमें 1,18,544 पुरुष मतदाता तो वहीं 1,18,564 महिला मतदाता हैं. जबकि 3 अन्य हैं. यहां पर 2008 और 2013 के चुनावों में आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा पर विश्वास जताया था, लेकिन जब भाजपा उनके मापदंडों पर खरी नहीं उतरी तो 2018 में उन्होंने कांग्रेस को मौका दिया.

MP Seat Scan Barghat
बरघाट सीट के मतदाता

एक अमीर क्षेत्र जिसके लोग गरीब: बरघाट विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कुदरत ने इसे क्या कुछ नहीं दिया है. यहां पर धान की फसल काफी अच्छी होती है. विश्व प्रसिद्ध पेंच नेशनल टाइगर रिजर्व इसी इलाके में आता है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा यहीं पर है और नाका भी है. यहां पर पेंच जैसी नदियां हैं. यहां से रेत न सिर्फ जिले बल्कि दूसरे राज्य और जिलों में भी जाती है. अक्सर भारत के बारे में एक बात कही जाती है कि भारत एक अमीर देश है, जिसके निवासी गरीब हैं. बरघाट के बारे में भी यही बात कही जा सकती है. यहां पर कहने को तो बरघाट का मच्छरदानी उद्योग, चक्की खमरिया का चक्की उद्योग, पचधार का मटका और मिट्टी उद्योग, पेंच, बामनथड़ी, नेवरी जैसी नदियों का सोना जैसा रेत जो कि पूरे जिले, दूसरे जिले और प्रदेश में भेजा जाता है. इसके अलावा दो राज्यों के बीच अंतर्राज्यीय नाका है. जो हर महीने करोड़ों रुपए का राजस्व शासन को देता है. ये सुविधाएं किसी और क्षेत्र में होती तो वो विधानसभा क्षेत्र प्रदेश में अव्वल स्थिति में होता, लेकिन बरघाट आज भी प्रदेश में सबसे कम विकसित स्थानों में से एक है.

MP Seat Scan Barghat
बरघाट की खासियत

साल 2008 का चुनाव परिणाम: साल 2008 में भाजपा ने कमल मर्सकोले को यहां से विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस से तीरथ सिंह बट्टी मैदान में थे. यहां पर भाजपा के कमल मर्सकोले को 61753 वोट मिले थे तो वहीं तीरथ सिंह बट्टी को 45943 वोट मिले थे. बीजेपी 15810 वोटों से चुनाव जीती थी.

साल 2013 का चुनाव परिणाम: 2013 में एक बार फिर भाजपा सिटिंग विधायक कमल मार्सकोले को चुनाव मैदान में लाई तो कांग्रेस ने चेहरा बदलते हुए अर्जुन सिंह काकोड़िया को मैदान में उतारा. अर्जुनसिंह काकोड़िया ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी और सिर्फ 269 वोटों से चुनाव हार गए. यहां पर भाजपा के कमल मर्सकोले को 77122 वोट मिले थे तो वहीं अर्जुन सिंह काकोड़ीया को 76853 वोट मिले थे.

MP Seat Scan Barghat
बरघाट सीट का रिपोर्ट कार्ड

साल 2018 का चुनाव परिणाम: 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से अर्जुन सिंह काकोड़िया पर दांव लगाया तो बीजेपी ने चेहरा बदलते हुए नरेश बरकड़े को मैदान में उतारा. इस बार कांग्रेस ने यहां पर अच्छा प्रदर्शन किया और 90053 वोट पाए तो वहीं बीजेपी को 82526 वोट मिले. लिहाजा भाजपा के नरेश बरकड़े 7527 वोटों से चुनाव हार गए. इस बार अन्य दलों ने यहां पर 15704 वोट बटोरे.

MP Seat Scan Barghat
साल 2018 का रिजल्ट

ना बांध का पानी मिला न कॉलेज की बिल्डिंग: कुरई में एक कॉलेज और कांचना मंडी जलाशय की सौगात बरघाट को मिल गई थी, लेकिन दुर्भाग्य है कि पांच सालों में ना तो बांध की नहरें शुरु हो पाईं और ना ही कुरई के कॉलेज को अपनी एक अदद इमारत ही मिल सकी. बस पांच साल तक सिवनी से भोपाल, भोपाल से दिल्ली और दिल्ली से सिवनी, सिवनी से कुरई तक फाइलें चलती रहीं. पड़ोसी जिला बालाघाट में किसान एक साल में तीन तीन फसलें उगाते हैं, लेकिन हमारे इस क्षेत्र में किसानों के लिए खेती आज भी बरसात का जुआ बना हुआ है.

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

Kamal Marskole former MLA
कमल मर्सकोले पूर्व विधायक

विधायक ने धरना देने में गुजारे तो कमल रहे पांच साल नदारद: बरघाट में भाजपा के कमल मर्सकोले पिछले पांच साल से बिल्कुल नदारद नजर आए. ना ही दूसरे नेता भाजपा के लिए काम करते नजर आए, ना कोरोना काल में, ना ही दूसरे समय में. अब चुनावों का दौर आया है तो भाजपा में इतने सारे नाम सामने आ रहे हैं. जिले से एक दो बैंक कर्मी पिछले कई दिनों से छुट्टियां लेकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. वहीं एक पूर्व आईएएस भी भाजपा के टिकटार्थी हैं. इसके अलावा कमल मर्सकोले और पिछले चुनावों में पराजित हुए नरेश बरकड़े जैसे नाम भी लिस्ट में है.

Arjun Kakodiya MLA
अर्जुन काकोड़िया विधायक

कांग्रेस में भी प्रत्याशी बदलने की उठी मांग: जहां एक ओर वर्तमान विधायक अति आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं, तो वहीं कई कांग्रेसी दबी जुबान से किसी नए चेहरे को टिकट दिए जाने की मांग आला पदाधिकारियों के सामने रख चुके हैं. इन लोगों का कहना है कि पिछले पांच साल में विधानसभा क्षेत्र को कोई ऐसी उपलब्धि नहीं मिली है. जिसे लेकर जनता के सामने जाया जाए. सिर्फ धरना और आंदोलन कोई उपलब्धि तो नहीं है. वो भी तब जब उसका कोई प्रतिसाद ना मिला हो. जिले में कोई भी समस्या हो तो लोग सोशल मीडिया में एक ही मीम्स बनाते हैं. विधायक को बुलाओ वे धरने पर बैठ जाएंगे. यह बरघाट में ही संभव है कि यहां के लोगों की किस्मत में ऐसे विधायक मिल जाते हैं, जिनका असली नाम से ज्यादा उपनाम प्रचलित हो जाता है. वर्तमान विधायक धरना प्रदर्शन के लिए विख्यात हैं तो कई लोग उनके नाम और सरनेम को कमल काकोड़िया कहकर पुकारते हैं. उनके पहले जो विधायक थे वे पूरे जिले में नॉट रीचेबल विधायक के नाम से प्रसिद्ध थे.

सिवनी। द जंगल बुक के मोगली का घर और पेंच टाइगर रिजर्व बरघाट विधानसभा सीट को देश में अलग पहचान दिलाती है, लेकिन जनता की माने तो यहां की कहानी दिया तले अंधेरा से कम नहीं है. क्योंकि स्थानीय स्तर पर जिस तरह का विकास होना था, वह आज भी इस क्षेत्र से नदारद है. इस सीट पर पहले जहां बीजेपी विधायक का राज था तो वहीं वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हैं. विकास के नाम पर यहां की जनता को कांग्रेस और बीजेपी दोनों से निराशा हाथ लगी है. पढ़िए बरघाट सीट का समीकरण

आदिवासियों ने जताया था भरोसा: बरघाट विधानसभा सीट के चुनावी समीकरणों पर नजर डालें तो विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,37,111 मतदाता हैं. जिसमें 1,18,544 पुरुष मतदाता तो वहीं 1,18,564 महिला मतदाता हैं. जबकि 3 अन्य हैं. यहां पर 2008 और 2013 के चुनावों में आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा पर विश्वास जताया था, लेकिन जब भाजपा उनके मापदंडों पर खरी नहीं उतरी तो 2018 में उन्होंने कांग्रेस को मौका दिया.

MP Seat Scan Barghat
बरघाट सीट के मतदाता

एक अमीर क्षेत्र जिसके लोग गरीब: बरघाट विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कुदरत ने इसे क्या कुछ नहीं दिया है. यहां पर धान की फसल काफी अच्छी होती है. विश्व प्रसिद्ध पेंच नेशनल टाइगर रिजर्व इसी इलाके में आता है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा यहीं पर है और नाका भी है. यहां पर पेंच जैसी नदियां हैं. यहां से रेत न सिर्फ जिले बल्कि दूसरे राज्य और जिलों में भी जाती है. अक्सर भारत के बारे में एक बात कही जाती है कि भारत एक अमीर देश है, जिसके निवासी गरीब हैं. बरघाट के बारे में भी यही बात कही जा सकती है. यहां पर कहने को तो बरघाट का मच्छरदानी उद्योग, चक्की खमरिया का चक्की उद्योग, पचधार का मटका और मिट्टी उद्योग, पेंच, बामनथड़ी, नेवरी जैसी नदियों का सोना जैसा रेत जो कि पूरे जिले, दूसरे जिले और प्रदेश में भेजा जाता है. इसके अलावा दो राज्यों के बीच अंतर्राज्यीय नाका है. जो हर महीने करोड़ों रुपए का राजस्व शासन को देता है. ये सुविधाएं किसी और क्षेत्र में होती तो वो विधानसभा क्षेत्र प्रदेश में अव्वल स्थिति में होता, लेकिन बरघाट आज भी प्रदेश में सबसे कम विकसित स्थानों में से एक है.

MP Seat Scan Barghat
बरघाट की खासियत

साल 2008 का चुनाव परिणाम: साल 2008 में भाजपा ने कमल मर्सकोले को यहां से विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस से तीरथ सिंह बट्टी मैदान में थे. यहां पर भाजपा के कमल मर्सकोले को 61753 वोट मिले थे तो वहीं तीरथ सिंह बट्टी को 45943 वोट मिले थे. बीजेपी 15810 वोटों से चुनाव जीती थी.

साल 2013 का चुनाव परिणाम: 2013 में एक बार फिर भाजपा सिटिंग विधायक कमल मार्सकोले को चुनाव मैदान में लाई तो कांग्रेस ने चेहरा बदलते हुए अर्जुन सिंह काकोड़िया को मैदान में उतारा. अर्जुनसिंह काकोड़िया ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी और सिर्फ 269 वोटों से चुनाव हार गए. यहां पर भाजपा के कमल मर्सकोले को 77122 वोट मिले थे तो वहीं अर्जुन सिंह काकोड़ीया को 76853 वोट मिले थे.

MP Seat Scan Barghat
बरघाट सीट का रिपोर्ट कार्ड

साल 2018 का चुनाव परिणाम: 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से अर्जुन सिंह काकोड़िया पर दांव लगाया तो बीजेपी ने चेहरा बदलते हुए नरेश बरकड़े को मैदान में उतारा. इस बार कांग्रेस ने यहां पर अच्छा प्रदर्शन किया और 90053 वोट पाए तो वहीं बीजेपी को 82526 वोट मिले. लिहाजा भाजपा के नरेश बरकड़े 7527 वोटों से चुनाव हार गए. इस बार अन्य दलों ने यहां पर 15704 वोट बटोरे.

MP Seat Scan Barghat
साल 2018 का रिजल्ट

ना बांध का पानी मिला न कॉलेज की बिल्डिंग: कुरई में एक कॉलेज और कांचना मंडी जलाशय की सौगात बरघाट को मिल गई थी, लेकिन दुर्भाग्य है कि पांच सालों में ना तो बांध की नहरें शुरु हो पाईं और ना ही कुरई के कॉलेज को अपनी एक अदद इमारत ही मिल सकी. बस पांच साल तक सिवनी से भोपाल, भोपाल से दिल्ली और दिल्ली से सिवनी, सिवनी से कुरई तक फाइलें चलती रहीं. पड़ोसी जिला बालाघाट में किसान एक साल में तीन तीन फसलें उगाते हैं, लेकिन हमारे इस क्षेत्र में किसानों के लिए खेती आज भी बरसात का जुआ बना हुआ है.

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

Kamal Marskole former MLA
कमल मर्सकोले पूर्व विधायक

विधायक ने धरना देने में गुजारे तो कमल रहे पांच साल नदारद: बरघाट में भाजपा के कमल मर्सकोले पिछले पांच साल से बिल्कुल नदारद नजर आए. ना ही दूसरे नेता भाजपा के लिए काम करते नजर आए, ना कोरोना काल में, ना ही दूसरे समय में. अब चुनावों का दौर आया है तो भाजपा में इतने सारे नाम सामने आ रहे हैं. जिले से एक दो बैंक कर्मी पिछले कई दिनों से छुट्टियां लेकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. वहीं एक पूर्व आईएएस भी भाजपा के टिकटार्थी हैं. इसके अलावा कमल मर्सकोले और पिछले चुनावों में पराजित हुए नरेश बरकड़े जैसे नाम भी लिस्ट में है.

Arjun Kakodiya MLA
अर्जुन काकोड़िया विधायक

कांग्रेस में भी प्रत्याशी बदलने की उठी मांग: जहां एक ओर वर्तमान विधायक अति आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं, तो वहीं कई कांग्रेसी दबी जुबान से किसी नए चेहरे को टिकट दिए जाने की मांग आला पदाधिकारियों के सामने रख चुके हैं. इन लोगों का कहना है कि पिछले पांच साल में विधानसभा क्षेत्र को कोई ऐसी उपलब्धि नहीं मिली है. जिसे लेकर जनता के सामने जाया जाए. सिर्फ धरना और आंदोलन कोई उपलब्धि तो नहीं है. वो भी तब जब उसका कोई प्रतिसाद ना मिला हो. जिले में कोई भी समस्या हो तो लोग सोशल मीडिया में एक ही मीम्स बनाते हैं. विधायक को बुलाओ वे धरने पर बैठ जाएंगे. यह बरघाट में ही संभव है कि यहां के लोगों की किस्मत में ऐसे विधायक मिल जाते हैं, जिनका असली नाम से ज्यादा उपनाम प्रचलित हो जाता है. वर्तमान विधायक धरना प्रदर्शन के लिए विख्यात हैं तो कई लोग उनके नाम और सरनेम को कमल काकोड़िया कहकर पुकारते हैं. उनके पहले जो विधायक थे वे पूरे जिले में नॉट रीचेबल विधायक के नाम से प्रसिद्ध थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.