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पलायन करने लगे मजदूर, अपने इलाके में नहीं मिला काम - Local employment

सिवनी जिले में लॉकडाउन के चलते सैकड़ों मजदूर जो दूसरे राज्यों में मजदूरी कर रहे थे, दो महीने पहले वापस लौटे थे. लेकिन स्थानीय स्तर पर रोजगार न मिलने के कारण वो फिर से पलायन करने को मजबूर हैं.

Migrant laborers forced to flee due to lack of employment in seoni
प्रवासी मजदूरों को स्थानीय स्तर पर नहीं मिला रोजगार
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Published : Jul 4, 2020, 8:46 PM IST

सिवनी। कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में गए कई मजदूर दो महीने पहले ही वापस आ चुके हैं. जिन्हें सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के दावे कर रही है. लेकिन जिले के सिल्पनी जुगरई क्षेत्रों में हकीकत कुछ और बयां हो रही है.

कोरोना महामारी संकट को लेकर गांव से लेकर शहर तक हाहाकार मचा हुआ है, शासन-प्रशासन प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने की बात कर रहे हैं, सरकार का दावा है कि राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के तहत मजदूरों को ग्राम पंचायत के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन हकीकत ये है कि यहां लोग कोरोना जैसी महामारी से इतना भयभीत नहीं हैं, जितना कि रोजगार के आभाव में हैं. बेरोजगारी के चलते वे अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं. जिससे वे वापस पलायन करने को मजबूर हैं.

प्रशासन फिलहाल पलायन की बात को नकार रहा है. कोरोना के चलते सरकार प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार दिलाने की बात कर रही है और गांव के वह प्रवासी मजदूर जो कोरोना के चक्कर में घर लौट चुके थे. अब उन्हें कोरोना से ज्यादा अपने परिवार और स्वयं के पेट की ज्यादा चिंता है. शायद यही कारण है कि वो रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर हैं

सिवनी। कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में गए कई मजदूर दो महीने पहले ही वापस आ चुके हैं. जिन्हें सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के दावे कर रही है. लेकिन जिले के सिल्पनी जुगरई क्षेत्रों में हकीकत कुछ और बयां हो रही है.

कोरोना महामारी संकट को लेकर गांव से लेकर शहर तक हाहाकार मचा हुआ है, शासन-प्रशासन प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने की बात कर रहे हैं, सरकार का दावा है कि राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के तहत मजदूरों को ग्राम पंचायत के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन हकीकत ये है कि यहां लोग कोरोना जैसी महामारी से इतना भयभीत नहीं हैं, जितना कि रोजगार के आभाव में हैं. बेरोजगारी के चलते वे अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं. जिससे वे वापस पलायन करने को मजबूर हैं.

प्रशासन फिलहाल पलायन की बात को नकार रहा है. कोरोना के चलते सरकार प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार दिलाने की बात कर रही है और गांव के वह प्रवासी मजदूर जो कोरोना के चक्कर में घर लौट चुके थे. अब उन्हें कोरोना से ज्यादा अपने परिवार और स्वयं के पेट की ज्यादा चिंता है. शायद यही कारण है कि वो रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर हैं

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