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धूमधाम से मनाया गया कजलियां पर्व, आधुनिकता की दौड़ में भी संजोई जा रही पुरानी परंपरा - Seoni News

सिवनी के ग्रामीण इलाकों में कजलियां का त्योहार बड़े ही धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, इस पर्व पर गांव के लोग एक दूसरे को कजलियां देकर पुराने गिले शिकवे के लिए माफी मांगते है.

धूमधाम से मनाया गया कजलियां पर्व
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Published : Aug 18, 2019, 6:11 PM IST

सिवनी। जिले के ग्रामीण इलाकों मोहगांव, खमरिया, काछी गांव में कजलियां पर्व मनाया गया, जहां इस त्योहार में महिलाएं सहित बच्चे व बूढे़ सभी पारम्परिक नृत्य करते नजर आये. इस पर्व की खास बात ये है कि इस दिन लोग एक दूसरे को कजलियां देकर अपने पुराने गिले शिकवे भी दूर करते हैं.

धूमधाम से मनाया गया कजलियां पर्व
रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाने वाला कजलियां पर्व पंचमी तक मनाया जाता है. ये लोक परंपरा व विश्वास का पर्व माना जाता है. पहले कभी ये पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता था, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में इस पर्व की रौनक फीकी पड़ती जा रही है. हालांकि ग्रामीण व कुछ शहरी इलाकों में इस परंपरा को अभी भी लोगों ने जीवित रखा है.


बता दें कि नागपंचमी के दिन कजलियां बोई जाती हैं, जिसे रक्षाबंधन के दूसरे दिन से पंचमी तक रखा जाता है और पर्व के आखिरी दिन इन्हें नदी, तालाबों में विसर्जित कर दिया जाता है. इन दिनों पूरा गांव मिल कर ये पर्व मना रहा है. जिले के कुछ गांवों में वरिष्ठजनों सहित युवा और बच्चें भी त्योहार मनाते नजर आए.

सिवनी। जिले के ग्रामीण इलाकों मोहगांव, खमरिया, काछी गांव में कजलियां पर्व मनाया गया, जहां इस त्योहार में महिलाएं सहित बच्चे व बूढे़ सभी पारम्परिक नृत्य करते नजर आये. इस पर्व की खास बात ये है कि इस दिन लोग एक दूसरे को कजलियां देकर अपने पुराने गिले शिकवे भी दूर करते हैं.

धूमधाम से मनाया गया कजलियां पर्व
रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाने वाला कजलियां पर्व पंचमी तक मनाया जाता है. ये लोक परंपरा व विश्वास का पर्व माना जाता है. पहले कभी ये पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता था, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में इस पर्व की रौनक फीकी पड़ती जा रही है. हालांकि ग्रामीण व कुछ शहरी इलाकों में इस परंपरा को अभी भी लोगों ने जीवित रखा है.


बता दें कि नागपंचमी के दिन कजलियां बोई जाती हैं, जिसे रक्षाबंधन के दूसरे दिन से पंचमी तक रखा जाता है और पर्व के आखिरी दिन इन्हें नदी, तालाबों में विसर्जित कर दिया जाता है. इन दिनों पूरा गांव मिल कर ये पर्व मना रहा है. जिले के कुछ गांवों में वरिष्ठजनों सहित युवा और बच्चें भी त्योहार मनाते नजर आए.

Intro:ग्रामीण क्षेत्र में आज मनाया जा रहा कजलियां पर्व

पुरानी रीति रिवाजों के अनुसार आज भी मनाया जाता है कजलियों का त्यौहारBody:सिवनी:-
रक्षाबंधन के दूसरे दिन कजलियां पर्व उत्साह से मनाया जाता है। लेकिन सिवनी के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में यह त्योहार पंचमी तक चलते रहता है । क्षेत्र में यह लोक परंपरा व विश्वास का पर्व माना जाता है। पहले कभी यह पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता था, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में इस पर्व की रौनक फीकी पड़ती जा रही है। हालांकि ग्रामीण व कुछ शहरी इलाकों में इस परंपरा को अभी भी लोग जीवित रखे हैं।

वीओ-1- ऐसा ही नजारा सिवनी के ग्रामीण इलाकों में आज मोहगांव खमरिया काछी गांव में देखने को मिला जहा कजलियां के इस त्यौहार में महिलाएं सहित बूढ़े बच्चे सभी नाचते गाते अपने परमपरिक शैला नृत्य करते हुए कजलियां के त्योहार में झूमते रहे ।ओर फिर कजलियां का त्यौहार मनाते हुए एक दूसरे को कजलियां देकर पुराने गिले शिकवे भी दूर करते हैं।

वियो-2-नागपंचमी के दिन कजलियां बोई जाती हैं। रक्षाबंधन के दूसरे दिन से लेकर पंचमी तक यह क्रम रहता है जिसमे जलाशय आदि के पास ले जाकर कजलियां खुटकी जाती हैं और पात्रों को जलाशय में विसर्जित किया जाता है। वरिष्ठजनों सहित युवा और बच्चे भी रविवार को त्योहार मनाते नजर आए। जहां बड़ों से छोटों ने कजलियां लेकर आशीर्वाद लिया वहीं बुजुर्गों ने अपने से छोटों को कजलियां देकर आशीर्वाद प्रदान किया। वहीं बराबरी उम्र के लोगों ने एक दूसरों को कजलियां भेंटकर सालभर के गिले सिकवे के लिए माफी मांगी। हालांकि इसके पहले मंदिरों में भगवान को कजलियां चढ़ाई गई।Conclusion:
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