ETV Bharat / state

सिवनी में एतिहासिक रिछारिया मेले का आयोजन, 10वीं सदी काले पत्थर भगवान विष्णु की होती है पूजा

सिवनी के लखनादौन विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ग्वारी में रिछारिया मेले का आयोजन किया गया. रिछारिया बाबा मंदिर के पास 15 दिवसीय ऐतिहासिक मेले का आयोजन जारी है(Seoni black stone lord vishnu worship). यहां स्थानीय समिति से लेकर धनोरा पुलिस प्रशासन भी मौजूद है. रिछारिया बाबा मंदिर में 10वीं सदी की काले पत्थर की भगवान विष्णु की अष्टभुजी स्थापित है.

seoni black stone lord vishnu worship
सिवनी काला पत्थर भगवान विष्णु पूजा
author img

By

Published : Nov 22, 2022, 11:09 PM IST

सिवनी। जिले के लखनादौन विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ग्वारी में रिछारिया मेले का आयोजन किया गया. रिछारिया बाबा मंदिर के पास 15 दिवसीय ऐतिहासिक मेले का आयोजन जारी है. यहां स्थानीय समिति से लेकर धनोरा पुलिस प्रशासन भी मौजूद है. रिछारिया बाबा मंदिर में 10वीं सदी की काले पत्थर की भगवान विष्णु की अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित है. इनके दर्शन करने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. मान्यता है कि रिछारिया बाबा के पूजन और दर्शन से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ ही अन्य प्रकार की मनोकामनाएं भी श्रद्धालु लेकर पहुंचते हैं.

सिवनी में ऐतिहासिक रिछरिया मेले का आयोजन

10वीं शताब्दी की पुरातात्विक धरोहर ये स्थान: पाषाण प्रतिमा और मंदिर पुरातत्व विभाग की संरक्षित स्मारक में से एक है. मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा इसकी कई सालों से देखरेख की जा रही है. मुख्य मंदिर में काले पत्थर की भगवान विष्णु की अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित है(historical richhariya fair organize in Seoni). मंदिर के आसपास अन्य मूर्तियां भी स्थापित है. मूर्तियां व अन्य अवशेष 10वीं शताब्दी के बताए जाते हैं. मंदिर के पास एक तालाब भी मौजूद है, जिसमें स्नान कर श्रद्धालु मंदिर विराजित रिछारिया बाबा भगवान विष्णु का पूजन करते हैं. माना जाता है कि मूर्तियां और अन्य अवशेष मंदिर के पास तालाब से खुदाई में मिले थे. इसे ग्रामीणों ने वहीं स्थापित कर मंदिर बना दिया. यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. कार्तिक पूर्णिमा के बाद रिछारिया बाबा के दर्शन करने विशेष रूप से श्रद्धालुओं यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

Morena Leela Mela: घुड़दौड़ प्रतियोगिता में दौड़े एक घोड़ा और तीन घोड़ियां, साढ़े तीन दिन के मेहमान बनकर आते हैं श्रीकृष्ण

जंगलों में स्थापित रिछारिया बाबा का मंदिर: बुजुर्गों की मानें तो करीब 78 साल पहले जंगल से घिरे इस क्षेत्र में एक ग्रामीण को सपने में रिछारिया बाबा ने जमीन से प्रतिमा निकालने का आदेश दिया था. इसके बाद सामूहिक रूप से ग्रामीणों ने खुदाई कर रिछारिया बाबा की पाषाण प्रतिमा और अन्य मूर्तियां हासिल की. इन मूर्तियों को यहां स्थापित कर मंदिर बना दिया गया(Seoni black stone lord vishnu worship). घने जंगलों के बीच रिछारिया मंदिर में दिवाली के बाद कार्तिक पूर्णिमा से 15 दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है.

सिवनी। जिले के लखनादौन विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ग्वारी में रिछारिया मेले का आयोजन किया गया. रिछारिया बाबा मंदिर के पास 15 दिवसीय ऐतिहासिक मेले का आयोजन जारी है. यहां स्थानीय समिति से लेकर धनोरा पुलिस प्रशासन भी मौजूद है. रिछारिया बाबा मंदिर में 10वीं सदी की काले पत्थर की भगवान विष्णु की अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित है. इनके दर्शन करने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. मान्यता है कि रिछारिया बाबा के पूजन और दर्शन से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ ही अन्य प्रकार की मनोकामनाएं भी श्रद्धालु लेकर पहुंचते हैं.

सिवनी में ऐतिहासिक रिछरिया मेले का आयोजन

10वीं शताब्दी की पुरातात्विक धरोहर ये स्थान: पाषाण प्रतिमा और मंदिर पुरातत्व विभाग की संरक्षित स्मारक में से एक है. मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा इसकी कई सालों से देखरेख की जा रही है. मुख्य मंदिर में काले पत्थर की भगवान विष्णु की अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित है(historical richhariya fair organize in Seoni). मंदिर के आसपास अन्य मूर्तियां भी स्थापित है. मूर्तियां व अन्य अवशेष 10वीं शताब्दी के बताए जाते हैं. मंदिर के पास एक तालाब भी मौजूद है, जिसमें स्नान कर श्रद्धालु मंदिर विराजित रिछारिया बाबा भगवान विष्णु का पूजन करते हैं. माना जाता है कि मूर्तियां और अन्य अवशेष मंदिर के पास तालाब से खुदाई में मिले थे. इसे ग्रामीणों ने वहीं स्थापित कर मंदिर बना दिया. यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. कार्तिक पूर्णिमा के बाद रिछारिया बाबा के दर्शन करने विशेष रूप से श्रद्धालुओं यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

Morena Leela Mela: घुड़दौड़ प्रतियोगिता में दौड़े एक घोड़ा और तीन घोड़ियां, साढ़े तीन दिन के मेहमान बनकर आते हैं श्रीकृष्ण

जंगलों में स्थापित रिछारिया बाबा का मंदिर: बुजुर्गों की मानें तो करीब 78 साल पहले जंगल से घिरे इस क्षेत्र में एक ग्रामीण को सपने में रिछारिया बाबा ने जमीन से प्रतिमा निकालने का आदेश दिया था. इसके बाद सामूहिक रूप से ग्रामीणों ने खुदाई कर रिछारिया बाबा की पाषाण प्रतिमा और अन्य मूर्तियां हासिल की. इन मूर्तियों को यहां स्थापित कर मंदिर बना दिया गया(Seoni black stone lord vishnu worship). घने जंगलों के बीच रिछारिया मंदिर में दिवाली के बाद कार्तिक पूर्णिमा से 15 दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.