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देर रात केवलारी तहसील में घुसा बाढ़ का पानी, जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त - Flood water enters Keolari tehsil

केवलारी तहसील से निकलने वाली सागर नदी में आई बाढ़ से सबकुछ तबाह हो गया. घर पानी में डूब गए. खाने का सामान बह गया. खेरमाई मोहल्ले और नगर की निचली बस्तियों के दर्जनों घरों के जरूरी कागजात बाढ़ के साथ बह गए. पढ़िए पूरी खबर..

Seoni Flood
सिवनी बाढ़
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Published : Aug 29, 2020, 8:01 PM IST

Updated : Aug 29, 2020, 9:09 PM IST

सिवनी। एमपी में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त है. केवलारी तहसील में हुई मूसलाधार बारिश से लोगों को जीना मुहाल हो गया है. देर रात सागर नदी में आई बाढ़ का पानी निचली बस्तियों में भर जाने से लोग बेहद परेशान हैं. घरों में पानी भर जाने से लोगों के पास न तो खाने को दाना बचा और न ही पहनन को सूखे कपड़े.

केवलारी तहसील में बाढ़

देर रात आफत बनकर आई बाढ़ से लोगों ने भीगते हुए पूरी रात काटी. सुबह जब लोगों ने घरों का नजारा देखा तो सबकुछ बर्बाद हो चुका था. न दरवाजे का पता था और ना ही खिड़की दिखाई दे रही थी. दिख रहा था तो बस वो मंजर जिसने सब कुछ तबाह कर दिया था. लोगों का सारा सामान तो बाढ़ में बह गया और जो बचा वो भी किसी काम का नहीं रहा.

सागर नदी में आई बाढ़ और तेज बारिश के बाद केवलारी तहसील मुख्यालय के निचले क्षेत्र और खेरमाई मोहल्ले का नजारा पूरी तरह से बर्वादी की तस्वीरें बयां कर रहा है. यहां बीते दो दिनों से लगातार हो रही बरसात के चलते सागर नदी में आई बाढ़ का पानी दर्जनों घरों में समा गया और लोग खुद की जान बचाते हुए घरों से निकल कर सुरक्षित स्थानों में भागने को मजबूर हो गए.

लोगों को इतना भी समय नहीं मिल पाया कि जरूरत की चीजों और आवश्यक दस्तावेजों को वे सुरक्षित कर सकें. ऐसे में सब कुछ जहां बरसात की भेंट चढ़ गया वहीं घरों में घुसे कई फीट पानी से गृहस्ती का पूरा सामान भी बर्बाद हो चुका है.

लोगों का कहना है कि लगातार हो रही बरसात के बाद भीमगढ़ बांध के सभी 10 गेट खोल दिये गए. जिसके चलते निचले क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बने और लोग अपने घरों से जैसे तैसे जान बचा कर भागे. जिनके पास अब तन पर कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा. सब कुछ पानी में बर्बाद हो चुका है.

दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि बाढ़ रिलीफ केंद्र बना कर लोगों को सभी सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि यदि अलर्ट पहले ही जारी कर दिया जाता तो डेम का पानी निचले क्षेत्रों में भरने से पहले ही लोग और जरूरी सामान लेकर बाहर निकल सकते थे.

बीते साल भी था यही मंजर

बीते साल भी यहां कुछ इसी तरह के भयानक मंजर का लोग सामना कर चुके हैं और एक दिन में आधा दर्जन मकान जमींदोज हुए थे. इसके बाद भी शासन प्रशासन के द्वारा कुछ ऐसा न किया गया कि बर्बादी का यह दोहराव रोका जा सके.

सिवनी। एमपी में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त है. केवलारी तहसील में हुई मूसलाधार बारिश से लोगों को जीना मुहाल हो गया है. देर रात सागर नदी में आई बाढ़ का पानी निचली बस्तियों में भर जाने से लोग बेहद परेशान हैं. घरों में पानी भर जाने से लोगों के पास न तो खाने को दाना बचा और न ही पहनन को सूखे कपड़े.

केवलारी तहसील में बाढ़

देर रात आफत बनकर आई बाढ़ से लोगों ने भीगते हुए पूरी रात काटी. सुबह जब लोगों ने घरों का नजारा देखा तो सबकुछ बर्बाद हो चुका था. न दरवाजे का पता था और ना ही खिड़की दिखाई दे रही थी. दिख रहा था तो बस वो मंजर जिसने सब कुछ तबाह कर दिया था. लोगों का सारा सामान तो बाढ़ में बह गया और जो बचा वो भी किसी काम का नहीं रहा.

सागर नदी में आई बाढ़ और तेज बारिश के बाद केवलारी तहसील मुख्यालय के निचले क्षेत्र और खेरमाई मोहल्ले का नजारा पूरी तरह से बर्वादी की तस्वीरें बयां कर रहा है. यहां बीते दो दिनों से लगातार हो रही बरसात के चलते सागर नदी में आई बाढ़ का पानी दर्जनों घरों में समा गया और लोग खुद की जान बचाते हुए घरों से निकल कर सुरक्षित स्थानों में भागने को मजबूर हो गए.

लोगों को इतना भी समय नहीं मिल पाया कि जरूरत की चीजों और आवश्यक दस्तावेजों को वे सुरक्षित कर सकें. ऐसे में सब कुछ जहां बरसात की भेंट चढ़ गया वहीं घरों में घुसे कई फीट पानी से गृहस्ती का पूरा सामान भी बर्बाद हो चुका है.

लोगों का कहना है कि लगातार हो रही बरसात के बाद भीमगढ़ बांध के सभी 10 गेट खोल दिये गए. जिसके चलते निचले क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बने और लोग अपने घरों से जैसे तैसे जान बचा कर भागे. जिनके पास अब तन पर कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा. सब कुछ पानी में बर्बाद हो चुका है.

दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि बाढ़ रिलीफ केंद्र बना कर लोगों को सभी सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि यदि अलर्ट पहले ही जारी कर दिया जाता तो डेम का पानी निचले क्षेत्रों में भरने से पहले ही लोग और जरूरी सामान लेकर बाहर निकल सकते थे.

बीते साल भी था यही मंजर

बीते साल भी यहां कुछ इसी तरह के भयानक मंजर का लोग सामना कर चुके हैं और एक दिन में आधा दर्जन मकान जमींदोज हुए थे. इसके बाद भी शासन प्रशासन के द्वारा कुछ ऐसा न किया गया कि बर्बादी का यह दोहराव रोका जा सके.

Last Updated : Aug 29, 2020, 9:09 PM IST
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