सिवनी। केवलारी तहसीलदार कार्यालय के सामने दर्जनों बाढ़ प्रभावित धरने पर बैठ गए हैं. बाढ़ में अपना सब कुछ खो चुके इन लोगों का कहना है कि प्रशासन उन्हें खाने पीने की व्यवस्था तक नहीं उपलब्ध करा पाया और पिछले 1 सप्ताह से स्थानीय समाजसेवी ही बाढ़ प्रभावितों के खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं. इस प्रशासनिक बदइंतेजामी से नाराज लोगों ने तंग होकर विरोध का रास्ता अपनाया है.
केवलारी में बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ितों ने एसडीएम और तहसील कार्यालय का घेराव किया है, उनका कहना है कि एक हफ्ते पहले आई बाढ़ से मची तबाही के बाद उनके लिए न खाने की व्यवस्था की गई है, न ही उनके घरों को सुधरवाने की. वहीं विधायक, पूर्व विधायक और क्षेत्रीय सांसद के साथ ही तहसील और जिले के तमाम अधिकारियों पर इन बाढ़ पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उनके क्षेत्र में आज तक उनकी सुध लेने कोई नहीं आया है. ऐसे में उनके पास न तो खाने का दाना है और न ही पहनने को कपडे़, नगर के समाजसेवी जिस तरह की मदद पहुंचा रहें, बस उनके जीवन यापन का यही एक साधन है.
बता दें कि यह आलम है, तहसील मुख्यालय का, जहां तमाम अधिकारियों के कार्यालय हैं. ऐसे में लोगों का सड़क पर उतर कर कार्यालयों के घेराव करना गंभीर लापरवाही को दर्शाता है. दूसरी तरफ जब लोगों ने घेराव किया तब जाकर तहसीलदार ने तीन दिन में सारी व्यवस्थाओं का अश्वासन दिया है. वर्ना न जाने इन्हें अपने हक के लिए कब तक इंतजार करना होता है.
सिवनीः बाढ़ पीड़ितों ने दिया धरना, प्रशासन पर लगाए संवेदनहीनता के आरोप
सिवनी में बाढ़ पीड़ित धरने पर बैठ गए हैं. लोगों का कहना है कि प्रशासन उनकी तरफ ध्यान देने को तैयार नहीं है. उनके लिए न खाने की व्यवस्था की गई है, न ही उनके घरों को सुधरवाने की ओर ध्यान नहीं देते हैं. जिसे लेकर वे लोग घरने पर बैठे हैं.
सिवनी। केवलारी तहसीलदार कार्यालय के सामने दर्जनों बाढ़ प्रभावित धरने पर बैठ गए हैं. बाढ़ में अपना सब कुछ खो चुके इन लोगों का कहना है कि प्रशासन उन्हें खाने पीने की व्यवस्था तक नहीं उपलब्ध करा पाया और पिछले 1 सप्ताह से स्थानीय समाजसेवी ही बाढ़ प्रभावितों के खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं. इस प्रशासनिक बदइंतेजामी से नाराज लोगों ने तंग होकर विरोध का रास्ता अपनाया है.
केवलारी में बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ितों ने एसडीएम और तहसील कार्यालय का घेराव किया है, उनका कहना है कि एक हफ्ते पहले आई बाढ़ से मची तबाही के बाद उनके लिए न खाने की व्यवस्था की गई है, न ही उनके घरों को सुधरवाने की. वहीं विधायक, पूर्व विधायक और क्षेत्रीय सांसद के साथ ही तहसील और जिले के तमाम अधिकारियों पर इन बाढ़ पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उनके क्षेत्र में आज तक उनकी सुध लेने कोई नहीं आया है. ऐसे में उनके पास न तो खाने का दाना है और न ही पहनने को कपडे़, नगर के समाजसेवी जिस तरह की मदद पहुंचा रहें, बस उनके जीवन यापन का यही एक साधन है.
बता दें कि यह आलम है, तहसील मुख्यालय का, जहां तमाम अधिकारियों के कार्यालय हैं. ऐसे में लोगों का सड़क पर उतर कर कार्यालयों के घेराव करना गंभीर लापरवाही को दर्शाता है. दूसरी तरफ जब लोगों ने घेराव किया तब जाकर तहसीलदार ने तीन दिन में सारी व्यवस्थाओं का अश्वासन दिया है. वर्ना न जाने इन्हें अपने हक के लिए कब तक इंतजार करना होता है.