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शिवराज सरकार में अन्नदाता परेशान, नहीं मिला गेहूं का भुगतान - सिवनी किसानों को नहीं मिल रहा भुगतान

सिवनी में अन्नदाता की परेशान हो रहा है. किसानों की फसलों का भुगतान ना होने से किसान परेशान है, जिसके चलते किसानों ने कलेक्टर से भुगतान कराने की गुहार लगाई है.

farmers reached to collectorate
कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान
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Published : Jul 16, 2020, 7:31 PM IST

सिवनी। जिले में किसानों को गेहूं उपज का सही समय पर भुगतान न होने से किसान परेशान होने लगा है. परिवहनकर्ता और विपणन संघ की लापरवाही से क्विंटलों अनाज सड़ गया और जो अनाज सड़ा है, उसका भुगतान नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर से मदद के लिए गुहार लगाई है.

लिहाजा किसान की सब्र का बांध अब टूटने लगा है. परेशानी के दौर में किसानों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है. जिला मुख्यालय में कलेक्टर के दर पर जा कर गुहार लगा रहा है. लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा अश्वासन के अलावा कोई राहत नहीं दी जा रही है. जिले में 9 हजार 672 क्विंटल के करीब गेंहू पूरी तरह अमानक बता दिया गया है और लगभग 86 किसानों का 18 करोड़ से अधिक का भुगतान बाकी बचा है.

ये किसान लखनादौन, केवलारी, घंसौर, धनोरा, सिवनी, छपारा और कुडाड़ी खरीदी केंद्रों के हैं, जिनका भुगतान उपार्जन समिति के लिए चुनौती बना हुआ है. अब देखना होगा कि जिला प्रशासन कब तक इन अन्नदाताओं का भुगतान कर पाता है. या एक बार फिर किसानों को कोई उग्र आंदोलन की जरूरत पड़ती है.

सिवनी। जिले में किसानों को गेहूं उपज का सही समय पर भुगतान न होने से किसान परेशान होने लगा है. परिवहनकर्ता और विपणन संघ की लापरवाही से क्विंटलों अनाज सड़ गया और जो अनाज सड़ा है, उसका भुगतान नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर से मदद के लिए गुहार लगाई है.

लिहाजा किसान की सब्र का बांध अब टूटने लगा है. परेशानी के दौर में किसानों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है. जिला मुख्यालय में कलेक्टर के दर पर जा कर गुहार लगा रहा है. लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा अश्वासन के अलावा कोई राहत नहीं दी जा रही है. जिले में 9 हजार 672 क्विंटल के करीब गेंहू पूरी तरह अमानक बता दिया गया है और लगभग 86 किसानों का 18 करोड़ से अधिक का भुगतान बाकी बचा है.

ये किसान लखनादौन, केवलारी, घंसौर, धनोरा, सिवनी, छपारा और कुडाड़ी खरीदी केंद्रों के हैं, जिनका भुगतान उपार्जन समिति के लिए चुनौती बना हुआ है. अब देखना होगा कि जिला प्रशासन कब तक इन अन्नदाताओं का भुगतान कर पाता है. या एक बार फिर किसानों को कोई उग्र आंदोलन की जरूरत पड़ती है.

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