सिवनी। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार के दावे तब हवा हवाई साबित होते नजर आते हैं, जब किसी जरूरतमंद को वक्त पर उन स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. मानवता का शर्मसार करने वाला ऐसा ही कुछ वाक्या सिवनी से आया है. जहां शव को पोस्टमार्ट के लिए सामुदायिक केंद्र ले जान के लिए कोई वाहन नहीं मिला तो गरीब परिवार बैलगाड़ी में शव ले जाने के लिए मजबूर हुआ.
सिवनी के आदिवासी बाहुल्य घंसौर थाना क्षेत्र स्थित यह घटना सरकारी योजनाओं की पोल खोलता है. दरअसल, बीते दिन अज्ञात कारणों के चलते काछी गांव में बुधवारा निवासी एक महिला फांसी पर झूल गई थी. जिसके पोस्टमार्टम के लिए परिजन घंसौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए मदद की गुहार लगा रहे थे. लेकिन ना कोई ट्रैक्टर और ना कोई ऑटो वाला शव को घंसौर अस्पताल लाने के लिए तैयार हुआ.
तब मजबूर होकर परिजनों ने शव को बैलगाड़ी में रखकर शाम 4 बजे काछी बुधवारा से निकले, जहां वे शाम के 6 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घंसोर पहुंचे. वहीं सामुदायिक केंद्र में स्टॉफ की अनुपस्थिति में महिला के शव का दूसरे दिन सुबह पोस्टमार्टम किया गया और शव परिजनों को सौंप दिया गया.
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पहले भी आ चुके हैं इस तरह के मामले
बता दें प्रदेश में शव को कभी बैलगाड़ी, कभी बाइक तो कभी दूसरे संसाधनों से अस्पताल ले जाने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं. हाल ही में शहडोल जिला अस्पताल जो लगातार हो रही बच्चों की मौत को लेकर सुर्खियों में है, वहीं शहडोल में पिछले दिनों ही जिला चिकित्सालय में बदहाल व्यवस्था के चलते सड़क हादसे में मौत के बाद 3 साल की मासूम बच्ची के शव को पोस्टमार्टम कक्ष तक ले जाने के लिए परिजनों को बाइक का सहारा लेना पड़ा था. जिस पर अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि, वाहन आदि उपलब्ध कराना पुलिस का काम है, अस्पताल का नहीं.