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सीहोर जिले की दो विधानसभाओं पर भारी विरोध के बीच शिवराज बने नायक, ऐसे किया डैमेज कंट्रोल, चारों सीटों पर है बीजेपी का कब्जा, पढ़ें खास रिपोर्ट

CM Shivraj Control Damage in Sehore District: एमपी में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. सबसे चर्चा और पार्टी के लिए नाक का सवाल बनी, सिहोर जिले की चार विधानसभाओं पर सभी की नजर है. बीजेपी की तरफ से जारी पांचवी सूची के बाद से ही पार्टी में बगावत के सुर देखने को मिले, जिसके बाद खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे आकर डैमेज कंट्रोल किया. हैदाराबाद से ईटीवी भारत के लिए कार्तिक सागर समाधिया की रिपोर्ट...

MP Election 2023
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 6:41 PM IST

हैदराबाद। मध्यप्रदेश का सबसे चर्चित और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर की चार विधानसभाओं में बीजेपी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद मचा सियासी तूफान अब लगभग थम सा गया है. पार्टी ने जिले की चार विधानसभाओं में पनप रहे बगावती सुर पर लगाम लगाते हुए, डैमेज कंट्रोल कर एकता का संदेश देने का काम फिलहाल किया है. जिन दो विधानसभाओं की हम बात कर रहे हैं, उनमें एक जिला मुख्यालय की सीहोर विधानसभा सीट है, तो दूसरी आष्टा विधानसभा है.

बाकी, दो विधानसभाओं पर फिलहाल पार्टी की एकता देखने को मिली है. इसमें एक इछावर विधानसभा है, तो दूसरी विधानसभा बुधनी है. बुधनी से खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में हैं. बता दें, ये बगावती सुर तब देखने को मिले, जब बीजेपी ने अपनी आखिरी, यानि पांचवी सूची जारी की थी.

क्या है सियासी समीकरण: दरअसल, अंग्रेजों के जमाने से राजनीतिक केंद्र रहा सीहोर जिला, हमेशा से चर्चा में बना रहता है. लेकिन वर्तमान की राजनीति में ये प्रदेश का सियासी केंद्र है और बीजेपी का गढ़ भी है. साल 2018 में बीजेपी ने यहां से चारों सीटें जीती थीं. इसमें बुधनी से शिवराज सिंह चौहान, सीहोर से सुदेश राय, इछावर से करण सिंह वर्मा, आष्टा से रघुनाथ सिंह मालवीय चुनाव जीते थे. लेकिन, इसबार पार्टी ने फेरबदल करते हुए एक साल पहले कांग्रेस छोड़कर आए गोपाल इंजीनियर को पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया और फिर वर्तमान विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय का टिकट काटकर उन्हें आष्टा से उम्मीदवार घोषित कर दिया. इसके बाद पार्टी में विरोध के स्वर मुखर हो गए. हालांकि, बीजेपी जिला अध्यक्ष रवि मालवीय ने फिलहाल हालातों पर पार्टी कंट्रोल और पारिवारिक मतभेद उभरने और उसे सुलझा लेने की बात ईटीवी भारत से कही है. इसके पीछे उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को क्रेडिट यानी श्रेय दिया है.

(कहां उपजा असंतोष और डैमेज कंट्रोल में CM शिवराज की भूमिका)

जब आष्टा विधानसभा में उपजा असंतोष: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में पनपे असंतोष ने पार्टी की माथे की चिंता की लकीरें बढ़ा दी थीं. आष्टा से गोपाल इंजीनियर के टिकट की घोषणा के बाद असंतोष के स्वर व्यक्त होने लगे. भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता बाहरी पार्टी से आए नेता को टिकट देने को लेकर विरोध में उतर आए और संगठन पर अनदेखी की बात कही. रघुनाथ सिंह मालवीय और सिंधिया समर्थक अजीत सिंह सहित भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश बगाना ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर ही पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने की बात कही, साथ ही नेताओं और कार्यकर्ताओं का अपमान बताया.

Raghunath Malviya with workers
कार्यकर्ताओं से चर्चा करते आष्टा विधायक रघुनाथ मालवीय

असंतोष नेताओं ने बीते रविवार को आष्टा में अलग-अलग जगह पर कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उनकी राय भी जानी. इसमें इलाके के नेता कैलाश बगाना और उनके कार्यकर्ताओं की बैठक भी संपन्न हुई, जिसमें 700 से अधिक भाजपा कार्यकर्ता जुटे. इसके बाद दूसरी बैठक वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय और उनके समर्थकों की हुई. इसमें करीबन 200 से 250 कार्यकर्ता मौजूद थे. इनमें कार्यकर्ताओं ने रघुनाथ मालवीय को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. साथ ही पार्टी संगठन से गोपाल इंजीनियर का विरोध करने की बात कही और प्रत्याशी पर पुनर्विचार करने को कहा था.

Ajit singh with party workers
आष्टा के कद्दावर नेता अजीत सिंह कार्यकर्ता की बैठक लेते

इसी बीच आष्टा के बीजेपी विधायक रघुनाथ मालवीय का दर्द भी छलक गया. उनके रोने का एक वीडियो भी वायरल हो गया. जिसमें कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रोते नजर आ रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, "मैंने ईमानदारी से काम किया है. हमेशा कार्यकर्ताओं की सुनी, लेकिन फिर पार्टी ने मुझे छोड़कर गोपाल सिंह को भाजपा से टिकट दे दिया."

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जब सीहोर विधानसभा में उपजा असंतोष: इधर, सीहोर विधानसभा में सन्नी महाजन का असंतोष बीजेपी को भारी पड़ सकता था. दरअसल, सन्नी महाजन का पारिवारिक इतिहास जनसंघ के समय का है. वे कई बार बीजेपी से टिकट मांग चुके हैं, लेकिन उन्हें पार्टी ने अबतक उम्मीदवार नहीं बनाया. पिछले कुछ सालों से जमीन पर जनसंपर्क कर जनता में पैठ बना रहे सन्नी महाजन के निर्दलीय चुनाव लड़ने की अटकलें थीं.

Madhya Pradesh Election 2023
विधायक सुदेश राय और सन्नी महाजन से मिले मुख्यमंत्री

माना भी जा रहा था कि अगर वो चुनावी मैदान में उतरेंगे, तो सियासी समीकरण बदल जाएंगे और चुनाव बहुपक्षीय ध्रुव में बदल जाएगा. सन्नी महाजन इससे पहले उमा भारती की भारतीय जनशक्ति पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं. इसके अलावा वे लगातार जिले के पार्टी संगठन में अपनी पैठ बना रहे थे. इसलिए भी माना जा रहा था कि अगर वे चुनाव लड़े तो बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. लेकिन मान मनोव्वल के बाद उन्हें भी मना लिया गया है.

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दोनों सीटों पर डैमेज कंट्रोल पर मुख्यमंत्री शिवराज की भूमिका: जिले में एक बात कही जाती है कि यहां की चारों सीटों पर उम्मीदवार तो चुनाव लड़ते हैं, लेकिन खुद शिवराज सिंह चौहान भी चारों विधानसभा पर जमकर प्रचार प्रसार करते हैं. ऐसे में बनते- बिगड़ते हालातों पर उनकी भी नजर थी. इसी वजह से उन्होंने दोनों सीटों पर पनप रहे विरोध को काबू कर लिया है.

सीहोर जिले के पूर्व जिला महामंत्री और कद्दावर नेता पंडित रमाकांत (जो खुद सीहोर विधानसभा की चुनाव संचालन समिति के सह संयोजक हैं) ने बताया, "सीहोर विधानसभा पर पार्टी को लेकर विरोध नहीं है. हम मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. खुद सन्नी महाजन ने सोमवार को अपने समर्थकों के साथ जाकर मुख्यमंत्री हाउस पर सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की, और एकजुटता के साथ चुनाव लड़ने का आश्वासन दिया. वे पार्टी से अलग नहीं हैं. हमारे पुराने कार्यकर्ता हैं."

इधर, आष्टा विधानसभा को लेकर भी शिवराज सिंह चौहान डैमेज कंट्रोल रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हुआ यूं कि सोमवार को देवड़िया में सीएम शिवराज सिंह चौहान का कार्यक्रम था. ऐसे में पार्टी के टिकट से वंचित रहे विधायक रघुनाथ मालवीय और प्रत्याशी गोपाल इंजीनियर भी मौजूद थे. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय को तवज्जो देते हुए अपने पास बिठाया और आष्टा की राजनीति को नए संकेत भी दिए. इसके अलावा वर्तमान विधायक ने घोषित प्रत्याशी को मुख्यमंत्री के सामने माला पहनाकर स्वागत किया.

जब हमने इस बारे में सीहोर बीजेपी जिला अध्यक्ष रवि मालवीय से बात की, तो उन्होंने कहा, "जिले की चारों विधानसभा पर किसी तरह की फूट नहीं है. हम सभी एक परिवार की तरह हैं. सीएम से आष्टा के वर्तमान विधायक की बात हुई है. उन्होंने मिलने भी बुलाया है. हम सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे. टिकट वितरण के समय खुशी और नाराजगी आम बात है. ऐसे में अब मानकर चल रहे हैं, कि आष्टा में पनपा असंतोष भी सुलझ गया है.

हैदराबाद। मध्यप्रदेश का सबसे चर्चित और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर की चार विधानसभाओं में बीजेपी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद मचा सियासी तूफान अब लगभग थम सा गया है. पार्टी ने जिले की चार विधानसभाओं में पनप रहे बगावती सुर पर लगाम लगाते हुए, डैमेज कंट्रोल कर एकता का संदेश देने का काम फिलहाल किया है. जिन दो विधानसभाओं की हम बात कर रहे हैं, उनमें एक जिला मुख्यालय की सीहोर विधानसभा सीट है, तो दूसरी आष्टा विधानसभा है.

बाकी, दो विधानसभाओं पर फिलहाल पार्टी की एकता देखने को मिली है. इसमें एक इछावर विधानसभा है, तो दूसरी विधानसभा बुधनी है. बुधनी से खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में हैं. बता दें, ये बगावती सुर तब देखने को मिले, जब बीजेपी ने अपनी आखिरी, यानि पांचवी सूची जारी की थी.

क्या है सियासी समीकरण: दरअसल, अंग्रेजों के जमाने से राजनीतिक केंद्र रहा सीहोर जिला, हमेशा से चर्चा में बना रहता है. लेकिन वर्तमान की राजनीति में ये प्रदेश का सियासी केंद्र है और बीजेपी का गढ़ भी है. साल 2018 में बीजेपी ने यहां से चारों सीटें जीती थीं. इसमें बुधनी से शिवराज सिंह चौहान, सीहोर से सुदेश राय, इछावर से करण सिंह वर्मा, आष्टा से रघुनाथ सिंह मालवीय चुनाव जीते थे. लेकिन, इसबार पार्टी ने फेरबदल करते हुए एक साल पहले कांग्रेस छोड़कर आए गोपाल इंजीनियर को पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया और फिर वर्तमान विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय का टिकट काटकर उन्हें आष्टा से उम्मीदवार घोषित कर दिया. इसके बाद पार्टी में विरोध के स्वर मुखर हो गए. हालांकि, बीजेपी जिला अध्यक्ष रवि मालवीय ने फिलहाल हालातों पर पार्टी कंट्रोल और पारिवारिक मतभेद उभरने और उसे सुलझा लेने की बात ईटीवी भारत से कही है. इसके पीछे उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को क्रेडिट यानी श्रेय दिया है.

(कहां उपजा असंतोष और डैमेज कंट्रोल में CM शिवराज की भूमिका)

जब आष्टा विधानसभा में उपजा असंतोष: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में पनपे असंतोष ने पार्टी की माथे की चिंता की लकीरें बढ़ा दी थीं. आष्टा से गोपाल इंजीनियर के टिकट की घोषणा के बाद असंतोष के स्वर व्यक्त होने लगे. भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता बाहरी पार्टी से आए नेता को टिकट देने को लेकर विरोध में उतर आए और संगठन पर अनदेखी की बात कही. रघुनाथ सिंह मालवीय और सिंधिया समर्थक अजीत सिंह सहित भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश बगाना ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर ही पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने की बात कही, साथ ही नेताओं और कार्यकर्ताओं का अपमान बताया.

Raghunath Malviya with workers
कार्यकर्ताओं से चर्चा करते आष्टा विधायक रघुनाथ मालवीय

असंतोष नेताओं ने बीते रविवार को आष्टा में अलग-अलग जगह पर कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उनकी राय भी जानी. इसमें इलाके के नेता कैलाश बगाना और उनके कार्यकर्ताओं की बैठक भी संपन्न हुई, जिसमें 700 से अधिक भाजपा कार्यकर्ता जुटे. इसके बाद दूसरी बैठक वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय और उनके समर्थकों की हुई. इसमें करीबन 200 से 250 कार्यकर्ता मौजूद थे. इनमें कार्यकर्ताओं ने रघुनाथ मालवीय को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. साथ ही पार्टी संगठन से गोपाल इंजीनियर का विरोध करने की बात कही और प्रत्याशी पर पुनर्विचार करने को कहा था.

Ajit singh with party workers
आष्टा के कद्दावर नेता अजीत सिंह कार्यकर्ता की बैठक लेते

इसी बीच आष्टा के बीजेपी विधायक रघुनाथ मालवीय का दर्द भी छलक गया. उनके रोने का एक वीडियो भी वायरल हो गया. जिसमें कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रोते नजर आ रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, "मैंने ईमानदारी से काम किया है. हमेशा कार्यकर्ताओं की सुनी, लेकिन फिर पार्टी ने मुझे छोड़कर गोपाल सिंह को भाजपा से टिकट दे दिया."

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जब सीहोर विधानसभा में उपजा असंतोष: इधर, सीहोर विधानसभा में सन्नी महाजन का असंतोष बीजेपी को भारी पड़ सकता था. दरअसल, सन्नी महाजन का पारिवारिक इतिहास जनसंघ के समय का है. वे कई बार बीजेपी से टिकट मांग चुके हैं, लेकिन उन्हें पार्टी ने अबतक उम्मीदवार नहीं बनाया. पिछले कुछ सालों से जमीन पर जनसंपर्क कर जनता में पैठ बना रहे सन्नी महाजन के निर्दलीय चुनाव लड़ने की अटकलें थीं.

Madhya Pradesh Election 2023
विधायक सुदेश राय और सन्नी महाजन से मिले मुख्यमंत्री

माना भी जा रहा था कि अगर वो चुनावी मैदान में उतरेंगे, तो सियासी समीकरण बदल जाएंगे और चुनाव बहुपक्षीय ध्रुव में बदल जाएगा. सन्नी महाजन इससे पहले उमा भारती की भारतीय जनशक्ति पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं. इसके अलावा वे लगातार जिले के पार्टी संगठन में अपनी पैठ बना रहे थे. इसलिए भी माना जा रहा था कि अगर वे चुनाव लड़े तो बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. लेकिन मान मनोव्वल के बाद उन्हें भी मना लिया गया है.

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दोनों सीटों पर डैमेज कंट्रोल पर मुख्यमंत्री शिवराज की भूमिका: जिले में एक बात कही जाती है कि यहां की चारों सीटों पर उम्मीदवार तो चुनाव लड़ते हैं, लेकिन खुद शिवराज सिंह चौहान भी चारों विधानसभा पर जमकर प्रचार प्रसार करते हैं. ऐसे में बनते- बिगड़ते हालातों पर उनकी भी नजर थी. इसी वजह से उन्होंने दोनों सीटों पर पनप रहे विरोध को काबू कर लिया है.

सीहोर जिले के पूर्व जिला महामंत्री और कद्दावर नेता पंडित रमाकांत (जो खुद सीहोर विधानसभा की चुनाव संचालन समिति के सह संयोजक हैं) ने बताया, "सीहोर विधानसभा पर पार्टी को लेकर विरोध नहीं है. हम मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. खुद सन्नी महाजन ने सोमवार को अपने समर्थकों के साथ जाकर मुख्यमंत्री हाउस पर सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की, और एकजुटता के साथ चुनाव लड़ने का आश्वासन दिया. वे पार्टी से अलग नहीं हैं. हमारे पुराने कार्यकर्ता हैं."

इधर, आष्टा विधानसभा को लेकर भी शिवराज सिंह चौहान डैमेज कंट्रोल रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हुआ यूं कि सोमवार को देवड़िया में सीएम शिवराज सिंह चौहान का कार्यक्रम था. ऐसे में पार्टी के टिकट से वंचित रहे विधायक रघुनाथ मालवीय और प्रत्याशी गोपाल इंजीनियर भी मौजूद थे. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय को तवज्जो देते हुए अपने पास बिठाया और आष्टा की राजनीति को नए संकेत भी दिए. इसके अलावा वर्तमान विधायक ने घोषित प्रत्याशी को मुख्यमंत्री के सामने माला पहनाकर स्वागत किया.

जब हमने इस बारे में सीहोर बीजेपी जिला अध्यक्ष रवि मालवीय से बात की, तो उन्होंने कहा, "जिले की चारों विधानसभा पर किसी तरह की फूट नहीं है. हम सभी एक परिवार की तरह हैं. सीएम से आष्टा के वर्तमान विधायक की बात हुई है. उन्होंने मिलने भी बुलाया है. हम सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे. टिकट वितरण के समय खुशी और नाराजगी आम बात है. ऐसे में अब मानकर चल रहे हैं, कि आष्टा में पनपा असंतोष भी सुलझ गया है.

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