सीहोर। मध्य प्रदेश में एक पीड़ित पिता ने अपना लाखो रुपये का मकान आंगनबाड़ी के लिए दान करने की घोषणा की है. इसके लिए उसने बाकायदा अपने मकान दान करने की सूचना भी दीवार पर चिपका (sehore man struck poster to donate house) दी है. महिला बाल विकास विभाग मकान लेने में असमंजस में है, क्योंकि विभाग के पास इस तरह से मकान लेने की कोई पॉलिसी नहीं है. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मकान अधिगृहीत नहीं किए जाने पर पीड़ित ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई है और अपना मकान दान देने की इच्छा जताई है. शख्स का यह कदम इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.
समाज से त्रस्त हूं, इसलिए उठाया यह कदम
जिले के खटीक मोहल्ला रमेश (बदला हुआ नाम) अपने साथ हुई ज्यादती से इतना त्रस्त हुआ कि उसने अपना लाखों का मकान (house donation for anganwadi in sehore) दान करने की ठान ली. इसके लिए उसने 100 रुपये के स्टांप पर इस बात की नोटरी के साथ घोषणा भी की है.
रमेश ने बतायी अपबीती
रमेश ने बताया कि उसने किसी दूसरे समाज की लड़की के साथ 22 साल पहले लव मैरिज की थी. तब उसे समाज से बेदखल कर दिया गया था. उसकी दो बेटियां है. अब बच्चे बड़े हुए तो लोग बड़ी बेटी की शादी भी समाज में नहीं होने दे रहे. इतना ही नहीं कुछ दरिंदों ने मिलकर उसकी नाबालिग बेटी की इज्जत भी लूटी. उसे भी छुरा मारकर लहूलुहान कर दिया. इसके बावजूद भी कानून ने गुनाहगारों को जमानत दे दी. अब उसका मोहल्ले में रहना मुश्किल हो गया है. इस घर में उसका दम घुटता है. मोहल्ले में भी इज्जत नहीं बची है. लोग तरह-तरह की बातें करके उसे और उसके परिवार को प्रताड़ित करते हैं इसलिए उसने घर छोड़ने का फैसला लिया है.
इसलिए चुना आंगनबाड़ी
पीड़ित का कहना है कि वह अपना घर किसी को बेचना नहीं चाहता और न ही किसी को निजी रूप में देना चाहता है. 35 गुना 60 क्षेत्रफल वाला करीब 25 लाख का मकान शासन को आंगनबाड़ी (complain on cm helpline in sehore) खोलने के लिए दे रहे हैं. इससे बच्चियों को शिक्षा मिलेगी ताकि वे बचपन से ही होनहार बने और उनका भविष्य उज्जवल हो. पीड़िता का कहना है कि वह अनुसूचित जाति से है और अपने साथ हुई ज्यादती के लिए प्रशासन द्वारा दी जाने वाली मदद राशि भी नहीं लेना चाहता. बल्कि शासन प्रशासन को बच्चियों के कल्याण के लिए घर दान देना चाहता है.
सीएम शिवराज से रखी मांग
पुलिस प्रशासन ने घटना के समय आरोपियों का साथ दिया, लेकिन उन्हें कानून और सरकार से कोई नाराजगी नहीं है. सिर्फ सीएम शिवराज सिंह चौहान से एक ही प्रार्थना है कि जमानत पर छूटे आरोपियों को कड़ी सजा दिलाई जाए.
मकान को लेकर उलझन में विभाग
वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग मकान को लेकर उलझन में है. जिला अधिकारी प्रफुल्ल खत्री का कहना है कि सीधे पट्टे का मकान विभाग इस तरह से दान नहीं ले सकता है. ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है. फिलहाल इस मामले में हम वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह ले रहे हैं. सीएम हेल्पलाइन पर भी जवाब भेजा गया है. यदि दानदाता अपना मकान को कानूनी रूप से विभाग के नाम करवाता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है.